बच्चों को पालने के लिए हर रोज़ माता-पिता को नए कदम उठाने पड़ते हैं। उन्हें सिर्फ पढ़ाई और लेखन के अलावा, विश्वज्ञान भी सिखाना आवश्यक है, ताकि बच्चा हर क्षेत्र में आगे बढ़ सके। आजकल, टीनएज में बच्चे पढ़ाई और करियर के बोझ से घिरे रह जाते हैं, जिससे वे जल्दी ही तनाव और अवसाद का शिकार हो जाते हैं।
इस प्रकार के बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। इसलिए, महत्वपूर्ण है कि बच्चों को पढ़ाई, स्कूल और उनके आसपास के माहौल में होने वाले बदलावों को महसूस कराया जाए और यदि बच्चा प्रेशर, यानी मानसिक तनाव, महसूस कर रहा है तो उसे सही तरीके से प्रबंधित करना सिखाया जाए। ताकि वह बड़े होने पर हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर सके। अगर आपका बच्चा किसी चीज के लिए चिंतित है और तनाव महसूस कर रहा है, तो उसे इन तरीकों से स्ट्रेस-मुक्त रहना सिखाएं।
पर्याप्त मात्रा में नींद बच्चे के मानसिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, अपने बच्चे के बेडटाइम को नियमित करें, चाहे वह स्कूल के दिन हों या छुट्टियों के। यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी नींद पूरी हो, और उनका मानसिक स्वास्थ्य सुधरे। जिन बच्चों को पर्याप्त नींद मिलती है, उनमें चिढ़चिढ़ापन, उतावलापन, और तनाव कम होता है। ऐसे बच्चे अच्छे से अपनी पढ़ाई और खेल-कूद में मन लगा सकते हैं।
आहार पर विशेष ध्यान दें
अगर बच्चा तनाव में है और या तो कम खा रहा है या फिर अधिक खा रहा है, तो विशेष रूप से जंक फूड, चॉकलेट, और चिप्स जैसी वस्तुएं खाने की इच्छा बढ़ा देती हैं। उसके आहार में स्वस्थ आहारों को शामिल करके उसके खाने के व्यवहार में सुधार करें।
खेलने को प्रोत्साहित करें। बच्चे को बाहरी खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। ऑनलाइन गेमिंग बच्चों में नींद की कमी, तनाव, चिढ़चिढ़ापन, और आक्रमकता बढ़ा सकता है, इसलिए उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
आजकल काम करने वाले माता-पिताओं को अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का समय कम मिलता है, जिसके कारण बच्चे अकेलेपन का सामना करते हैं और स्ट्रेस का सामना करते हैं। अपने बच्चे के साथ कुछ समय बिताने का प्रयास करें। रोज़ाना उनके साथ बैठकर बातचीत करें, जिससे वे अपनी भावनाओं को साझा करें। इससे आपको यह भी पता चलेगा कि बच्चा किसी मानसिक समस्या का सामना नहीं कर रहा है।
बच्चे के डर को दूर करने का प्रयास करें
अगर बच्चा किसी चीज से डरता है, तो उसे डांटने-फटकारने या 'तुम्हें शर्म आनी चाहिए, इस चीज से डरते हो' जैसे शब्दों का उपयोग करने की बजाय, उसके डर को दूर करने का प्रयास करें। बच्चे को समझाएं कि हर किसी से ग़लतियाँ होती हैं और डरने की बजाय उससे सामना करने के बारे में विचार करें।
उन्हें हर स्थिति में नकारात्मक बातों की जगह पॉजिटिव सोचने की कला को सीखाएं। कई बार बच्चे अपने कार्रवाईयों का परिणाम नकारात्मक दृष्टिकोण से सोचकर ही परेशान और स्ट्रेसित हो जाते हैं। इसलिए, उन्हें पॉजिटिव सोचने की आदत को समझाएं। इससे उन्हें चिंता और तनाव को दूर करने में मदद मिलेगी।