दीपावली के दिन रात तक पटाखों की धूप गूंथी रही। आतिशबाजी में बच्चों और युवाओं ने अपना उत्साह प्रकट किया। उन्होंने आवाज वाले पटाखों के साथ-साथ रोशनी करने वाले पटाखों जैसे फुलझड़ी, चरखी, और अनार को जलाकर खुशी का इजहार किया। कारोबारियों की मानें तो इस दिन डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के पटाखों की बिक्री हुई।
पटाखा बाजार में 47 दुकानें स्थापित की गई थीं। लोगों ने बम, सात, अठारह आदि आवाज वाले पटाखों के साथ-साथ चटाई, राकेट, अनार जैसे आइटमों की खरीददारी की। बच्चों ने भी फुलझड़ी, हंटर, चरखी, और लाइटिंग आदि के पटाखों को खूब बिकते देखा। इस बार पटाखों की कीमतों में वृद्धि हुई है। चटाई 40 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक की दर में बिकी। चरखी प्रति पीस के पांच रुपये और पैकेट की दर प्रति पैकेट पांच सौ रुपये से है।
अनार दस रुपए से पाँचीस रुपये तक प्रति पीस बिकी, राकेट बीस रुपए से पचास रुपये तक प्रति पीस की मूल्यवर्धन हुई। रोशनी वाले पटाखों में फुलझड़ी तिस से तीस पाँच रुपए से तीस पंध्रह सौ रुपये प्रति पैकेट की मूल्यवर्धन हुआ। दुकानों पर सुतली वाले बम, सात आवाज, अठारह आवाज आदि कीमतें अलग-अलग थीं। व्यापारी आकाश गुप्ता ने बताया कि इस बार पटाखों के दामों में कुछ वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, "मैंने तीन दिनों में 1.20 लाख रुपये के पटाखे बेचे हैं। मेरे कई साथी ने तीन से साढ़े तीन लाख तक के पटाखे बेचे हैं।
इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में मुहम्मदाबाद, जमानिया, रेवतीपुर, खानपुर, औड़िहार, सादात, भीमापार, नंदगंज, करंडा, मरदह, आदि क्षेत्र की बाजारों में भी पटाखों की दुकानों पर चहल-पहल थी। पटाखा कारोबारियों का अनुमान है कि दीपावली पर लोगों ने डेढ़ करोड़ रुपये के पटाखों को खरीदा है। इसमें शहर में अकेले 70-80 लाख रुपये के पटाखों की खरीदी होने का अनुमान है।
शाम को आतिशबाजी का जो सिलसिला शुरु हुआ वह देर रात तक चलता रहा। एक तरफ जहां बमों की आवाज गूंज रही थी, वहीं रंग-बिरंगे रोशनी करने वाले पटाखे आसमान में सतरंगी छटा बिखेर रहे थे। चटाई लगाने के बाद कई जगह पर आवागमन करने वालों को रोक दिया जा रहा था।