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कब से शुरू है कांवर यात्रा? जानें सावन माह की तारीख, नियम और महत्व

सावन के पूरे महीने में हर दिन शिव लिंग पर पवित्र जल का अभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। सावन मास में ही कांवर यात्रा शुरू होती है और भक्त बम-बम भोले के नारे लगाते हैं। जानिए सावन 2023 कब से शुरू होगा? कांवर यात्रा कब शुरू होगी? पूरी जानकारी निम्नलिखित है।

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सावन 2023 कांवर यात्रा तिथि (Sawan 2023 Kanwar Yatra Date): सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और यह भोलेनाथ के प्रति भक्ति और समर्पण का महीना है। इस महीने में कुछ नियमों का पालन किया जाता है। सावन के पूरे महीने में हर दिन शिव लिंग पर पवित्र जल का अभिषेक विशेष महत्व रखता है। सावन मास में ही कांवर यात्रा शुरू होती है, भक्त बम-बम भोले के नारे लगाते हैं, और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। कांवर यात्रा कब से शुरू होगी? सावन का महीना कब से शुरू होगा? पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

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Kanwar Yatra Month of Sawan 2023: सावन के महीने में होती है कांवर यात्रा

सावन के महीने में होने वाली कांवर यात्रा में श्रद्धालुओं का भक्तिपूर्ण गंगा जल लेने और उससे महादेव का जलाभिषेक करने का पर्व होता है। इस परंपरा में विश्वास है कि भगवान शिव इसके कारण प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यदि आप इस साल कांवर यात्रा में जा रहे हैं, तो आपको इस यात्रा से जुड़े नियमों को जानने और उनका पालन करने की आवश्यकता है, ताकि भगवान शिव आप पर अपनी कृपा बरसा सकें।

सावन मास को हिन्दू पंचांग के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस मास में कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इसी महीने में आयोजित होने वाली एक प्रमुख कार्यक्रम है "कांवर यात्रा"। यह यात्रा सावन के महीने में हिन्दू श्रद्धालुओं द्वारा अवश्य ही पूरी की जाती है। इसमें श्रद्धालुए गंगा जल लेकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के मंदिरों की यात्रा करते हैं। वे यात्रा के दौरान लगभग 100 किलोमीटर चलकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कांवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का जोश और भक्ति दृढ़ होती है और इसे लोग समाजिक एवं धार्मिक अवसर के रूप में धारण करते हैं। यह यात्रा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

Sawan 2023 Date: सावन 2023 कब शुरू होगा?

सावन महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है और यह मासिक ऋतुओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस वर्ष, सावन महीना 59 दिनों का होगा और इस बार सावन में 8 सोमवार होंगे। यह सावन हर 19 साल में देखने को मिलता है। इस साल, अर्थात् 2023 में श्रावण मास 4 जुलाई 2023 को शुरू होगा और 31 अगस्त तक रहेगा।

When does it start in the Month of Sawan 2023?: सावन माह में कब शुरू होती है?

सावन माह की शुरुआत हर साल विज्ञानिक ज्योतिषीय पद्धति के अनुसार होती है। यह मास हिन्दी पंचांग के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सावन माह श्रावण मास के आधार पर चलता है जो हिन्दी कैलेंडर के अनुसार होता है। सावन के आगमन के साथ ही कांवर यात्रा भी प्रारंभ होती है। इस वर्ष कांवरियों को अपनी यात्रा 4 जुलाई को आरंभ करने की अनुमति है। इस पर्वतारोहण में विश्वास किया जाता है कि यह सावन मास भगवान शिव के भक्तों के लिए सुख और समृद्धि की वर्षा लाता है। अतिरिक्त मास के कारण, भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए पूरे दो महीने मिलेंगे। इस माह में कुल मिलाकर 8 सोमवार विद्यमान होंगे।

Important Rules of Kanwar Yatra 2023: कांवर यात्रा के जरूरी नियम

कांवर यात्रा के दौरान कुछ जरूरी नियम हैं:

  • साफ़-सफाई का ध्यान रखें, गंदगी न छोड़ें।
  • स्नान किए बिना कांवर को न छूएँ।
  • चमड़े की चीजें न इस्तेमाल करें और न छूएँ।
  • कांवर को ज़मीन पर नहीं रखें, उच्च स्थान पर रखें।
  • कांवर को सिर पर रखना वर्जित है।
  • पेड़ या पौधे के नीचे कांवर न रखें।
  • बाहरी स्वच्छता के साथ मन की पवित्रता भी बढ़ाएँ।
  • दिमाग साफ रखें, क्रोध और विवाद से बचें।
  • अधिक समय शिव आराधना में बिताएँ, मंत्रों का जाप करें।
  • नशे से दूर रहें, तामसिक भोजन से परहेज करें।
  • नियमों का पालन करने के साथ अपनी आस्था बनाए रखें।

Sawan 2023 FAQ

2023 कावड़ यात्रा कब से शुरू है?

कावड़ यात्रा सावन मास के पहले सोमवार से शुरू होती है। इसलिए, सावन 2023 में कावड़ यात्रा 4 जुलाई 2023 को शुरू होगा और 31 अगस्त तक रहेगा।

कावड़ यात्रा कब से शुरू हुई?

यह मान्यता है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार में गंगा स्नान करवाया था। इसलिए, यह यात्रा पहली कांवड़ यात्रा के रूप में मानी जाती है। रामायण में भी इसका उल्लेख है। हालांकि, बाद में कांवड़ यात्रा को शिव पूजन और सावन के महीने से जोड़ा गया।

सावन में कांवर का क्या महत्व है?

इस दौरान कांवड़ उठाने का विशेष महत्व बताया गया है। कांवड़ यात्रा को बहुत शुभ यात्रा माना जाता है और इस दौरान भगवान शिव को जल चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा के लिए कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर महादेव का जलाभिषेक करते हैं।

सावन में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

पुराणों के अनुसार, इस पवित्र मास के दौरान बैंगन खाने से भी बचना चाहिए क्योंकि इसे स्वीकार्य नहीं माना जाता है। सावन में दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं, लेकिन व्रत रखने वाले भक्तों को इस मास में दूध नहीं पीना चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।

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