Saving Account: आपके पास किसी न किसी बैंक में सेविंग्स अकाउंट जरूरी होगा। हम सभी महिलाएं सेविंग्स अकाउंट का उपयोग करती हैं। आपके पास UPI ट्रांजेक्शन से भी जुड़ा कोई न कोई सेविंग्स अकाउंट अवश्य होगा। कभी-कभी आप इस अकाउंट का उपयोग करते होंगे कैश जमा करने के लिए और कभी बड़ी रकम निकालने के लिए।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे जुड़े कुछ नियम होते हैं जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों और विनियमों के अंतर्गत आते हैं। इसलिए इनका पालन करना जरूरी है ताकि आपको किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। आयकर नियमों के मुताबिक सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की एक सीमा होती है।
यानी एक निश्चित अवधि के अंतर्गत आप अपने बैंक खाते में कितनी भी नकदी जमा कर सकते हैं। इस सीमा को कैश लेन-देन पर नजर रखने के लिए बनाया गया है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोका जा सके।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगर आप एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये या इससे अधिक जमा करते हैं, तो आपको इसकी जानकारी आईटी डिपार्टमेंट को देनी होगी। यदि आपका करंट अकाउंट है तो यह सीमा 50 लाख रुपये है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस नकदी पर तत्काल कोई कर नहीं लगता है, लेकिन वित्तीय संस्थानों के लिए इन सीमाओं से ऊपर की लेन-देन की सूचना आयकर विभाग को देना अनिवार्य है।
अगर आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते से 1 करोड़ रुपये से अधिक निकालते हैं, तो उस पर 2% टीडीएस काटा जाएगा। जिन लोगों ने पिछले तीन सालों से आईटीआर दाखिल नहीं किया है, उन पर भी 2% टीडीएस काटा जाएगा, अगर वह 20 लाख रुपये से अधिक की निकासी करते हैं। इस विशेष वित्तीय वर्ष में ऐसे लोगों पर 1 करोड़ रुपये से अधिक निकालने पर 5% टीडीएस लगाया जाएगा।
ध्यान दें कि धारा 194एन के तहत काटे गए टीडीएस को आय के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है, लेकिन आप इसे आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय क्रेडिट के रूप में उपयोग कर सकते हैं।