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सितंबर में प्याज और टमाटर की कीमतें आसमान छू रही, आखिर इसका कारण क्या है? क्या कीमतें और बढ़ेंगी?

Vegetables Price Hikes: सितंबर में प्याज और टमाटर जैसी आवश्यक सब्जियों की कीमतों में अचानक वृद्धि ने आम जनता पर भारी बोझ डाल दिया है। इस महीने प्याज और आलू की कीमतें पिछले साल के मुकाबले लगभग 50% बढ़ चुकी हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि टमाटर और प्याज के दाम हर हफ्ते कैसे बढ़ रहे हैं, तो इसके पीछे एक ठोस कारण है। आइए जानते हैं।

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दरअसल, देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुँचाया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, टमाटर की कीमतें पिछले साल की तुलना में करीब 14% बढ़ी हैं, जबकि प्याज की कीमतें सितंबर में 11% बढ़कर 50 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गई हैं।

विशेषज्ञों की राय

एलारा सिक्योरिटीज इंडिया की अर्थशास्त्री का कहना है कि सितंबर में प्याज और टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। प्याज पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटने के बाद कीमतें बढ़ीं, जिससे सरकार को प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड से बिक्री करना जरूरी हो गया है।

टमाटर की उपज वाले प्रमुख राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में अत्यधिक बारिश हुई है, जिससे खेती प्रभावित हुई है और फसलों को नुकसान हुआ है।

एम के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने बताया कि सब्जियों की कीमतों में वृद्धि की वजह भारी बारिश और बाढ़ के कारण सप्लाई में रुकावटें हैं।

आगे बढ़ सकते हैं दाम

अरोड़ा ने चेतावनी दी है कि इंपोर्टेड खाद्य तेल पर उच्च कस्टम्स ड्यूटी का असर अब रिटेल कीमतों पर भी दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि यह महंगाई के लिए अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि आरबीआई ने हाल ही में अगस्त के मुकाबले सितंबर में सब्जियों की कीमतों में गिरावट की जानकारी दी है। उन्होंने आगे बताया कि बुआई के लगभग पूरे होने के बाद अब कटाई के मौसम पर ध्यान केंद्रित होगा। सामान्य से अधिक बारिश से फसल को नुकसान का जोखिम बढ़ गया है, जिससे खाद्य महंगाई भी बढ़ सकती है।

18 सितंबर तक बारिश सीजन में लंबी अवधि के औसत से 7% अधिक रही है, जबकि साप्ताहिक बारिश लंबी अवधि के औसत से 7% कम रही है। उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में सीजन में जरूरत से अधिक बारिश देखी गई है।

वर्तमान में, बुआई का कुल क्षेत्रफल 1,096.7 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2% अधिक है। इसके पीछे बड़ी खाद्य फसलों की अधिक बुआई का कारण है, जिनमें चावल, दाल, मोटे अनाज और तिलहन शामिल हैं।

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