पश्चिमी देशों के आतंकवाद रोधी विशेषज्ञों का दावा है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और दूसरे आतंकी समूह कोरोनावायरस महामारी के समय का लाभ उठा सकते हैं। वे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जिहादियों की नई भर्ती करेंगे। महामारी के दौरान आए आर्थिक संकट में ये आतंकी समूह लोगों को बरगलाएंगे। उन्हें रुपयों का लालच देकर जिहादी बनाएंगे। ब्रुसेल्स के थिंक-टैंक और साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के रिसर्च निदेशक डॉ सिगफ्रीड वोल्फ ने दावा किया है कि हिजबुल मुजाहिदीन समेत दूसरे आतंकी समूहों ने आर्थिक संकट के समय का लाभ उठाकरजिहादियों की टुकड़ियों को तैयार किया है।
आतंकी समूह काफी दिनों से ऐसे किसी मौके की तलाश में थे। जिसमें वे युवाओं कोबरगला कर अपना प्रोपेगेंडा चला सकें। कोरोनावायरस के दौरान लॉकडाउन के कारण काम बंद होने से हजारों युवाओं का रोजगार छिन गया है। बड़े पैमाने पर आर्थिक परेशानियों खड़ी हो गई हैं। ऐसे में बेरोजगार युवाओं को जो भी खाना और रुपया देगा वह उसके लिए काम करना शुरू कर देंगे।
आतंकियों ने लोगों को भड़काया तो सरकार को संभालना मुश्किल होगा
वोल्फ के मुताबिक, कोरोना के कारण लोग पहले से मुश्किलों को सामने कर रहे हैं। महामारी ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में उथल-पुथल ला दी है। आतंकी समूह इसी बात का फायदा उठाना चाहते हैं। वे आतंकी गतिविधियों को बढ़ाकर इलाके में ज्यादा से ज्यादा आतंक फैलाना चाहेंगे। वे लोगों को सरकार द्वारा सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन जैसे तरीकों को मानने के खिलाफभड़का सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान सरकार लोगों को संभालने में पूरी तरह नाकाम होगी, जो कि देश के लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं होगा। क्योंकि वहां पहले से ही जिहादियों को धार्मिक प्रचार प्रसार का हिस्सा माना जाता है और उनकी मदद की जाती है।
लोगों की असुरक्षा का फायदा उठा सकते हैं आतंकी
पाकिस्तान इस्लामिक जिहादी संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क, तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद जैसों समूहोंका घर है। फ्रांस में निर्वासित होकर रहने वाले पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दीकी के मुताबिक, "इस महामारी के दौरान दक्षिणपंथी समूह और इस्लामिक चरमपंथी अपनी नापाक हरकतों को पूरा करने के लिए एक हो सकते हैं।’’ कोरोनावायरस के कारणहालात बत्तर हो गए हैं। दुनियाभर के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कोरोना के इलाज और रोजगार के संकट काकोई समाधान नहीं दिख रहा है। ऐसे में आतंकी समूहोंके लिए लोगों की असुरक्षाओं का फायदा उठाकर उन्हें कट्टरपंथी बनाना आसान हो जाएगा।
सुरक्षा एजेंसी और सोशल मीडिया एक होकर इसे रोके
पत्रकार ताहा ने बताया, ‘"जहां तक दक्षिण पंथियों की बात है, वे कोरोनोवायरस को लेकर भ्रामक सूचनाएं और लोगों को खुदा का खौप कहकर बरगला रहे हैं। अपने हिंसक उद्देश्यों के लिए वे लोगों को इस्लाम के नाम पर अपनी धार्मिक गतिविधियों को कायम रखने के लिए कह रहे हैं। ऐसे वक्त में सुरक्षा एजेंसियों और सोशल मीडिया नेटवर्क को इन आतंकी समूहों को बेनकाब करने और रोकने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। पहले से ही दुनिया में वायरस के कारण अराजकता फैली है। इसे आगे और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’’
यह सुनने में भयावह लगता है
साउथ एशियन स्टडीज के विशेषज्ञ और एम्स्टर्डम स्थित यूरोपीय फाउंडेशन के निदेशक जुनैद कुरैशी के मुताबिक, ‘‘यह सुनने में भयावह लगता है कि जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस महामारी से लड़ रही है तब आतंकवादी समूह इस उथल-पुथल का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वे इस अशांत समय का लाभ आतंकियों को तैयार करने के लिए कर रहे हैं। हालांकि यह नई बात क्योंकि आतंकी समूह अपने इलाके में पहले भी ऐसा करते रहे हैं। दुनिया महामारी से जूझ रही है लेकिन वे अब भी धर्म, अशिक्षा, गरीबी, जाति, रंग और इलाके की राजनीतिक अस्थिरता के नाम पर लोगों का शोषण करते हैं।’’
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