Kheere Kee Khetee: भारत में लगभग एक तिहाई लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है, लेकिन कम लाभ की वजह से कई लोग इसे छोड़ देते हैं। हालांकि, यदि खेती को सही तरीके और बड़े पैमाने पर किया जाए, तो यह एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकता है।
आपको बताना चाहेंगे कि हजारीबाग के सदर प्रखंड के मरहेट्टा गांव के किसान सुनील यादव ने खीरे की खेती को सफलतापूर्वक साबित कर दिखाया है। इसके बाद, सुनील यादव लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।
हजारीबाग के सदर प्रखंड के मरहेट्टा गांव के निवासी सुनील यादव ने 3 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती की। इस खेती में उन्हें करीब 2 लाख रुपए का खर्च आया और लाभ के रूप में 8 लाख रुपए की कमाई हुई, जिससे उन्हें 6 लाख रुपए का फायदा हुआ।
सुनील यादव अब तक 8 लाख रुपये तक का खीरा बेच चुके हैं। खीरे की फसल से 60 से 80 क्विंटल तक की पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है। 2 लाख रुपये की लागत में एक ड्रिपिंग सिस्टम भी स्थापित किया गया है, जो भविष्य में टमाटर की खेती के लिए भी उपयोगी साबित होगा।
एक एकड़ में कितना लाभ हुआ?
किसान सुनील यादव बताते हैं कि वे अभी भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं। उनके परिवार के सदस्य शुरुआत से ही खेती का काम कर रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने लीज पर ली गई जमीन पर खेती शुरू की है।
खेती के लिए 5 एकड़ जमीन का किराया भी लिया जा रहा है, जिसमें प्रति एकड़ 4 हजार रुपये का भुगतान किया जा रहा है। खीरे की फसल कुल 120 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि फसल को 45 दिन बाद भी काटा जा सकता है।
एक खीरे में 10 से 12 फल हो सकते हैं
इसके बाद, सुनील बताते हैं कि खीरे की खेती के लिए बीज को पहले नर्सरी में तैयार कराया था, जिसमें प्रति बीज 60 रुपये का खर्च आया। 35 दिनों में खीरे की फसल तैयार हो जाती है, और एक पौधे से करीब 10 से 12 खीरे प्राप्त होते हैं। फिलहाल, केवल 7 तुड़ाई की जा रही है।
खीरे की फसल के पहले यहां तरबूज की खेती की गई थी, और इसके बाद टमाटर की खेती की जाएगी। उगाए गए खीरे को खरीदार सीधे खेत से ही ले जाते हैं, जिससे भाड़ा जैसे खर्चों की बचत होती है और अच्छी कीमत भी मिलती है। अब तक, सुनील ने लगभग 8 लाख रुपये की कमाई कर ली है।