ग्रीष्म ऋतु के इस सीजन में बीते 1 सप्ताह से पड़ रही भीषण गर्मी और उमस का असर अब हर तरफ दिखाई देने लगा है। दिन चढ़ने के साथ ही बाजारों में सन्नाटा पसरता जा रहा है। विवश होकर लोग घरों में दुबकते जा रहे हैं। लेकिन लोगों को घरों में भी ज्यादा चैन नहीं मिल पा रहा है। जीव जंतु सभी गर्मी से बेहाल दिखाई दे रहे हैं।
बीते 1 सप्ताह से लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। पारा हर दिन 42 डिग्री से ऊपर पहुंच जा रहा है। बीते रविवार के दिन तो इस पूरे ग्रीष्म ऋतु का सबसे गर्म दिन रिकॉर्ड किया गया। जिस दिन पारा 44 डिग्री के पार रहा। दिन चढ़ने के साथ ही लोगों की सक्रियता घटती जा रही है। दोपहर के समय ज्यादातर लोग छांव में आराम करते हुए बिता रहे। दुकानों और बाजारों में सन्नाटा पसरा है।
गर्मी सोख कर कंक्रीट के मकान भट्ठी की तरह तप रहे हैं। जिन्हें ठंडा होने में आधी रात से ज्यादा का समय बीत जा रहा है। इस गर्मी के बीच नम पुरवा हवा बहने और घरों में रखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की गर्मी से कूलर के सामने बैठने के बावजूद, शरीर से बह रहा पसीना नहीं रुक रहा। छत पर सोने के पहले शाम के समय लोगों को कई बाल्टी पानी से कई बार छत को भिगोना पड़ रहा है। खुले में छतों पर लगी टंकियों का पानी गर्म हो जा रहा है। इससे सबसे ज्यादा परेशान सिंगल फ्लोर के मकानों में रहने वाले लोगों को हो रहा है।
इस भीषण गर्मी के बीच जहां इंसानों को अपने सभी संसाधनों का उपयोग करने के बावजूद, चैन नहीं मिल पा रहा है। उसमें जानवरों का हाल सबसे बुरा है। भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए आवारा कुत्ते आदि नाले या नाली के अंदर घुस कर, दोपहर का समय बिताने को विवश हैं। प्यास बुझाने के लिए बंदर आदि हैंड पंप और पानी की टोंटियों के आसपास पहुंच रहे हैं। प्यास से बेहाल बंदरों के आतंक का शिकार लोगों के घरों के ऊपर लगी पानी की टंकियों को होना पड़ रहा है। इससे परेशान जानवरों में इस समय रेबीज का संक्रमण भी बढ़ गया है। इससे आक्रोशित होकर, लोगों पर इनके हमले भी बढ़ते जा रहे हैं।