गाजीपुर जिले में प्लेटलेट्स व प्लाज्मा की व्यवस्था नहीं

जनपद में दो-दो ब्लड बैंक संचालित होते हैं। इसमें एक जिला अस्पताल में स्थापित है और दूसरा निजी क्षेत्र के सिंह हास्पिटल में चलता है। यहां ब्लड तो पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है, लेकिन किसी रोगी को प्लेटलेट्स व प्लाज्मा की आवश्यकता पड़ी तो फिर मुश्किल है। उसे इसके लिए बड़े शहरों का रुख करना होगा। ऐसे में बहुत से रोगियों को समय से प्लेटलेट्स व प्लाज्मा नहीं मिल पाने से उनकी मौत हो जाती है।

जिले में डेंगू की चपेट में आने वाले मरीजों की जान बचाने के लिए स्वजनों को उन्हें वाराणसी ही ले जाना पड़ेगा। दरअसल, इस बीमारी में जिस प्लाज्मा ब्लड यानी प्लेटलेट्स की जरूरत होती है वह जिले के स्वास्थ्य महकमे के पास उपलब्ध ही नहीं है। यहां के सरकारी अस्पतालों में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट नहीं है। इस मशीन की सुविधा उन्हीं अस्पतालों में देने का नियम है जहां पर लगभग पांच हजार यूनिट ब्लड का कलेक्शन होता है, लेकिन यहां पर इतना ब्लड कलेक्शन नहीं है।

क्या है बीसीएस यूनिट मशीन

जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. नारायण पांडेय ने बताया कि ब्लड कंपोनेंट सेपरशेन यूनिट एक मशीन है, जिसमें रक्तदाता द्वारा दिए गए खून को रखा जाता है। मशीन पहले इस रक्त की पूरी स्केनिग करती है और फिर उसमें से आवश्यक अवयव को सुरक्षित ढंग से पृथक करने का काम करती है। खून से अलग किए गए अवयवों को अधिकतम एक माह तक ही संरक्षित करके रखा जा सकता है उसके बाद रक्त खराब हो जाता है, जिससे उसे नष्ट करना ही पड़ता है।

डेंगू के मरीज के लिए प्लेटलेट्स व प्लाज्मा ब्लड जरूरी होता है मगर उसकी सुविधा यहां किसी अस्पताल में नहीं है। नवनिर्मित राजकीय मेडिकल कालेज शुरू होने के बाद गाजीपुर में भी प्लाज्मा की व्यवस्था हो जाएगी।

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