Gold Prices: सोमवार को दिल्ली के बाजार में सोना और चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सोने की कीमत 700 रुपये घटकर 73,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई, जबकि चांदी की कीमत 2,000 रुपये की गिरावट के साथ 83,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।
गिरावट के कारण
इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
- वैश्विक बाजार का असर: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमती धातुओं की कीमतों में आई गिरावट ने भारतीय बाजार को भी प्रभावित किया है।
- स्थानीय मांग में कमी: घरेलू आभूषण विक्रेताओं द्वारा मांग में कमी देखी गई है।
- औद्योगिक मांग की गिरावट: औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से भी मांग कमजोर रही है।
- अमेरिकी आर्थिक स्थिति: अमेरिका में रोजगार के आंकड़े उम्मीद से कम रहे, जिससे बाजार में अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ी है।
वैश्विक परिदृश्य
वैश्विक स्तर पर, कॉमेक्स में सोना 0.07 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 2,522.90 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, चांदी की कीमतों में मामूली बढ़त देखी गई है और यह 28.44 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है।
विशेषज्ञों की राय
विभिन्न वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने इस स्थिति पर अपने विचार साझा किए हैं:
- एचडीएफसी सिक्योरिटीज: सौमिल गांधी के अनुसार, अमेरिकी रोजगार आंकड़ों ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है।
- मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज: मानव मोदी का कहना है कि व्यापारी अमेरिकी मैक्रोइकॉनोमिक डेटा का इंतजार कर रहे हैं।
- कोटक सिक्योरिटीज: कायनात चैनवाला के मुताबिक, मंदी की चिंताओं के बावजूद सोना स्थिर बना हुआ है।
- आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स: मनीष शर्मा का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी निर्णय कीमती धातुओं की कीमतों की दिशा तय करेंगे।
अमेरिकी नीतियों का असर
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन ने वित्तीय प्रणाली पर किसी खतरे से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि रोजगार वृद्धि में कमी के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था 'सॉफ्ट लैंडिंग' पर पहुंच चुकी है।
आगामी संभावनाएं
सोने की कीमतों का भविष्य काफी हद तक अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दरों में कटौती के निर्णय पर आधारित होगा। व्यापारी इस सप्ताह जारी होने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति और उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
सोने और चांदी की कीमतों में यह गिरावट वैश्विक और घरेलू कारणों का संयुक्त परिणाम है। हालांकि कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, लेकिन लंबी अवधि में कीमती धातुओं की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करेंगी, जैसे वैश्विक आर्थिक हालात, मुद्रास्फीति, और केंद्रीय बैंकों की नीतियां। निवेशकों और उपभोक्ताओं को इन कारकों पर ध्यान देकर अपने फैसले लेने चाहिए।