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Falgun Month 2024: जानिए फागुन महीने का महत्व, व्रत और त्यौहार

Falgun Month 2024: फाल्गुन मास का आगमन होते ही प्रकृति में नई चाहत और उमंग भर जाती है। ठंड का मौसम लुप्त होने लगता है और वसंत की आहट सुनाई देने लगती है। फाल्गुन मास में अनेक त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं। यह मास हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का बारहवां मास होता है। 

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फाल्गुन / Falgun मास 2024 में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं फाल्गुन मास के कुछ प्रमुख व्रतों, महत्व और त्योहारों के बारे में:

फागुन महीने का महत्व

फागुन माह हिंदू धर्म में इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है, इसके कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दें -

फागुन मास में महाशिवरात्रि और होली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, इसलिए इस माह को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

इसके अलावा, भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए इस मास में विशेष महत्व दिया जाता है, और साथ ही, भगवान के भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भी होली के दिन होलिका का दहन किया जाता है। 

इसके अतिरिक्त, देशभर के लोग इसे रंग वाली होली के रूप में मनाते हैं, जो भेदभाव को भूलकर सांस्कृतिक एकता का महत्व दर्शाता है। 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, फागुन मास की पूर्णिमा को अत्रि और अनुसूया के पुत्र चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी, और इसलिए इस दिन को चंद्रोदय की पूजा के साथ मनाया जाता है। 

क्योंकि यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है, इसलिए अधिकांश धार्मिक वार्षिकोत्सव इस माह में ही आयोजित होते हैं। 

दक्षिण भारत में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को उत्तिर नामक मंदिरोत्सव भी आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, यदि फाल्गुन द्वादशी को श्रवण नक्षत्र युक्त हो, तो इस दिन को भगवान विष्णु का उपवास करने की परंपरा भी मान्यता प्राप्त है।

फाल्गुन मास के प्रमुख व्रत व त्यौहार

इस महीने, प्राकृतिक ऊर्जा का प्रचार दृश्यमान होता है, जिससे लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इसी ऊर्जा और उत्साह से लोग फाल्गुन में इन प्रमुख त्योहारों का आयोजन करते हैं -

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: इस साल, फागुन संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी 2024 (बुधवार) को है। इस संकष्टी को द्विजप्रिय संकष्टी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन, आप बुद्धि के देवता गणेश की पूजा कर सकते हैं, जिससे आपको उनकी कृपा प्राप्त होगी।

जानकी जयंती (सीता अष्टमी): फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस अष्टमी को जानकी जयंती और सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व 4 मार्च 2024 (सोमवार) को मनाया जाएगा।

विजया एकादशी: फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, विजया एकादशी पर्व 7 मार्च 2024 (गुरुवार) को मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की पूजा का यह महापर्व मनाया जाता है। इस बार यह 8 मार्च 2024 (शुक्रवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें - देवों के देव महादेव की पूजा का पर्व महाशिवरात्रि

फागुन​ अमावस्या: फाल्गुनी अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है। दान, पुण्य, तर्पण आदि के लिए अमावस्या के दिन को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। 10 मार्च 2024 (रविवार) को यह दिन मनाया जाएगा।

फुलैरा दूज: फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर वर्ष फुलैरा दूज मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 12 मार्च 2024 (मंगलवार) को मनाया जाना है। इसे फाल्गुन मास में सबसे पावन दिन माना जाता है, जिस दिन कोई भी कार्य किया जा सकता है। फुलैरा दूज के दिन राधे श्याम की आराधना की जाती है।

आमलकी एकादशी: फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी नाम से जाना जाता है। इस उपवास को करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सुख, समृद्धि, और मोक्ष की कामना के लिए इस दिन उपवास किया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। रात्रि को जागरण करते हुए द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस बार 20 मार्च 2024 (बुधवार) को यह व्रत रखा जाएगा।

होली: फाल्गुन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है, जिस दिन होलिका पूजन किया जाता है और सांय के समय होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 (रविवार) को किया जाएगा। होली दहन के अगले दिन, 25 मार्च 2024 (सोमवार), रंग वाली होली खेली जाएगी। होली का डंडा मघा पूर्णिमा के दिन गाड़ा जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तक इसके इर्द-गिर्द झाड़ व लकड़ियां इकट्ठी की जाती हैं। होलिका दहन के समय, जब दहकती हुई होली से भक्त प्रह्लाद को डंडे की आग से बचाया जाता है, आम तौर पर डंडा एरंड या गूलर वृक्ष की टहनी से बनाया जाता है।

आशा करता हूं आपको फाल्गुन मास 2024 के व्रतों और त्यौहारों के बारे में जानकारी पसंद आई होगी। यह महीना हिंदू धर्म, संस्कृति और परंपरा की अमूल्य विरासत को दर्शाता है। 

फाल्गुन का महीना खुशियों और उत्सव का प्रतीक है। प्रकृति में हरियाली लौटने लगती है और पंछियों की चहचहाहट सुनाई देने लगती है। नए फसलों को तैयार करने का समय होता है। चारों ओर प्रसन्नता और आनंद का वातावरण नजर आता है।  

फाल्गुन के महीने की सुहावनी सुगंध और मधुर शीतल हवाएं मन को भाती हैं। मानो प्रकृति की गोद में बैठकर मनुष्य अपने परम आनंद का अनुभव कर रहा हो। फाल्गुन में मनाए जाने वाले उत्सव इस आनंद को और भी बढ़ा देते हैं।  

आइए, इस बहार का पूरा आनंद उठाते हुए अपने परिवार और दोस्तों के साथ फाल्गुन मास के त्यौहारों का जश्न मनाएं!

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