Gold Jewellery Vs Gold Coin: देशभर में विवाह और त्योहार के मौके पर ही सोने की ज्वेलरी खरीदने वालों की लाइनें लगती हैं, लेकिन कई लोग कीमतों को देखकर भी सोने में निवेश कर लेते हैं। इस मामले में आप क्या सोने की ज्वेलरी खरीदना फायदेमंद होता है या बिस्किट-सिक्का खरीदने में फायदा होता है, इसकी पूरी जानकारी खबर में मिलेगी।
भारत में हर व्यक्ति का सोने के प्रति खास लगाव है, चाहे वह गरीब हो या अमीर। हर परिवार की सोने के आभूषण खरीदने और पहनने की इच्छा होती है। क्योंकि सोने के आभूषण सिर्फ शान बढ़ाते हैं बल्कि आर्थिक संकट में भी मदद करते हैं। सोने के आभूषण रखकर आप आसानी से ऋण प्राप्त कर सकते हैं या उन्हें बेचकर तत्काल पैसा प्राप्त कर सकते हैं। ये बातें सभी जानते हैं, लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं जानते हैं कि सोने के आभूषण खरीदना निवेश के रूप में सही नहीं हो सकता, क्योंकि यह नुकसान का सौदा साबित हो सकता है।
थोड़ी देर के लिए आपको यह बात परेशान कर सकती है कि सोने की ज्वेलरी खरीदना कैसे नुकसान का सौदा हो गया है। चलिए आपको बताते हैं कि निवेश के नजरिये सोने की ज्वेलरी और सोने के बिस्किट खरीदने में क्या ज्यादा बेहतर है?
आपको जेवर पर यह सोच बदलनी चाहिए
किसी भी ज्वेलरी शॉप पर जाने पर अलग-अलग डिज़ाइनों के आभूषण मिलते हैं, जैसे हार, अंगूठी, गले की चेन, जो कई लोगों को आकर्षित करते हैं। लोग सोने की चमक और आभूषण के डिज़ाइन को देखकर अक्सर इसे खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं, सोचते हैं कि कुछ साल पहनने के बाद इसे बेचकर अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा। लेकिन यह सोच गलत है।
मेकिंग चार्ज की लागत
सोने की ज्वैलरी खरीदते या बनवाते समय मेकिंग चार्ज देना होता है। लेकिन, जब आप गहने बेचते हैं या एक्सचेंज करते हैं तो मेकिंग चार्ज का अमाउंट नहीं मिलता है। अगर आप बिस्किट खरीदते हैं तो इसमें ऐसा नहीं होता है। सोने की ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज प्रति ग्राम और कुल रकम के हिसाब से लगता है। मेकिंग चार्ज प्रति ग्राम 250 रुपये और कुल रकम पर 10 से 12 प्रतिशत तक हो सकती है। अगर आप 6 लाख रुपये की गोल्ड ज्वैलरी बनवाते हैं तो 10 फीसदी मेकिंग चार्ज के तौर पर 60,000 रुपये देने पड़ते हैं। वहीं, सोने की शुद्धता के लिए फिल्टर चार्ज भी लिया जाता है।
बेचने पर पूरी कीमत नहीं मिलती
सोने की ज्वैलरी बेचने पर पूरी कीमत नहीं मिलती है। क्योंकि, आभूषण के निर्माण में गोल्ड के साथ अन्य धातुओं का भी इस्तेमाल होता है। जब भी आप गहनों को बेचने जाते हैं तो भुगतान गोल्ड की मात्रा से हिसाब से होता है। लेकिन, बिस्किट में ऐसा नहीं होता है।
नफा-नुकसान का अंतर समझें
मान लीजिए आप 10 ग्राम गोल्ड की ज्वैलरी खरीदते हैं तो भाव 62,740 रुपये है। इसके ऊपर मेकिंग चार्ज और फिल्टर चार्ज देना होता है जो 6000 (10 फीसदी के हिसाब से) से ज्यादा होता है। वहीं, सोने का बिस्किट खरीदने पर आपको सिर्फ 62,740 रुपये देना होगा। जब आप गहने को बेचेंगे तो मेकिंग चार्ज और फिल्टर चार्ज नहीं होंगे। जवेलरी पर कटौती के साथ भुगतान होगा, क्योंकि पेमेंट जवेलरी में गोल्ड की मात्रा के आधार पर होगा। इसलिए, निवेश के लिहाज से ज्वेलरी खरीदना नुकसान का सौदा साबित होता है।