Savings Account: सरकार अब योजनाओं से संबंधित राशि का भुगतान डेबिट के माध्यम से सीधे लाभार्थी के अकाउंट में करती है। हालांकि इन सभी मामलों में सेविंग्स अकाउंट धारकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
देश में डिजिटल बैंकिंग का उपयोग बढ़ गया है। अब हर छोटी-मोटी पेमेंट के लिए लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, अब अगर आपको किसी सरकारी योजना का लाभ लेना है, तो आपका बैंक खाता अनिवार्य है। सरकार अब डेबिट कार्ड के माध्यम से योजनाओं से संबंधित राशि का भुगतान सीधे लाभार्थी के खाते में करती है। हालांकि, इन सभी मामलों में सेविंग्स अकाउंट धारकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन की जानकारी होना बहुत आवश्यक है, नहीं तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है।
वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक जमा करने पर आय का स्रोत बताना होगा
कई लोग अपने रुपयों को बैंकों में बचत खाता खोलकर जमा करते हैं। एक वित्तीय वर्ष के दौरान, बैंकिंग मामलों के एक्सपर्ट संतोष कुमार ने बताया है कि बचत खाता में जमा की जाने वाली राशि की कोई अधिकतम सीमा नहीं होती, लेकिन इसे ध्यान में रखना चाहिए कि एक वित्तीय वर्ष के दौरान इसमें 10 लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर 10 लाख रुपए से अधिक राशि जमा की जाती है, तो खाताधारक आयकर के दायरे में आ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी बैंक के बचत खाता में 10 लाख रुपए से अधिक राशि जमा होने पर रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर मेकैनिज्म से इसकी जानकारी स्वतः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को मिल जाती है। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया संबंधित बैंक से बचत खाता में जमा किए गए राशि के स्रोत की जानकारी मांगती है। तब बैंक के द्वारा खाताधारक से इससे संबंधित फॉर्मेट में आवश्यक जानकारी मांगी जाती है। यदि ग्राहक के द्वारा उपलब्ध कराए गए आय के स्रोत से आरबीआई (RBI) संतुष्ट नहीं होता है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है।
इतना लग सकता है टैक्स
विशेषज्ञ संतोष कुमार ने बताया कि नियम के अनुसार यदि आयकर विभाग को खाताधारक द्वारा प्रस्तुत की गई आय स्रोत से संबंधित जानकारी से संतुष्टि नहीं मिलती है और जांच में गड़बड़ी पाई जाती है, तो जमा राशि पर 60% कर, 25% सरचार्ज, और 4% सेस लागू हो सकता है।