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जानिए जीवित्पुत्रिका/Jitiya व्रत की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त और कथा

Jitiya Jivitputrika Vrat 2023: जीवितपुत्रिका व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है जो विवाहित महिलाओं द्वारा उनके बच्चों के दीर्घायु और भलाइयत के लिए माना जाता है। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन को मनाया जाता है। इस व्रत को जीतिया और सोलह जीतिया व्रत/Jitiya Vrat भी कहा जाता है। व्रती महिलाएं ने आज पूरे धर्मानुसार पूजा-अर्चना की और व्रत की विधि को पालन करने की शुरुआत की। जानकारी के अनुसार जीवितपुत्रिका व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। 

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इस व्रत के माध्यम से माताएं अपने बच्चों और परिवार के लिए दीर्घायु, सफलता, सुखमय और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। इस दिन, माताएं पूरे दिन के लिए सख्त उपवास रखती हैं और उसे रात के आसमान में तारों को देखकर ही तोड़ती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और इस पुण्य व्रत के पीछे की कथा जानने के लिए आगे पढ़ें।

कब है जितिया व्रत 2023: When is Jitiya Vrat 2023 

जीवितपुत्रिका/Jivitputrika व्रत, जिसे जीवित संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए रखा जाता है, एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को वह सभी खुशियों से भरपूर स्त्रियां करती हैं जिनके पास संतानें होती हैं। साथ ही, जो स्त्रियां बिना संतान के हैं, वे भी अपने पुत्र और पुत्री के लिए यह व्रत रखकर उनकी मंगलकामना करती हैं। 

इस व्रत को हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को प्रदोष काल में रखा जाता है, जब सूर्य छुपा होता है और शाम के आधे में होता है। इस साल यह व्रत(Jivitputrika vrat 2023 kab hai) 6 अक्टूबर 2023 को मनाया जा रहा है। इसे 24 घंटे के निर्जल व्रत के रूप में भी जाना जाता है, और इसे 'खर जीउतिया' भी कहते हैं।

Jitiya व्रत 2023 का शुभ मुहूर्त: Jivitputrika Vrat 2023 Date, Muhurat and Time

जीवितपुत्रिका व्रत के रितुअल करने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

व्रत प्रारंभ समय - अष्टमी तिथि, 06 अक्टूबर 2023 (jitiya vrat kab hai 2023) को सुबह 06:34 AM बजकर शुरू होगी

व्रत समापन समय - 07 अक्टूबर को सुबह 08:08 AM बजकर समाप्त होगी

2023 में जीवितपुत्रिका व्रत के पूजन मुहूर्त:

पहला मुहूर्त - 07:45 बजे से 09:13 बजे तक

दूसरा मुहूर्त - 09:13 बजे से 10:41 बजे तक

तीसरा मुहूर्त - 12:09 बजे से 01:37 बजे तक

चौथा मुहूर्त - 04:34 बजे से 06:02 बजे तक

जितिया व्रत क्या है? What is Jitiya Vrat

जीवितपुत्रिका व्रत या जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है जिसे महिलाएं अपने बच्चों की दीर्घायु, संपन्नता, और स्वास्थ्य की कामना के लिए रखती हैं। इस व्रत को हिन्दू पंचांग के आदान-प्रदान के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत जीविता व्रत और सोलह जीविता व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन, माताएं पूरे दिन के लिए व्रत रखती हैं और उसे रात के तारों के दिखने के बाद ही तोड़ती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस व्रत के पीछे उसके पूर्व में कई महत्वपूर्ण कथाएं और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं।

जितिया व्रत से जुड़ी पौराणिक Jitiya Vrat Katha

एक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद अपने पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था। उसके मन में बदले की भावना भड़क रही थी। इसी के चलते वह पांडवों के शिविर में घुस गया। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। वे सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं। फिर अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। 

जिसके परिणामस्वरूप, अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को गर्भ को नष्ट कर दिया। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसको गर्भ में ही पुनर्जीवित कर दिया। गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उस बच्चे का नाम जीवितपुत्रिका पड़ा। तब से ही संतान की लंबी उम्र और मंगल के लिए जितिया का व्रत किया जाने लगा। इसी कारण से इस व्रत को मनाया जाता है।

जितिया/जीवितपुत्रिका व्रत Puja Vidhi

जीवितपुत्रिका व्रत का पालन करते समय निम्नलिखित रस्में की जाती हैं:

  • सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ सफाई से कपड़े पहनें।
  • सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराने के बाद, स्नान आदि करें।
  • बिना पानी और भोजन के एक दिन का उपवास करें।
  • घर पर भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करें।
  • शिव-पार्वती और जीवितपुत्रिका व्रत के समर्पित प्रार्थनाएँ, भजन और श्लोकों का पाठ करें।
  • संध्या में भगवान शिव और देवी पार्वती को फूल, चंदन, कुमकुम, मिष्ठान और अन्य भोग दें।
  • मंत्रों का जाप करते समय तेल की दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
  • तारकिनी दृष्टि और चाँद की पान के बाद ही उपवास तोड़ें।
  • बड़े परिवार के अधिक वयस्क सजने वाले की माथे पर टीका लगाकर भक्त को आशीर्वाद देते हैं।
  • परिवार के सदस्यों के बीच प्रसाद बाँटें। सामान्यत: दूध से बने मिष्ठान या खीर का प्रसाद।

जीवितपुत्रिका व्रत माता की बच्चों के प्रति प्यार को और उनकी भगवान के प्रति भक्ति को प्रकट करता है। इन रितुअल्स का समर्पित तरीके से पालन करके, महिलाएं अपने बच्चों और परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।

जीवितपुत्रिका व्रत का महत्व: Importance of Jivitputrika Fast

पार्वतीजी ने एक स्थान पर स्त्रियों को विलाप करते हुए देखा, तो शिवजी से उसका कारण पूछा। शिवजी ने बताया कि इन स्त्रियों के पुत्रों का निधन हो गया है, इसलिए वे विलाप कर रही हैं। पार्वतीजी बहुत दुखी हुईं। उन्होंने कहा - 'हे नाथ, एक माता के लिए इससे अधिक ह्रदय विदारक क्या हो सकता है कि उसके सामने उसका पुत्र मर जाए? कृपया मुक्ति का कोई मार्ग बताएं।' 

शिवजी ने कहा - 'हे देवी, जो विधाता द्वारा रचा गया है, उसमें हेरफेर नहीं हो सकता, किंतु जीमूतवाहन की पूजा से माताएं अपनी संतान पर आए प्राणहानि संकटों को भी दूर कर सकती हैं। जो माता आश्विन मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को जीमूतवाहन की पूजा करेगी उसकी संतान के संकटों का नाश होगा।' पार्वतीजी के अनुरोध पर शिवजी ने उन मृत बच्चों को पुनर्जीवित कर दिया, इसी कारण इसे जीवितपुत्रिका व्रत कहा जाता है।

  • माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से अपने बच्चों के लंबे जीवन, समृद्धि और सुखमय जीवन का सुनिश्चित होता है। माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन की प्रार्थना करती हैं।
  • अविवाहित महिलाएं भविष्य में धार्मिक और गुणवान बच्चों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी इस व्रत का पालन करती हैं।
  • यह व्रत उन बच्चों के लिए माना जाता है जिन्होंने बुद्धि की आयु प्राप्त कर ली है और अपने कर्मों की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
  • 'जीवित' शब्द का अर्थ होता है 'जीवित' और 'पुत्रिका' का अर्थ होता है 'बेटी'। इसलिए, जीवितपुत्रिका का मतलब होता है कि अपने बच्चों के लंबे जीवन की प्रार्थना करना।

जितिया व्रत/Jitiya Vrat से जुड़ी मान्यताएं:

जितिया व्रत के पारण के समय, महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया के ताबीज को भी धारण करती हैं।

जितिया व्रत की पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद, यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के रूप में लगाया जाता है।

जीवितपुत्रिका व्रत को रखने से पहले कुछ जगहों पर महिलाएं गेहूं के आटे की रोटियां खाने की बजाए मरुआ के आटे की रोटियां भी खाती हैं। इस परंपरा का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे सदियों से पाला जा रहा है।

इस व्रत से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिससे व्रती के शरीर को पोषण सामग्री की कमी नहीं होती।

सनातन धर्म में पूजा-पाठ में मांसाहार का सेवन वर्जित माना गया है। हालांकि, इस व्रत की शुरुआत बिहार में कई जगहों पर मछली खाकर की जाती है। कहते हैं कि इस परंपरा के पीछे जीवितपुत्रिका व्रत की कथा में वर्णित चील और सियार का होना है।

जीवित्पुत्रिका व्रत में इन बातों पर ध्यान दें:

इस व्रत को मनाने से पहले नोनी के साग को खाने की परंपरा भी है। कहा जाता है कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिससे व्रती के शरीर को पोषण सामग्री की कमी नहीं होती।

इस व्रत के पारण के बाद, महिलाएं जितिया के लाल रंग के धागे को गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया के ताबीज को भी धारण करती हैं।

पूजा के दौरान, सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद, यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के रूप में लगाया जाता है।

जितिया व्रत में क्या खाना चाहिए: Jitiya Vrat me Kya Khana Chahiye

जीवितपुत्रिका व्रत में आमतौर पर निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं पूरे दिन बिना भोजन और पानी के रहती हैं। इस व्रत के दौरान भोजन न करने के बावजूद, व्रती अक्सर पूजा के समय प्रसाद के रूप में कुछ खाती हैं।

जीवितपुत्रिका व्रत के प्रसाद के रूप में आमतौर पर निम्नलिखित आहार का उपयोग किया जाता है:

  • खीर: खीर व्रत के पारण के लिए बहुत ही प्रमुख होता है। यह दूध, चावल, शक्कर, और घी से बनता है और व्रती महिलाओं को ऊर्जा प्रदान करता है।
  • फल: व्रती महिलाएं फल जैसे की सेब, केला, अंगूर, और खजूर खा सकती हैं, जो पौष्टिक होते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • नारियल पानी: नारियल पानी भी व्रत के दौरान पी सकती हैं, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

यदि कोई व्रती खाने की अनुमति पर अस्थायी ब्रेक करना चाहते हैं, तो वे ऊपर दिए गए प्रसाद के आहार का उपयोग कर सकते हैं। ध्यान दें कि व्रत के दौरान अनाज, उपवास की चीजें, और नॉन-वेज का सेवन नहीं किया जाता है।

खीर से करें जितिया व्रत का पारण

व्रत का पारण खीर से करना विशेष आदर्श होता है। जितिया व्रत का पारण करते समय, महिलाएं आमतौर पर खीर को बहुत ही महत्वपूर्ण मानती हैं। खीर को व्रत की पूजा का प्रसाद माना जाता है और इसे भगवान के आशीर्वाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

खीर को बनाने के लिए, दूध, चावल, शक्कर, और घी का उपयोग किया जाता है। खीर को मिलाकर पकाने के बाद उसमें द्राक्ष, नारियल, और खजूर का उपयोग किया जा सकता है, जो खीर को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाते हैं।

खीर का पारण व्रती महिलाओं के लिए एक समर्पण का प्रतीक होता है और इससे उनके व्रत की मांगलिकता और पूरी होती है। खीर का पारण करते समय, महिलाएं अपने परिवार और बच्चों के लिए सुख-शांति की कामना करती हैं, और इसे एक प्रेम और समर्पण का प्रतीक मानती हैं।

निष्कर्ष: Conclusion

जीवितपुत्रिका व्रत को माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घ जीवन की प्रार्थना के रूप में स्वार्थहीन रूप से मानती हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तक भोजन और पानी के बिना उपवास करके, वे सच्ची संघर्षशीलता और इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करती हैं। यह प्राचीन उपवास आज के समय में भी मजबूत मातृशक्ति की अकाली अमूल्य मूल्यों का पालन करता है। इसे भक्ति के साथ अनुसरण करने से मां की प्यारी आशीर्वाद मिल सकता है, जो उसके बच्चों के लिए एक अदृश्य ढाल के रूप में कार्य कर सकते हैं।

FAQs

2023 जितिया व्रत कब है?

जितिया व्रत 2023 में शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023 को है।

जितिया व्रत क्यों मनाया जाता है?

जीवितपुत्रिका व्रत, जिसे जीविता व्रत भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु, स्वस्थता, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 डेट एंड टाइम क्या है? 

इस व्रत का आयोजन 6 अक्टूबर 2023 को होगा। शुभ मुहूर्त: व्रत की शुरुआत - सुबह 6:34 बजे, व्रत का पारण - सुबह 8:08 बजे

जितिया व्रत में क्या खाना चाहिए? 

जीवितपुत्रिका व्रत में आमतौर पर निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं पूरे दिन बिना भोजन और पानी के रहती हैं। खीर, फल और नारियल पानी आहार का उपयोग कर सकते हैं।

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