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जानें भगवान परशुराम जी का इतिहास और मंदिर तक कैसे पहुँचें

बाबा परशुराम जी का इतिहास: History of Baba Parshuram

वैदिककाल में, गाजीपुर (जिसे पहले गाधीपुर- Gadipur के नाम से जाना जाता था) में राजा गाधि की सत्ता थी। सप्तर्षियों में संगणना की जाने वाले ऋचीक ऋषि के पुत्र जमदग्नि ऋषि थे, और इनके पांच पुत्रों में एक पुत्र था परशुराम। इनकी माता का नाम रेणुका था। परशुराम भगवान् का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। उनके जन्मदिन को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के रूप में मनाया जाता है और आमतौर पर लोग परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) के नाम से भी पहचानते हैं।

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हिन्दू धर्म के अनुसार, अक्षय तृतीया को सोने की खरीदारी की जाती है और साथ ही इस दिन कोई भी शुभ कार्य मुहूर्त और लग्न के बिना किया जाता है, जैसे कि शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नई वस्तुओं की खरीदारी आदि। ऋषि जमदग्नि का आश्रम भी यहीं स्थित है, जो कस्बा के गंगा तट पर बलुआ घाट (Balua Ghat) नामक स्थान पर स्थित है।

बलुआ घाट, जिसे हम ज़मानिया कस्बा (Zamania Kasba) या पूरा जमदग्नि क्षेत्र भी कह सकते हैं, उत्तर वाहिनी गंगा नदी के तट पर स्थित है। हिन्दू मान्यता में, गंगा के उत्तर वाहिनी तट पर होने का महत्व अपने आप में गरिमा और आस्था का केंद्र बन जाता है। यह नगर या पूरा जमदग्नि क्षेत्र ही अत्यंत प्राचीनतम नगर के रूप में प्रसिद्ध है।

हम बात कर रहे थे कि परशुराम मंदिर का स्थान स्थानीय ज़मानिया कस्बा के हरपुर नामक ग्राम में है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 24 (National Highway 24) के किनारे स्थित है। हिन्दू धर्म के अनुसार, परशुराम जी को विष्णु के दस अवतारों में से छठवां अवतार माना जाता है।

ये शिव भक्त थे और उनके पास शिव जी द्वारा प्रदत्त एक दिव्य धनुष था, जिसे मिथिला के नरेश राजा जनक को भेंट स्वरूप में दिया गया था। उसी धनुष को सीता स्वयंवर (Sita Swayamvar) में श्री राम जी ने तोड़ दिया था, जिससे परशुराम जी क्रोधित हो गए और अपने परशु को उठा लिया, इससे लक्ष्मण-परशुराम संवाद प्रसिद्ध हुआ।

Also Read: जानें भगवान परशुराम मंदिर के बारे में, हरपुर जमानियां, जनपद गाजीपुर

परशुराम माता-पिता भक्त थे। इनके प्रमुख शिष्य भीष्म, गुरु द्रोण और कर्ण थे। इस मंदिर के परिसर में आपको अत्यंत शुभकामनाएं मिलेंगी। यहां स्थानीय लोगों का मानना है कि बाबा परशुराम और उत्तरवाहिनी गंगा के तट होने से इस क्षेत्र के लोग कभी भी भूखे पेट यानी खाली पेट सोने नहीं जाते। इसका अर्थ है कि चाहे विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़े, यहां के लोग खुशमिजाज होते हैं और जीवन को सुखमय बनाने में समर्थ हैं।

यह मंदिर चीरकाल से अत्यंत प्रसिद्ध है और स्थानीय लोगों के लिए इसकी अद्भुत मान्यता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत इस मंदिर के पूजन-अर्चन से होती है, लोग माथा टेककर अपने कार्य की प्रारंभिक रीति आदान-प्रदान करते हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि यहां श्रद्धा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है।

परशुराम मंदिर तक कैसे पहुँचें: How To Reach Parshuram Temple

सड़क मार्ग से यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर हरपुर गांव (Harpur Village) में स्थित है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ग़ाज़ीपुर को ज़मानिया कस्बा सैयदराजा (चंदौली - Chandauli) से जोड़ता है। परशुराम मंदिर तक पहुँचने के लिए विभिन्न साधनों की उपलब्धता है। आप टैम्पू, निजी वाहन या बस का उपयोग करके इस महान मंदिर के परिसर में पहुँच सकते हैं।

रेलवे स्टेशन की बात करें तो सबसे नजदीका रेलवे स्टेशन ज़मानिया रेलवे स्टेशन (Station Code - ZNA) है और यह स्टेशन प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहाँ अनेक प्रमुख ट्रेनों का ठहराव भी होता है। दूसरे स्थानों में दिलदारनगर जंक्शन (Dildarnagar Junction) और ग़ाज़ीपुर सिटी है।

नजदीकी हवाई अड्डा है वाराणसी का बाबतपुर हवाई अड्डा, जो ज़मानिया के हरपुर से 80 किलोमीटर दूर है। यहाँ ठहरने के लिए धर्मशाला और भोजन के लिए रेस्टोरेंट ज़मानिया कस्बे में उपलब्ध होंगे।

इस आश्चर्यजनक और अत्यंत प्राचीन मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य आएं। इस मंदिर के पास ही हनुमान जी और शिव जी का भी मंदिर है। कुछ दूरी पर लगभग 18 किलोमीटर दूर माता कामख्या धाम भी स्थित है, जो एक प्रसिद्ध मंदिर है।

ज़मानिया कस्बे से 2 किलोमीटर की दूरी पर लाठियां गांव (Lathiyan Village) में सम्राट अशोक महान द्वारा बनाया गया एक लाट भी है, जो वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है, और यह भी प्रमुख दर्शनीय स्थल में शामिल है।

इस क्षेत्र में भगवान् परशुराम जी मंदिर को देखने और दर्शन के लिए कम से कम एक बार अवश्य आइए।

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