Gold Price: सोना और चांदी के भाव में आजकल ऐतिहासिक ऊंचाई तक पहुंच रहे हैं। इस लगातार बढ़ते भाव का मुख्य कारण है टीना। बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि टीना क्या है और यह कौन है... लगभग हर दूसरे व्यक्ति के मन में यह सवाल होता है कि इस टीना फैक्टर के पीछे क्या राज है। क्या आप भी सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं? तो पहले यहां जानिए क्या है टीना....
इस महीने के अप्रैल में, सोने के भाव में गलातार उछाल आया है। 12 अप्रैल 2024 को सोने के भाव ने जो उच्चतम स्तर बनाया था, वह अभी भी बरकरार है। एमसीएक्स पर ₹73,958 के स्तर को छूने के बाद आज इसका भाव 70,725 के आसपास है और ट्रेडिंग जारी है। गोल्ड प्राइस में मार्च के ₹63,563 के बाद तेजी आई। लोगों को पहले इस तेजी की वजह समझ में नहीं आई, कुछ इसे वैश्विक माहौल के बिगड़ने का कारण मान रहे थे तो कुछ मध्य पूर्व और यूक्रेन में हो रहे युद्ध को मान रहे थे। मगर सच यह है कि टीना फैक्टर के कारण सोने के भाव में इतनी चमक देखने को मिली है।
अब सवाल यह है कि आखिर ये टीना (TINA) है कौन और किस तरह से लोग टीना के चलते धड़ाधड़ गोल्ड खरीद रहे हैं? चलिए इसके बारे में जानते हैं। पहली बात तो यह है कि भारत में लोगों पर टीना का कोई खास असर नहीं है। भारत के पड़ोसी देश चीन के लोगों के दिलो-दिमाग पर टीना का बेहद प्रभाव देखने को मिला है। कुछ दिन पहले रिपोर्ट आई कि 2023 में चीन सोने का सबसे बड़ा खपतकार बन गया है। चीन के लोगों ने कुल 630 टन सोना खरीदा, जबकि भारतीयों ने 562.3 टन।
जान लें क्या है टीना फैक्टर
टीना (TINA) का मतलब है "देअर इज़ नो अल्टरनेटिव"। वास्तव में, भविष्य की संभावित अनिश्चिताओं के डर से प्रेरित लोग निवेश के सबसे सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट, सोने में निवेश करना बेहतर समझ रहे हैं। लोगों को ऐसा लग रहा है कि और कोई विकल्प है ही नहीं। इसी कारण चीन में रिटेल दुकानदारों, निवेशकों, फ्यूचर ट्रेडरों, केंद्रीय बैंकों को सोने के निवेश में मजबूर कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, गोल्ड के भाव लगातार बढ़ते रहे हैं।
बार और कॉइन की है जबरदस्त डिमांड
चीन में सोने के आभूषण, बार, और सिक्कों की खरीद में पहली बार इतना बड़ा आंकड़ा देखने को मिला है। बीजिंग की सोने के गहनों की मांग 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जबकि भारत में यह मांग 6 प्रतिशत तक कम हुई है। चीन में बार और सिक्कों में निवेश की बात करें तो यह 28 प्रतिशत तक बढ़ी है।
एक रिपोर्ट में हॉन्ग कॉन्ग के प्रीशियर मेटल्स इनसाइट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर फिलिप लैपविज के हवाले से एक महत्वपूर्ण बात छापी गई है। उन्होंने हिंट दिया है कि आने वाले कुछ समय में यह भाव और भी बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा, “मांग और बढ़ते आसार नजर आते हैं।”
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर बेहाल है, शेयर मार्केट काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है मगर कोई अच्छा अपमूव नजर नहीं आया है, साथ ही चीन की करेंसी युआन भी डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ी है। इन सभी फैक्टर्स ने निवेशकों का रुख सोने की तरफ मोड़ दिया है। सबकुछ देखने के बाद उन्हें टीना ही समझ में आता है, टीना मतलब दूसरा कोई (बेहतर) विकल्प है ही नहीं।
वर्तमान में चीन में किसी भी दूसरे विकल्प का प्रासंगिक दिखाई नहीं दे रहा है। एक्सचेंज और कैपिटल कंट्रोल के कारण आप किसी भी अन्य बाजार में पैसा लगाने की सोच नहीं सकते। हालांकि, चीन किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक गोल्ड निकालता है, फिर भी अधिक निर्यात की आवश्यकता है। पिछले 2 वर्षों में 2,800 टन सोना विदेशों में खरीदा गया है, और यह दुनियाभर के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) के कुल गोल्ड से कहीं अधिक है।
क्या ये निवेश का सही समय है?
सोना खरीदने पर अजय केडिया का कहना है कि ईरान और इजरायल के बीच जंग से हालात और बदतर होते जा रहे हैं। 2024 की शुरुआत से ही गोल्ड और सिल्वर में तेजी आ रही है। आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। अभी भूराजनैतिक तनाव और तमाम देशों के केंद्रीय बैंक की ओर से सोने की खरीदारी की वजह से डिमांड बढ़ती जा रही है, जो इसकी कीमतों में भी उछाल का सबसे बड़ा कारण है।
अजय केडिया ने कहा, जाहिर है कि अगर किसी को ज्वैलरी खरीदना जरूरी है तो बिल्कुल खरीदना चाहिए, क्योंकि अभी कीमतें नीचे आने का इंतजार करना सही नहीं है। सोने की कीमतों में थोड़ी-बहुत नरमी अगस्त के बाद ही दिखेगी, लेकिन वह भी अस्थायी होगी।
बता दें कि निवेशक आम तौर पर पीली धातु को खरीदने में रूचि लेते हैं। लेकिन लालच में खरीदना वह परिणाम नहीं दे सकता, जो इच्छित होता है, क्योंकि गोल्ड का भाव आम तौर पर काफी समय तक स्थिर रहता है। उन्होंने सोने के आभूषणों में पैसा डालने की बजाय इसे पोर्टफोलियो में रखने की सलाह दी।