Ration Card Update: देशभर में कई ऐसे लोग हैं जो अपात्रों की सूची में होने के बावजूद भी सरकारी राशन का लाभ उठा रहे हैं। सरकार ने इस तरह के लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। अगर कोई व्यक्ति अपात्र होकर सरकारी सुविधा का दुरुपयोग कर रहा है, तो उसे आने वाली मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
सरकार बड़े पैम्बर पर ऐसे व्यक्तियों की छंटाई करने की योजना बना रही है, जिससे लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार उन लोगों की पहचान कर रही है जो आयकर दाता होने के बावजूद भी फ्री राशन सुविधा का लाभ ले रहे हैं। शहर और गाँव दोनों में लोग सरकारी सुविधाओं को अवैध तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार एक सूची तैयार कर रही है और इसे जल्दी ही भेजी जाएगी।
जल्द ही ऐसे लोगों के राशन कार्ड को रद्द करने का निर्णय लिया जाएगा, जिससे हर किसी के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही है। क्या इस तरह के अपात्रों से वसूली की जाएगी, यह तो अभी तक निश्चित नहीं है, लेकिन कार्रवाई का होना पूरी तरह से निश्चित है। आप शासन के महत्वपूर्ण नियमों को जानने के लिए नीचे दिए गए पूरे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ सकते हैं, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
सरकार ने सूची जारी की
यूपी सरकार के मुताबिक, राज्य के ग्रामीण स्तर पर लगभग 20,000 कार्डधारक हैं जो अपने खेतों में उत्पादित गेंहूं को सरकार को बेचते हैं, लेकिन राशन की दुकान से वे फ्री अनाज का लाभ ले रहे हैं। शासन ने जिला पूर्ति अधिकारी अंजनी कुमार सिंह को आयकर दाताओं की सूची जारी कर दी है।
इस दौरान, उन्होंने बताया कि जिन लोगों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक जमीन है और उनके राशनकार्ड बने हैं, उनकी जांच लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा शीघ्र कराई जाएगी। इसके अलावा, आर्थिक रूप से विकलांग और आवश्यकतामंद व्यक्तियों के लिए राशनकार्ड बनाने का काम भी किया जाएगा।
आयकर भरने वाले कार्डधारकों की जांच पूर्ति निरीक्षकों को सौंपी जाएगी। इसके अलावा, लखीमपुर खीरी जिले में 8.32 लाख राशनकार्ड बनाए गए हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 79 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 64 प्रतिशत राशनकार्ड बनाए गए थे।
कुछ साल पहले भी ऐसा हुआ था
ढाई साल पहले, लखीमपुर खीरी जिले में लगभग 2500 राशनकार्डधारकों के नाम से छानबीन का फैसला किया गया था। इसके बाद, गेहूं खरीद के समय दलालों ने गांव-गांव में घूमकर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का फायदा देने का वादा किया। ग्रामीणों ने विश्वास करते हुए अपना आधार कार्ड उन्हें दे दिया। इसके बाद, सहकारी बैंक तिकुनिया ने उनके अकाउंट खोलकर गेहूं खरीद किया और अवैध तरीके से पैसा कमाया था।