Gold Price: पिछले दिनों रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर अब सोना नीचे की तरफ आ रहा है। लेकिन महंगाई के इस दौर में भी ज्वेलरी खरीदने वालों का मोह कम नहीं हुआ है और इस दौरान भी धड़ाधड़ ज्वेलरी बिकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि सिर्फ 90 दिनों में 95.5 टन ज्वेलरी की बिक्री हुई है।
सोना पिछले दिनों रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर अब नीचे की तरफ आ रहा है। लेकिन महंगाई के इस दौर में भी ज्वेलरी खरीदने वालों का मोह कम नहीं हुआ और इस दौरान धड़ाधड़ ज्वेलरी बिकी है। बीते 19 अप्रैल को सोने का रेट जीएसटी सहित 75800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था।
लेकिन इससे लोगों के मोह का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनवरी से मार्च के दौरान सालाना आधार पर गोल्ड की बिक्री 8 प्रतिशत बढ़कर 136.6 टन पर पहुंच गई। इसमें लोगों ने 95.5 टन सोने की तो केवल ज्वेलरी ही खरीद ली। इसके अलावा 41 टन सिक्के और बिस्कुट की बिक्री हुई। यह जानकारी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की तरफ से जारी की गई है।
ज्वैलरी और निवेश दोनों में हो रहा इजाफा
दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा खरीदे जाने वाले सोने की मांग में भी इजाफा हुआ है। इस साल जनवरी-मार्च माह में कीमत के हिसाब से देखें तो देश की सोने की मांग सालाना आधार पर 20 प्रतिशत बढ़कर 75,470 करोड़ रुपये हो गई है। इसका कारण खपत में इजाफा होने के साथ ही तिमाही औसत कीमत में 11 प्रतिशत की वृद्धि भी है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी ग्लोबल रिपोर्ट ‘गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स क्यू1 2024’ जारी की है। इसके अनुसार, भारत की कुल सोने की मांग, जिसमें ज्वैलरी और निवेश दोनों शामिल हैं, इस साल जनवरी-मार्च माह में 136.6 टन हो गई है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 126.3 टन थी।
मार्च में सोने की कीमत रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचीं
भारत में सोने की कुल मांग में से ज्वैलरी की मांग चार प्रतिशत बढ़कर 95.5 टन हो गई। कुल निवेश मांग (बार, सिक्के आदि) 19 प्रतिशत बढ़कर 41.1 टन हो गई। डब्ल्यूजीसी (डब्ल्यूजीसी) के भारत में क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी सचिन जैन ने कहा कि सोने की मांग बढ़ना भारतीयों के सोने के साथ स्थायी रिश्ते की पुष्टि करती है। उन्होंने कहा, ‘भारत का निरंतर मजबूत वृहद आर्थिक परिवेश सोने के आभूषणों की खपत के लिए सहायक रहा, हालांकि मार्च में कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गईं।
तिमाही समाप्त होने पर बिक्री कम हुई।" जैन ने उम्मीद जताई कि इस साल भारत में सोने की मांग 700-800 टन के आसपास रहेगी। उन्होंने कहा कि यदि कीमत में तेजी जारी रहती है तो मांग इस सीमा के निचले स्तर पर हो सकती है। 2023 में देश में सोने की मांग 747.5 टन थी।
भारत और चीन में पहली बार हुआ ऐसा
मांग बढ़ने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर सचिन जैन ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, भारत और चीन सहित दुनिया के पूर्वी बाजार में बदलाव तब आता है जब कीमतें नीचे जा रही होती हैं और उतार-चढ़ाव होता है। लेकिन पश्चिमी बाजार में बदलाव तब आता है जब कीमतें ऊपर जा रही होती हैं। उन्होंने कहा, पहली बार हमने पूरी तरह उलटफेर देखा है, जहां भारतीय और चीनी बाजार में सोने की कीमत में इजाफा होने पर बदलाव आया है।
RBI बैंक ने बढ़ाई खरीद
कीमत रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के साथ ही देश में सोने की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसी साल जनवरी से मार्च के दौरान आरबीआई ने 19 टन सोने की खरीद की है। जबकि 2023 में पूरे साल के दौरान केवल 16 टन सोने की खरीद हुई थी। बढ़ती कीमत के बावजूद जनवरी-मार्च में ग्लोबल लेवल पर सोने की मांग 3 प्रतिशत बढ़कर 1,238 टन हो गई। यह 2016 के बाद से सबसे मजबूत तिमाही रही। डब्ल्यूजीसी (WGC) की रिपोर्ट ‘गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स क्यू1 2024’ के अनुसार, सोने की कुल ग्लोबल मांग (ओवर द काउंटर खरीद सहित) सालाना आधार पर 3 प्रतिशत बढ़कर 1,238 टन हो गई।
RBI क्यों खरीद रहा सोना
विदेशी मुद्रा भंडार में बदलाव के कारण और बढ़ती अनिश्चितता के बीच, आरबीआई सोने की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, मजबूत होते डॉलर के मुकाबले रुपये को अतिरिक्त समर्थन देने के लिए भी सोने की खरीद बढ़ाई गई है। आरबीआई भी महंगाई के साथ सामर्थ्य स्थापित करने के लिए अधिक सोना खरीद रहा है, क्योंकि महंगाई बढ़ने पर सोने की कीमत में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच क्रूड के महंगाई का खतरा कम करने के लिए भी आरबीआई सोने की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।