इस वर्ष के बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसा कैलकुलेशन किया है जिससे आने वाले दिनों में आपके होम लोन की कीमत में कमी हो सकती है। बजट में सरकार ने हाउसिंग सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया है, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लक्ष्य को बढ़ाया गया है और मिडिल क्लास के लिए नई स्कीमें लाने का एलान किया गया है, इसका मतलब है कि होम लोन की मांग भी बढ़ने वाली है।
वास्तविकता में, सरकार ने बजट में अपने राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य रखा है। इसे सरल शब्दों में समझें तो सरकार ने अपनी कमाई के अनुपात में ज्यादा खर्च करने की आदत को छोड़कर अपने घाटे को कम करने का लक्ष्य स्थापित किया है। इससे एक फायदा आम आदमी को भी होगा और आपका होम लोन उससे सस्ता हो सकता है। आखिरकार, इसके पीछे का कैलकुलेशन क्या है, यह बात समझने लायक है...
घटा कम करने से ब्याज में कमी होगी
नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) को कम करके जीडीपी को 5.1 प्रतिशत के बराबर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य सरकार के मौजूदा फिस्कल डेफिसिट की 5.8 प्रतिशत से काफी कम है। अब इससे यह साबित होता है कि सरकार, अपने घाटे कम करने के लिए मार्केट से कम पैसा उठाकर कम लोन लेगी। ऐसे में मार्केट की लिक्विडिटी में सुधार होगा, जिससे मार्केट को इंटरेस्ट रेट को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।
इसे यह भी समझा जा सकता है कि जब लोन मार्केट में 100 रुपए होते हैं और सरकार अपने व्ययों को पूरा करने के लिए उससे कुछ हिस्सा खुद लेती है, तो उस 100 रुपए में से एक बड़ा हिस्सा सरकार का हो जाता है। इससे सरकार और अन्य ऋण लेने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे बाजार में ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।
यह साइकिल पूरी करनी होती है
सरकार जब अधिक लोन लेती है और फिर मार्केट में इसे खर्च करती है, तो निजी कंपनियाँ अपने निवेश को कम कर देती हैं, जिसे मार्केट में 'क्राउडिंग आउट' कहा जाता है। ऐसे में अगर सरकार अपने घाटे को कम करती है, तो लोन मार्केट से एक बड़ा कर्जदार हट जाता है। इससे निजी निवेश बढ़ता है, जिसे 'क्राउडिंग इन' कहा जाता है।
इस पूरे साइकिल से भारतीय रिजर्व बैंक को रेपो रेट को कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि इसके बाद वह मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने का कार्य करती है। इसके कारण बैंकों की ब्याज दरें कम होती हैं और लोगों के लिए होम लोन सस्ता होता है।