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Ekadashi 2024: कब है एकादशी का व्रत? जानें तिथियाँ और पूजा विधि

Ekadashi 2024: हिन्दू धर्म में कई विशेष त्योहार और तिथियाँ महत्वपूर्ण होती हैं। इनमें से एक, एकादशी, सबसे प्रमुख तिथि मानी जाती है। एकादशी का व्रत या उपवास करना बहुत आवश्यक माना जाता है। यह तिथि हिन्दू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि पर आती है, और इसे ग्यारस भी कहा जाता है। एक माह में इस तिथि का दो बार आगमन होता है, पहली एकादशी पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आती है और दूसरी एकादशी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है। हिन्दू शास्त्रों में इस व्रत का विवेचन किया गया है कि एकादशी व्रत लगभग 48 घंटे तक चलता है, क्योंकि उपवास एकादशी की पूर्व संध्या से शुरू होता है और एकादशी / Ekadashi के अगले दिन सूर्य के उदय तक रहता है।

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Ekadashi व्रत को शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व दिया गया है। हिन्दू धर्म में, Ekadashi Vrat को सभी व्रतों में सबसे प्रमुख माना जाता है। इसका मतलब है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस व्रत को रखने वालों के लिए कुछ सख्त नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए, सभी नियमों का पालन करता है और इस उपवास को श्रद्धा से रखता है, वह निश्चित ही इसके अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है। Ekadashi 2024 की तिथियों से संबंधित इस लेख में आप एकादशी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियाँ और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आइए एक नजर डालते हैं 2024 में पड़ने वाली Ekadashi की तिथियाँ पर:

वर्ष 2024 में एकादशी की तिथियाँ कब-कब हैं? (Ekadashi 2024 की तारीखें)

साल 2024 में कुल 24 Ekadashi Vrat हैं। यह सफला एकादशी से 07 जनवरी को शुरू होकर साल की आखिरी Ekadashi भी सफला एकादशी है।

07 जनवरी 2024: सफला एकादशी

  • 07 जनवरी 2024, को रात 12 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 08 जनवरी 2024, को रात 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा। 

20 जनवरी 2024: पौष पुत्रदा एकादशी

  • 20 जनवरी 2024, को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 21 जनवरी 2024, को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। 

05 फरवरी 2024: षटतिला एकादशी

  • 05 फरवरी 2024, को शाम 05 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 06 फरवरी 2024, को शाम 04 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा।

19 फरवरी 2024: जया एकादशी 

  • 19 फरवरी 2024, को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 20 फरवरी 2024, को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा।

06 मार्च 2024: विजया एकादशी

  • 06 मार्च 2024, को सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 07 मार्च 2024, को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगा।

20 मार्च 2024: आमलकी एकादशी

  • 20 मार्च 2024, को रात 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 21 मार्च 2024, को रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा।

04 अप्रैल 2024: पापमोचिनी एकादशी

  • 04 अप्रैल 2024, को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 05 अप्रैल 2024, को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगा।

18 अप्रैल 2024: कामदा एकादशी 

  • 18 अप्रैल 2024, को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 19 अप्रैल 2024, को रात 08 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगा

03 मई 2024: बरूथिनी एकादशी

  • 03 मई 2024, को रात 11 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 04 मई 2024, को रात 08 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा।

18 मई 2024: मोहिनी एकादशी

  • 18 मई 2024, को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 19 मई 2024,को दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगा।

02 जून 2024: अपरा एकादशी

  • 02 जून 2024, को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 03 जून 2024, को रात 02 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।

02 जून 2024: वैष्णव अपरा एकादशी

  • 02 जून 2024, को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 03 जून 2024, को रात 02 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।

17 जून 2024: निर्जला एकादशी

  • 17 जून 2024, को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, माप्त - 18 जून 2024, को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा।

01 जुलाई 2024: योगिनी एकादशी 

  • 01 जुलाई 2024, को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 02 जुलाई 2024, को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा।

16 जुलाई 2024: देवशयनी एकादशी

  • 16 जुलाई 2024, को रात 08 बजकर 33 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 17 जुलाई 2024, को रात 09 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगा।

30 जुलाई 2024: कामिका एकादशी 

  • 30 जुलाई 2024, को शाम 04 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 31 जुलाई 2024, को दोपहर 03 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा।

15 अगस्त 2024: श्रावण पुत्रदा एकादशी

  • 15 अगस्त 2024, को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 16 अगस्त 2024, को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा।

29 अगस्त 2024: अजा एकादशी 

  • 29 अगस्त 2024, को रात 01 बजकर 19 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 30 अगस्त 2024, को रात 01 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा।

13 सितंबर 2024: परिवर्तिनी एकादशी

  • 13 सितंबर 2024, को रात 10 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 14 सितंबर 2024, को रात 08 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। 

27 सितंबर 2024: इन्दिरा एकादशी

  • 27 सितंबर 2024, को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 28 सितंबर 2024, को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा।

13 अक्टूबर 2024: पापांकुशा एकादशी

  • 13 अक्टूबर 2024, को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 14 अक्टूबर 2024, को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा।

27 अक्टूबर 2024: रमा एकादशी 

  • 27 अक्टूबर 2024, को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 28 अक्टूबर 2024, को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगा।

11 नवंबर 2024: देवुत्थान एकादशी

  • 11 नवंबर 2024, को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 12 नवंबर 2024, को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगा।

26 नवंबर 2024: उत्पन्ना एकादशी

  • 26 नवंबर 2024, को रात 01 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 27 नवंबर 2024, को सुबह 03 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा।

11 दिसंबर 2024: मोक्षदा एकादशी/ गुरुवायुर एकादशी

  • 11 दिसंबर 2024, को सुबह 03 बजकर 42 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 12 दिसंबर 2024, को रात 01 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगा।

25 दिसंबर 2024: सफला एकादशी

  • 25 दिसंबर 2024, को रात 10 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगा और अगले दिन, 27 दिसंबर 2024, को रात 12 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगा।

आइए जानते हैं Ekadashi के Vrat की कहानी 

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प्रत्येक व्रत का आयोजन किसी न किसी धार्मिक कारण से किया जाता है। एकादशी व्रत के पीछे भी कई कहानियां छुपी होती हैं। प्रत्येक एकादशी व्रत की अपनी विशेष कहानी होती है, और सभी व्रतों के लिए अनूठी कहानियां होती हैं।

Ekadashi Mantra

Ekadashi पूजा के समय, भगवान विष्णु का मंत्र जप किया जाता है:

 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' 

इसके अलावा, हरे कृष्ण महामंत्र को 108 बार जप करने का भी सुझाव दिया जाता है। Mantra इस प्रकार है:

“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे या हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।”

श्रद्धालु सुबह और शाम की पूजा के समय, एकादशी माता की आरती भी कर सकते हैं।

Ekadashi Vrat का महत्व

धार्मिक पुराणों के अनुसार, Ekadashi तिथि को भगवान विष्णु की पूजा का महत्व होता है। माना जाता है कि Ekadashi Tithi भगवान विष्णु के लिए विशेष रूप से प्रिय है। इसलिए, एकादशी व्रत सभी व्रतों में विशेष और प्रभावशाली माना जाता है। पुराणों के अनुसार, एकादशी व्रत / Ekadashi Vrat करने से व्यक्ति को मौत का भय नहीं होता है, क्योंकि इस व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत काल में युधिष्ठिर को बताई थी। Ekadashi व्रत से जातक को मोक्ष प्राप्त हो सकता है और सभी कार्यों की सफलता की आशा बढ़ जाती है। इसके साथ ही, दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त होती है। अगर किसी को अकाल मृत्यु का भय है तो यह व्रत उसे इस भय से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकता है। इस व्रत से धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त हो सकता है।

आइए जानते हैं एकादशी व्रत की Puja Vidhi

Ekadashi Vrat रखने का नियम बहुत ही कठिन होता है, जिसमें व्रती को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास करना पड़ता है। इस व्रत को किसी भी आयु और लिंग के व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से रख सकता है। एकादशी व्रत रखने वालों को दशमी (Ekadashi से एक दिन पहले) के दिन से कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।

  • दशमी के दिन से ही व्रती को मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल, और शहद जैसे आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और रात्रि के समय भोग और विलास से दूर रहना चाहिए।
  • एकादशी के दिन सुबह, ब्रश के लिए लकड़ी का दातून इस्तेमाल करना अच्छा नहीं है। आप इस दिन जामुन, नींबू, या फिर आम के पत्तों को चबाकर मुँह साफ कर सकते हैं, और अपनी उँगली से कंठ (गला) को साफ कर सकते हैं। इस दिन वृक्ष से पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है, इसलिए आप स्वयं से नीचे गिरे हुए पत्तों का ही उपयोग कर सकते हैं। आप सादे पानी से कुल्ला कर सकते हैं।
  • आप नहाने के बाद मंदिर में जाकर गीता का पाठ कर सकते हैं। 
  • इस व्रत के समय, भगवान विष्णु की स्मृति और उनकी पूजा का अभ्यास करें। ईश्वर के प्रति पूर्ण श्रद्धाभाव से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:" मंत्र का जाप करें। इस दिन दान देने का भी महत्व है, इसलिए अपनी संभावना के अनुसार दान करें। 
  • Ekadashi के बाद का दिन, जिसे द्वादशी कहा जाता है, वह भी सामान्य दिन की तरह होता है। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करके और सामान्य भोजन करके व्रत को समाप्त करते हैं। सुबह जल्दी नहाकर, उन्हें इस धार्मिक आचरण का पालन करना चाहिए। इस दिन, ब्राह्मणों को मिष्ठान और दक्षिणा देने की परंपरा है। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि श्रद्धालु एकादशी के पूर्व ही व्रत का पारण कर लें, और उन्हें कोई भूल नहीं करनी चाहिए कि वे एकादशी व्रत के नियमों का पूरी तरह से पालन करें और कोई भी अतिक्रमण ना हो।

Ekadashi व्रत का भोजन

शास्त्रों के अनुसार व्रती व्यक्ति को एकादशी के दिन, इन कुछ वस्तुओं और मसालों का सही तरीके से प्रयोग करके, अपने व्रत का भोजन भी कर सकते हैं, जैसे:

  • ताजगी से भरपूर फल, मेवा, चीनी, कुट्टू, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद।

Ekadashi Vrat का आहार पूर्णतः फलाहारी होना चाहिए। कुछ लोग इस व्रत को बिना पानी पीते भी रखते हैं, जिसे निर्जला एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।

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एकादशी के दिन ध्यान रखने लायक बातें।

  1. क्रोध को छोड़ें: हर मिलने जुलने वाले व्यक्ति से प्यार और मीठेपन के साथ वार्ता करें। एकादशी व्रत के दिन, किसी भी पर क्रोध न आने दें। यदि बिना किसी कारण के गुस्सा आ रहा है, तो आप उसे नियंत्रित करें।
  2. भोजन के समय इन चीजों का उपभोग न करें: एकादशी उपवास के दिन, मांस, मछली, लहसुन, प्याज, आदि को त्यागें। अपने भोजन में इन आदतों को शामिल न करें, क्योंकि इनका सेवन आपके व्रत को प्रभावित कर सकता है।
  3. ब्रह्मचर्य का पालन करें: अगर आप चाहते हैं कि आपका व्रत पूर्ण हो, तो आपको पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। रात्रि में भोग-विलास से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।
  4. मंदिर यात्रा करें: जब आप स्नान कर लें, तो उसके बाद आप मंदिर जाएं और वहां गीता का पाठ करें। इसके अलावा, यदि आप इच्छा करें, तो पुरोहित जी से भी गीता पाठ सुन सकते हैं।
  5. भगवान के सामने प्रणाम करें: भगवान के सामने खड़े होकर यह संकल्प लें कि किसी भी व्यक्ति के दिल को दुखाने का संकल्प नहीं करेंगे, और रात में कीर्तन और जागरण में अपना समय बिताएंगे। इसके बाद, भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि हे प्रभु, मुझे मेरे प्रण का समापन करने की शक्ति दें।
  6. बाल कटवाने से बचें: इस दिन, आपको अपने बालों को बिलकुल भी कटवाने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपके बाल बहुत अधिक बढ़ रहे हैं, तो आप इस दिन से पहले ही अपने बाल कटवा लें।
  7. इन फलों का उपयोग करें: इस दिन, आप केला, आम, और अंगूर जैसे मीठे फलों का आनंद उठा सकते हैं। इसके साथ ही, आप बादाम और पिस्ता भी शामिल कर सकते हैं। याद रखें, इन चीजों के अलावा किसी भी अन्य प्रकार की खाद्य सामग्री का सेवन न करें।

एकादशी के दिन यह कार्य न करें।

  • वृक्षों से पत्तियाँ नहीं तोड़नी चाहिए।
  • घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए क्योंकि यह चीटियों और छोटे-छोटे जीवों के मरने का खतरा बढ़ाता है और इस दिन जीव हत्या करने से पाप हो सकता है।
  • एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
  • किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रदान किया हुआ भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं होना चाहिए।

आशा करता हूँ दोस्तो यह लेख आपको 2024 की एकादशी के बारे में जानकारी देने के लिए पर्याप्त होगा। एकादशी व्रत आपके जीवन का आनंद और समृद्धि ला सकता है। धन्यवाद!

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