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एफडी से हुई कमाई पर कितना टैक्स देना होगा, जानने के लिए Income Tax के नियम

फिक्स्ड डिपॉजिट, यानी FD, से कई लोग कमाई कर सकते हैं। इसके माध्यम से प्राप्त होने वाली ब्याज की कमाई पर आयकर नियमों के बारे में शायद ही किसी को पूरी जानकारी हो। क्या आपको यह ज्ञात है कि क्या FD पर मिलने वाली ब्याज पूरी तरह से कर लेने योग्य है? नहीं? तो आपको बता दें कि FD पर प्राप्त होने वाला ब्याज आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और फिर इस कुल आय पर लागू स्लैब दरों के अनुसार कर का हिसाब किया जाता है। यह जानकारी आपके आयकर रिटर्न (ITR) में "इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेसज" हेड में दर्शाई जाती है, और इसके बाद इनकम टैक्स विभाग द्वारा इस पर कर काटा जाता है। हालांकि, आप चाहें तो इस कटौती से बच सकते हैं।

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आइए पहले जानें कि बैंक किस प्रकार और कब टैक्स काटता है। यदि आप सीनियर सिटीजन नहीं हैं और एक नॉर्मल अकाउंट होल्डर के रूप में एफडी में निवेश किया है और आपकी ब्याज राशि 40,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करते समय सोर्स पर कर काटता है। इसके खिलाफ, सीनियर सिटीजन्स के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये है। एफडी पर कोई सीनियर सिटीजन 50,000 रुपये तक की ब्याज कमाता है तो इसका अर्थ है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कोई टैक्स काटने का अधिकार नहीं रखता है। इसके बाद की ब्याज की कमाई पूरी तरह से कर योग्य होगी।

यदि आपके पास 3 साल के लिए FD है, तो बैंक हर साल के अंत में TDS काटेगा। FD मैच्योर होने पर डिपॉजिटर को ब्याज और मूलधन दोनों प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, DIGCI द्वारा 5 लाख रुपये तक की FD को बीमित किया जाता है। यदि बैंक डूबता है, तो डीजीसीआई की तरफ से जमाकर्ता को 5 लाख रुपये तक की गारंटी मिलेगी।

एफडी पर ऐसे कैलकुलेट होता है TAX

FA से होने वाली कमाई को हर साल आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है, और इसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दिखाना होता है। चाहे उस साल ब्याज का राशि ना मिले और बैंक ने एफडी की मैच्योरिटी पर एक साथ जोड़कर पैसा दिया हो, इसे आपको हर साल ITR में दिखाना पड़ता है। बैंक आपके ब्याज पर TDS काटते हैं, जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बाद में समायोजित कर देता है।

FD पर कर गणना को इस प्रकार समझें

मान लीजिए, सुरेश नामक व्यक्ति 20% कर स्लैब में आते हैं। उनके पास 6% वार्षिक ब्याज दर पर 3 साल के लिए 1,00,000 रुपये की 2 एफडी हैं। पहले साल में, हर एफडी से सुनील को मिलने वाली ब्याज राशि 6,000 रुपये है। इसलिए पहले साल में कुल ब्याज 12,000 रुपये होंगे। यह राशि 40,000 रुपये की सीमा से कम है, इसलिए बैंक TDS काटने के योग्य नहीं होगा।

इस रूप में भी समझा जा सकता है कि अनुराग के पास 6% वार्षिक ब्याज दर के साथ 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट है। उसे प्रतिवर्ष 60,000 रुपये का ब्याज मिलता है। बैंक पूरे 60,000 रुपये पर 10% यानी 6000 रुपये का टीडीएस काटेगा। यहां टीडीएस की निर्धारित दर 10% होगी।

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