RBI: हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने लोन सेवा प्रदाताओं, यानी एलएसपी के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए उन्हें ग्राहकों को सभी विकल्प बताने के लिए कहा है। इससे आगे जाकर ऋण लेने वालों के लिए फैसला करना आसान हो जाएगा। आरबीआई की ओर से आए इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए समाचार को पूरा पढ़ें।
भारतीय रिज़र्व बैंक, अर्थात आरबीआई, अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए लगातार महत्वपूर्ण निर्णय ले रहा है। इस दौरान, आरबीआई ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंकों के एजेंट के रूप में काम कर रहे ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) के लिए नए नियमों का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि एलएसपी को अपने पास होने वाले सभी ऋण की जानकारी ग्राहकों को प्रदान करनी चाहिए। इस कदम से आगे जाकर ऋण लेने वालों को केंद्रीय बैंक द्वारा सुविधा प्रदान करने का मौका मिलेगा।
एलएसपी का मतलब क्या होता है?
आपको यह जानकारी दें कि एलएसपी लोन प्रदाताओं के एग्रीगेटर के रूप में भी कार्य करते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कई लोन प्रदाताओं के बारे में जानकारी होती है। एलएसपी एक रेगुलेटेड बैंकिंग यूनिट (आरई) का एजेंट होता है जो कस्टमर्स को जोड़ता है, मूल्य निर्धारित करता है, मॉनिटरिंग करता है और विशिष्ट कर्ज की वसूली या कर्ज पोर्टफोलियो के लिए मौजूदा आउटसोर्सिंग गाइडलाइंस के अनुसार काम करता है। आरबीआई ने कहा है कि इस प्रकार के मामलों में, खासकर जहां एलएसपी लोन प्रदाताओं से जुड़ी कई इकाइयां हैं, उन्हें कर्ज देने वाले को पहले से लोन लेने वाले कस्टमर की पहचान नहीं होनी चाहिए।
प्रस्ताव के अनुसार, एलएसपी को लोन लेने वाले की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सभी इच्छुक उधारकर्ताओं के पास उपलब्ध प्रस्तावों का डिजिटल ब्योरा देना चाहिए। इसमें लोन देने वाली इकाई का नाम, ऋण राशि और समयावधि के साथ-साथ वार्षिक प्रतिशत दर और अन्य शर्तों की जानकारी शामिल होनी चाहिए। केंद्रीय बैंक ने इस प्रस्ताव पर 31 मई तक टिप्पणियाँ मांगी हैं।
फाइनेंशियल वर्ष 2024-25 के लिए कोई बदलाव नहीं है
आपको यह बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को जानकारी दी कि फाइनेंशियल वर्ष 2024-25 के लिए सरकारी सिक्योरिटीज, राज्य विकास ऋण और कॉरपोरेट बॉंड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।