Sariya Cement Rate: कई भारतीयों के लिए अपने घर का सपना साकार करना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि आवश्यक निर्माण सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल के बाजार रुझानों से यह स्पष्ट है कि ईंटों, सीमेंट, रेत और स्टील की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, जिससे घर बनाने वालों और पूरे निर्माण उद्योग पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।
निर्माण सामग्री की कीमतों में तेज वृद्धि
निर्माण क्षेत्र हर स्तर पर महंगाई का सामना कर रहा है। सीमेंट की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और विभिन्न ब्रांडों ने अपनी दरें बढ़ा दी हैं। नदी खनन पर प्रतिबंध के कारण रेत की कीमत भी बढ़ गई है, साथ ही बदरपुर (एक प्रकार की रेत) और धूल की कीमतों में भी उछाल आया है। ईंटें प्रति हजार इकाई लगभग 1,000 रुपये महंगी हो गई हैं।
स्टील की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है, जिसमें प्रति किलोग्राम 10 रुपये तक की बढ़ोतरी देखी गई है। रेत की कीमतों में 10 रुपये प्रति घन फुट की वृद्धि हुई है, जबकि बदरपुर में 8 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। यहां प्रमुख सामग्रियों के मूल्य परिवर्तनों का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है:
- रेत: 25 से 30 रुपये प्रति घन फुट
- बदरपुर: अब 60 रुपये प्रति घन फुट
- स्टील (12 मिमी सेल): 47 से 55 रुपये प्रति किलोग्राम
- ईंटें (लाल पेटी): 5,000 से 6,000 रुपये प्रति हजार
निर्माण परियोजनाओं और बिक्री पर पड़ने वाला असर
बढ़ती लागतों का चल रही निर्माण परियोजनाओं और सामग्री की बिक्री पर गहरा असर पड़ रहा है। कई घर बनाने वालों के लिए अपने मूल बजट के भीतर रहना मुश्किल हो रहा है, जिससे अक्सर अधूरे या विलंबित प्रोजेक्ट्स का सामना करना पड़ता है। स्थानीय व्यवसायी विपिन गोयल कहते हैं, “निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि से बिक्री प्रभावित हो रही है। ईंटों और बदरपुर के अलावा, सीमेंट की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, साथ ही अन्य सामग्रियों की कीमतें भी बढ़ रही हैं।”
मकान मालिकों और बिल्डरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है
अचानक बढ़ी कीमतों के कारण घर बनाने वाले चिंतित हैं। फ्रीहोल्ड सेक्टर 23 के निवासी अनिल पाल अपने अनुभव साझा करते हैं: “घर बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। निर्माण में उपयोग होने वाली सभी सामग्रियाँ – सीमेंट, रेत, ईंट और लोहा – महंगी हो गई हैं। पहले हम स्टील खरीदते थे, लेकिन अब उसकी कीमत भी बढ़ गई है। महंगाई के चलते हमारा बजट प्रभावित हुआ है, जिससे हमें काम के दायरे को सीमित करना पड़ रहा है।”
निर्माण उद्योग कीमतों को स्थिर करने और बिल्डरों तथा घर खरीदने वालों को राहत देने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। चूंकि सामग्री की लागत लगातार बढ़ रही है, किफायती आवास का सपना कई भारतीय परिवारों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। हितधारक ऐसे नीतिगत उपायों की आशा कर रहे हैं जो इन मूल्य वृद्धि के प्रभाव को कम करने और निर्माण क्षेत्र को विकास की राह पर बनाए रखने में सहायक हों।