Home Loan: हाल ही में RBI द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। दरअसल, यहाँ बता दें कि अगर आपने अपने ऋण का भुगतान कर दिया है लेकिन प्रॉपर्टी के दस्तावेज़ वापस नहीं मिले हैं तो बैंक को भारी जुर्माना भुगतना होगा। नीचे खबर में हम आरबीआई के इस निर्णय को विस्तार से समझेंगे।
होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन या गोल्ड लोन लेने वाले व्यक्तियों के साथ अक्सर ऐसा सम्मुख्य सुनने को मिलता है। आपने किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन से ऋण लिया है। बदले में अपनी संपत्ति को गिरवी रखा है। आपने इस ऋण का बार-बार का भुगतान कर दिया है।
लेकिन आपने बैंक के पास अपनी प्रॉपर्टी के जो कागजात जमा कराए थे या जो चल संपत्ति गिरवी रखी थी, वह अभी तक वापस नहीं मिला है। इस पर रिजर्व बैंक ने सख्ती बना दी है। आरबीआई ने सभी बैंकों और नियामित एंटिटीज (आरई) को 30 दिन के भीतर इसे वापस करने का आदेश दिया है। अन्यथा, उन्हें प्रतिदिन 5,000 रुपये का जुर्माना भुगतान करना होगा।
रिजर्व बैंक का निर्देश क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज, यानी 13 सितंबर को, एक निर्देश जारी किया है जिसमें सभी बैंकों और नियामित संस्थाओं (आरई) को भेजा गया है। इस निर्देश में कहा गया है कि जैसे ही ऋण का पूर्ण भुगतान हो जाता है, बैंकों को लोन लेने वालों की सभी चल-अचल संपत्ति के मूल कागजात को 30 दिनों के भीतर वापस करना होगा। अगर यह नहीं किया जाता है, तो जितने दिन देरी होगी, उसके हिसाब से बोरोअर को प्रतिदिन 5,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा। यह निर्देश पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन, या गोल्ड लोन जैसे सभी लोन अकाउंट पर लागू होगा, जिनके लिए बोरोअर ने अपनी चल-अचल संपत्ति को गिरवी रखा है।
RBI की सख्ती का कारण क्या है?
लोन की पूर्ण चुकानी के बाद भी, रिजर्व बैंक का कहना है कि बोरोआर को आवश्यक कागजात समय पर नहीं मिल रहे हैं। ग्राहकों और बैंक के बीच इस मुद्दे पर शिकायतें बढ़ रही हैं। इसलिए, रिजर्व बैंक को इस समस्या को समाधान करने के लिए निर्देश जारी करना पड़ा है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि जब लोन का पूरा भुगतान हो जाता है, तो बैंकों या वित्तीय संस्थानों को 30 दिनों के भीतर सभी कागजात वापस करने की अनिवार्यता होगी। इसके साथ ही, यदि कोई रजिस्ट्री चार्ज लगाया गया है, तो उसे भी हटाया जाना चाहिए।
कागजात कहां प्राप्त होगा?
लोन लेने वालों के लिए यह विकल्प होगा कि वे चल-अचल संपत्ति के कागजात कहां से प्राप्त करें। बोरोअर इन कागजातों को या तो लोन लेने वाली शाखा से प्राप्त करेगा, या फिर वह अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य शाखा से कागजात प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा, आरबीआई ने लोन के सेक्शन लेटर में भी उल्लेख किया है कि कागजात कहां से प्राप्त किए गए हैं।
जब बोरोअर या सहबोरोअर की मृत्यु हो जाती है
रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगर किसी एकल उधारकर्ता या संयुक्त उधारकर्ता की मृत्यु हो जाती है, तो उसके पास कानूनी उत्तराधिकारियों को मूल चल और अचल संपत्ति के दस्तावेज़ वापस करने के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया होनी चाहिए। यह नीति, ग्राहकों को संबंधित जानकारी, अन्य संबंधित नीतियों और प्रक्रियाओं के साथ संबंधित, आरईएस की वेबसाइट पर पोस्ट की जानी चाहिए।
जुर्माने में कितना देना होगा?
अगर मूल चाल या अचल संपत्ति दस्तावेज ऋण चुकौती या निपटान के 30 दिनों के भीतर जारी नहीं किए जाते हैं या उपयुक्त रजिस्ट्रार के पास चार्ज सैटिसफेक्शन फॉर्म जमा नहीं किया जाता है, तो बैंक को देरी के बारे में बोरोअर को बताना आवश्यक होता है। यदि बैंक को देरी के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो उसे उधारकर्ता को देरी के प्रत्येक दिन के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करके अंतर को पूरा करना होगा।