कम वोटों के बाद भी कई रिकॉर्ड अपने नाम कर गया रामपुर, जानें क्या हुआ पहली बार

संसदीय सीट रामपुर का उप चुनाव कई रिकार्ड अपने नाम कर गया। उपचुनाव में जहां एक ओर सबसे कम 41.71 प्रतिशत मतदान हुआ वहीं दूसरी ओर यह चुनाव खुद सपा नेता आजम बल्कि प्रदेश सरकार के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रहा। सपा नेता मोहम्मद आजम खां का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में आजादी के बाद यह पहला मौका था जब यहां उप चुनाव हुआ। वह भी इसलिए क्योंकि, आजम खां ने दसवीं बार शहर विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।


इस चुनाव में आजम ने अपने बेहद करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया तो उनके मुकाबले भाजपा से पूर्व एमएलसी घनश्याम सिंह लोधी प्रत्याशी घोषित हुए। आजम ने अपने करीबी को जिताने और अपनी परंपरागत सीट को काबिज रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तो दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी को विजयी बनाने के लिए भाजपा ने प्रदेश सरकार के तमाम मंत्रियों, डिप्टी सीएम यहां तक की मुख्यमंत्री तक को चुनाव प्रचार में उतार दिया था।

रामपुर में आजाद हिंदुस्तान का पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1951 में हुआ था। तब रामपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर मौलाना अबुल कलाम आजाद मैदान में थे। उनका मुकाबला हिंदू महासंघ के प्रत्याशी बिशन चंद्र सेठ से हुआ था। मौलाना आजाद ने यह चुनाव 34753 मतों से जीता था और देश के पहले शिक्षा मंत्री बने थे। वर्ष 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में रामपुर में 48.22 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद वर्ष 2019 तक रामपुर में हुए 17 लोकसभा चुनावों में इतना कम मतदान औसत (41.71 प्रतिशत) किसी चुनाव में नहीं रहा।

ये सब हुआ पहली बार

  • पहली बार सबसे कम महज 41.71 प्रतिशत रहा पोल।
  • पहली बार हुआ रामपुर संसदीय सीट पर उप चुनाव।
  • पहली बार तमाम कैबिनेट मंत्रियों ने किया गली-गली प्रचार।
  • पहली बार कांग्रेस-बसपा ने एक साथ किया चुनाव से किनारा।
  • पहली बार सपा का बाहर से कोई स्टार प्रचारक नहीं आया।
  • जेल से आने के बाद पहली बार आजम ने किया चुनाव प्रचार।

बीते लोकसभा चुनावों का मतदान प्रतिशत

शहर विधायक और सपा ने आजम खान ने बताया, हमने कभी ऐसा नहीं देखा कि चुनाव इस तरह से हुआ हो। यह कोई चुनाव था। इतनी तो हिटलर ने भी शायद तानाशाही नहीं दिखाई होगी। हर घर के नुक्कड़ पर पांच-पांच सौ पुलिस वालों को लगा दिया। इसलिए पोलिंग परसेंट गिरा। 

स्वार सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खां का कहना है कि, लोकतंत्र पर ठोकोराज भारी है। ऐसे चुनाव का क्या फायदा। रामपुर उप चुनाव में एक नया नियम आया-दो आईडी दिखाकर वोट डलेगा। सोच रहा हूं चुनाव से पहले ही नतीजे घोषित कर देने चाहिए थे। बेकार सरकार का पैसा बर्बाद कराया। 

भाजपा नेता आकश सक्सेना ने बताया, आदमी को राजनीति में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कुछ न कुछ तो बोलना ही होता है। इसी कारण वह बिना किसी तथ्य के आरोप लगा रहे हैं। रही बात रामपुर में कम पोलिंग परसेंटेज की तो उसकी एक वजह मौसम भी हो सकता है। वहीं दूसरी ओर पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मिया ने बताया, सपा नेता मोहम्मद आजम खां को आसिम राजा की हार नजर आ रही है, इसलिए वह पुलिस प्रशासन पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। मैं खुद जिलेभर में भ्रमणशील रहा और देखा, चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से हुआ है। 

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