सेवराई के कुछ गांवों में अभी भी पात्र लोग पीएम आवास से लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। विभागीय उदासीनता के चलते पात्रों को आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर की यही स्थित है। यहां पर समाज का सबसे निम्न तबका कहे जाने वाले डोम समाज के लोग आज भी बिना आवास के रहने को विवश हैं। बारिश से बचने के लिए इन परिवारों को पॉलीथिन या मड़ई का सहारा लेना पड़ रहा है।
बारिश में होती है परेशानी
भदौरा ब्लॉक के गहमर गांव में डोम समुदाय के बिरेंद्र, कासमा, तूफानी, रीता, कन्हैया, झबरी, कमला , कुश आदि ऐसे बहुत लोग हैं। जो गरीबों को दिए जाने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं। गर्मी हो या बरसात, धूप हो या छांव सभी मौसम इनके लिए पीड़ादायक हैं।
मजदूरी करके चलाते हैं जीवन
कुछ लोग झोपड़ी बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं। छत के नाम पर कुछ भी नहीं है। थोड़ी सी बारिश के बाद झोपड़ी में चारों ओर पानी टपकने लगता है। इस दौरान सामान भी भीग जाता हैं। इन्होंने बताया कि वे बेहद गरीब हैं। मजदूरी कर परिवार की आजीविका चलाते हैं। छप्पर डालकर रहना पड़ रहा है। रास्ता खाली होने के कारण जलभराव हो जाता है।
सर्वे के बाद भी नहीं मिला आवास
कहा कि कई बार ग्राम प्रधान से आवास की मांग की गई, लेकिन आज तक आवास नहीं मिला है। गांव में पात्रों का सर्वे हुआ था, लेकिन आज तक हम लोगों को आवास नहीं मिला। डोम समाज के लोगों ने जिलाधिकारी से अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग की है।
गहमर ग्राम प्रधान बलवंत सिंह 'बाला" ने बताया कि ऐसे लोगो को चिह्नित किया जा रहा है, जो निराश्रित हैं और जिनके पास घर नहीं है। इनको आवास की सुविधा के साथ साथ पात्र पेंशन देने की भी व्यवस्था की जाएगी।