RBI Rules 2024: हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने को-ऑपरेटिव राबोबैंक यू.ए. पर नियमों का अनुपालन नहीं करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके पूर्व में पीएमसी और लक्ष्मी विलास जैसे बैंकों के ग्राहकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। देश में कई को-ऑपरेटिव बैंकों को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है। इस संदर्भ में, बैंकों के खाताधारकों के मन में उनके जमा पैसे की सुरक्षा और वापसी की समस्याओं के सवाल उठते हैं। उन्हें यह जानना है कि अगर उनका बैंक डिफ़ॉल्ट करता है तो उनके निवेश का क्या होगा, और कितना पैसा सुरक्षित है और कितना पैसा वापस मिलेगा।
साल 2020 में, केंद्र सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में परिवर्तन किया था। इसके बाद, बैंक में जमा राशि की गारंटी पांच लाख रुपये हो गई। पहले, खाताधारकों को अधिकतम एक लाख रुपये तक जमा की गारंटी मिलती थी। अब, बैंकों में जमा पांच लाख रुपये तक की आपकी राशि सुरक्षित है। अर्थात, जिस बैंक में आपके अकाउंट में जमा पैसे हैं, और अगर वह बैंक डूब जाता है, तो पांच लाख रुपये की राशि आपको वापस मिलेगी।
अगर बैंक में जमा राशि पांच लाख से अधिक है, तो क्या होगा?
बैंक डिपॉजिट पर 5 लाख रुपये की सुरक्षा गारंटी का मतलब है कि किसी बैंक में आपकी जितनी भी रकम जमा हो, लेकिन बैंक के डिफ़ॉल्ट या बंद होने पर आपको केवल 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे। अगर आपके एक ही बैंक की कई शाखाएँ हैं और वहाँ जमा राशि पांच लाख से अधिक है, तो भी आपको केवल पांच लाख रुपये ही वापस मिलेंगे। इसका अर्थ है कि आपकी जमा राशि केवल 5 लाख रुपये तक ही इंश्योर्ड होगी।
DICGC भुगतान के लिए जिम्मेदार होता है।
हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक, संकट में फंसे बैंक को सरकार डूबने नहीं देती है और उसका मर्जर किसी बड़े बैंक में कर देती है। यदि कोई बैंक डूब जाता है, तो डीआईसीजीसी सभी खाताधारकों को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है। डीआईसीजीसी इस राशि की गारंटी लेने के लिए बैंकों से प्रीमियम लेता है।