Chhath Puja 2024: भगवान सूर्य को समर्पित लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ त्योहार भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। चार दिनों का यह त्योहार चतुर्थी से ही शुरू होकर सप्तमी की सबुह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ खत्म होता है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में भगवान सूर्य देव और छठी मईया की अराधना करने से व्रती को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। षष्ठी देवी की पूजा से संतान को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी मिलता है।
ऐसी मान्यता है कि, छठ पर्व सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्युषा हैं। छठ पर्व में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। यह धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व का भी पर्व है, जो स्वच्छता के साथ प्रकृति को संरक्षित करने का संदेश देता है। अदरक, मूली, गाजर, हल्दी जैसी गुणकारी सब्जियों से अर्घ्य दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ पर्व के दौरान सूर्य की किरणों से हमारे शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी मिलता है। गाय की घी का दीप पूरी रात जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और हवन से जीवाणुओं का नाश होता है।
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इस त्योहार की प्राचीनतम का साहित्यिक स्रोत जहां रामायण और महाभारत के किवदंतियों में मिलता है, वहीं पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में कुषाण वंश के सिक्कों पर भगवान सूर्य उपासना के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। मान्याता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था और माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से उनकी मनोकामना पूरी हुई। छठ पर्व की पौराणिक कथाओं का संबंध रामायण से भी बताया जाता है। दशहरे के दिन रावण वध के बाद श्रीराम 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे थे और अयोध्या में दिवाली के छठे दिन सरयू नदी के तट पर अपनी पत्नी सीता माता के साथ षष्ठी व्रत रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था। इसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उन्होंने राजकाज संभाला था।
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छठ पूजा को आस्था का महापर्व कहते हैं, छठ पूजा दिवाली के छठे दिन से शुरू होती है, इस बार छठ पूजा की तिथि 7 नवंबर 2024 दिन गुरूवार को है। दीपावली के 6वें दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्यौहार शुरू होता है। यह महापर्व चार दिन तक चलता है। इस दौरान छठी मैय्या और भगवान सूर्यदेव की पूजा का विधान है। इस साल छठ का त्यौहार 05 नवंबर 2024 से शुरू हो रहा है और 08 नवंबर 2024 तक ये पर्व चलेगा।
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि दिवाली के चौथे दिन से छठ का पर्व शुरू होता है, पहले दिन नहाय खाय होता है, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का रिवाज है। चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं संतान की लंबी उम्र और उनके स्वास्थ्य के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है लेकिन व्रत करने वाले पूरे भक्ति भाव से ये पर्व मनाते हैं और हर साल उन्हें इन चार दिनों का बेसब्री से इंतजार रहता है। आइए आपको बताते हैं छठ पूजा का शुभ मुहूर्त, नहाय-खाय और खरना की सही तिथि साथ ही सूर्योदय और सूर्यास्त पूजा का महत्व और समय।
आइए जानते हैं छठ पूजा का मुहूर्त, छठ पूजा कैलेंडर और शुभ मुहूर्त...
छठ पूजा 2024 शुभ मुहूर्त : Chhath Puja 2024 Auspicious Time
दिन गुरूवार , 07 नवंबर, 2024 (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : शाम 5 बजकर 32 मिनट
दिन शुक्रवार, 08 नवंबर, 2024 - सूर्योदय का समय - सुबह 06 बजकर 38 मिनट पर
छठ पूजा 2024 कैलेंडर: Chhath Puja 2024 Calendar
05 नवंबर, 2024, दिन मंगलवार: नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।
06 नवंबर 2024, दिन बुधवार: खरना
07 नवंबर 2024, दिन गुरूवार - छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।
08 नवंबर 2024, दिन शुक्रवार, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा का समापन, पारण का दिन
प्रथम दिन (नहाय खाय) 05 नवंबर 2024, दिन शुक्रवार (Chhath Puja Nahay Khay 2024)
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन महिलाएं सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करती हैं और फिर घर की साफ-सफाई करती हैं। इस व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है, इस दौरान सिर्फ सात्विक भोजन ही बनता है, जैसे की चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात खाती हैं। इस भोजन में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। इस खाने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं।
द्वितीय दिन (खरना)- 06 नवंबर 2024, दिन शनिवार (Chhath Puja Kharna 2024)
खरना का मतलब होता है तन और मन का शुद्धिकरण। छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है और खरना के दिन व्रत करने वाली महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और और उसे रात में ग्रहण करती है, इसके बाद से व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है जो सप्तमी पर समाप्त होता है।
सूर्यास्त समय - शाम 05:32 PM
तृतीय दिन (अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य) - 07 नवंबर 2024, दिन रविवार (Chhath Puja Suryast arghya 2024)
छठ पूजा के तीसरे दिन छठी मैय्या के साथ डूबते हुए भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इस दिन शाम को सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य देने के लिए व्रती नदी, तालाब या फिर घर में पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं।
सूर्योदय समय- प्रातः 06:38 AM
चौथा दिन (उगते हुए सूर्य को अर्घ्य) - 08 नवंबर 2024, सोमवार (Chhath Puja Suryodaya arghya 2024)
चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भी व्रती पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और इसके बाद ही छठ पूजा के व्रत का पारण होता है।