Jyotish Ke Upay: आज हमें जीवन में जो कुछ भी प्राप्त है, वह हमारे ही किसी जन्म के प्रारब्ध का परिणाम है। जो हासिल है और जो हासिल नहीं हैं, सब प्रारब्ध है। प्रारब्धों कि गणना, जमा घटा के बाद जन्म के समय लग्न, राशि, और ग्रह योगों के अनुसार हमें यह जीवन प्राप्त होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक घटित होने वाली घटनाओं का सारा लेखा-जोखा जन्मपत्री में लिखा होता है। कर्म दो प्रकार के होते है - दृढ कर्म और अदृढ़ कर्म।
पहले प्रकार के कर्मों को बदलने का अधिकार क्षेत्र सिर्फ भगवान शिव अर्थात ईश्वर के पास होता है या सिद्ध संतों के पास होता हैं। पूर्व जन्मों के कारण ही जीवन में निर्धनता, रोग, शोक, पारिवारिक तनाव, शत्रुता, मृत्युभय और बार-बार असफलता प्राप्त होती है। अगर जीवन में लम्बे समय तक सिर्फ संघर्ष और दुःख आपके हाथ आ रहा है तो समझना चाहिए कि भाग्य में यही लिखा है।
अपने प्रारब्ध को बदलने के लिए व्यक्ति को अपने दुर्गुणों का नाश स्वयं करना होता है, अपने लोभ, मोह, माया, अहंकार और क्रोध जैसे दोषों को छोड़कर संतुष्टि, धैर्य, यथार्थ, विनम्रता और नम्रता जैसे गुणों को अंगीकार करना होता है, इससे कुछ हद तक कर्मों को बदला जा सकता है। और दुखों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
नामजप और मंत्रजाप से पापों को कम किया जा सकता है, और वर्तमान जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। नामजप और मंत्रसिद्धि से ईश्वर हमारी प्रार्थना जल्द सुनते है। ठीक इसी प्रकार संत सिद्ध व्यक्ति भी दया कर, कष्टों का हरण करते है।
ज्योतिषीय उपाय भी कुछ इसी प्रकार काम करते है। ज्योतिषीय उपायों के द्वारा दृढ कर्मों के परिणाम को तो नहीं बदला जा सकता, परन्तु अदृढ़कर्मों के परिणाम को अवश्य बदला जा सकता है। मन्त्र, मणि, रुद्राक्ष, व्रत, यन्त्र, आदि से दुखों को कम अवश्य किया जा सकता है। बशर्ते कि मन से प्रयास किया जाए, आस्था और विश्वास से उपाय किये जाएँ।
ऐसा कहा जाता हैं कि कुंडली / Kundli के रूप में जो ब्रह्मा जी ने लिखा दिया, उसे उसके बाद स्वयं ब्रह्माजी भी नहीं बदल सकते है। उपायों के द्वारा स्थिति को सुधारा जा सकता है। घटनाओं को बदलना सम्भव नहीं हैं, हाँ घटनाओं में सुधार किया जा सकता है। हम अपने व्यवहार में सुधार कर अपने वर्तमान जीवन के कर्मों को बेहतर कर कर सकते है। अगर हम अच्छा व्यवहार करते है तो उससे मिलने वाले परिणामों को भी बदला जा सकता है।
यहाँ एक और विचारधारा पर चला जा सकता है कि अपने व्यवहार और अपनी सोच को बदलने का प्रयास किया जाएँ। सोच बदलने से भाग्य को बदला जा सकें या न बदला जा सके परन्तु मन स्थिति को अवश्य बदला जा सकता है। हम जो भी कर्म कर रहे हैं, यदि उसे बदल लेते है तो भाग्य में भी बदलाव हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि हमारे कर्म रुपी बीज का फल ही हमारा भाग्य होता है। सोच, विचारधारा, और कार्य करने के तरीके में बदलाव करने के बाद भाग्य को अपने पक्ष में किया जा सकता है।
वेदों में ज्योतिष विद्या का स्पष्ट वर्णन है, वैदिक विद्या में कहा गया है कि मंत्र, मणि और औषधि से भाग्य को बदला जा सकता है। जन्म पत्री के अनुसार अशुभ भावों के स्वामी ग्रहों कि अशुभता को कम किया जाता है, इससे अशुभ फल प्राप्त होने कि संभावना को कम किया जा सकता है। इसके विपरीत जो ग्रह कुंडली में शुभ होकर, बली रूप में स्थित हो, उनकी शुभता को बढ़ाया जाता है और अधिक से अधिक मात्रा में इन ग्रहों का फल पाने का प्रयास किया जाता है।
ज्योतिष के 5 उपायों से भाग्य को बदलें
रत्न
वैदिक उपायों के रूप में सबसे पहला उपाय रत्न धारण आता है। अपनी राशि के अनुसार शुभ रत्न, भाग्य को सरलता से बदलते है। रत्न धारण करने पर रत्नों कि रश्मियां धारक कि त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है। और भाग्य बदलना शुरू होता है।
रुद्राक्ष
जन्मपत्री के 6,8,12 त्रिक भावों को अशुभ भाव की संज्ञा दिए गई है। इन भावों को शुभता देने के लिए इन भावों के स्वामी ग्रहों के रुद्राक्ष धारण किये जाते हैं। रुद्राक्ष धारण से रोग, शोक, शत्रु कम होते है, और असाध्य रोगों में भी रहत मिलती हैं।
यन्त्र
रुद्राक्ष और रत्न के बाद जिसका सबसे तीव्र प्रभाव साधक पर पड़ता हैं वह हैं, यन्त्र शक्ति। ऐसा माना जाता है कि देव प्रतिमा के पूजन से मिलने वाले परिणामों कि तुलना में यंत्र पूजन से मिलने वाले फल १०० गुना अधिक होते है। यन्त्र एक ज्यामिति आकार लिए होते है, जिनसे पॉजिटिव ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
माला
सनातन धर्म में आध्यात्मिक माला का बहुत महत्त्व है। मंत्र जाप और नाम जप के लिए यह प्रथम सिद्धि है। शास्त्रों में यह कहा गया है कि कलयुग में नाम जप करने से ही इस भवसागर के पार जा सकते है। हवन, व्रत और अनुष्ठान से अधिक जाप करने से शुभ फल प्राप्त होते है। बिना माला के जाप सही रूप में नहीं किया जा सकता है। जाप करने के लिए माला कि आवश्यकता रहती है।
पारद
पारद धातु से बनी प्रतिमाओं, शिवलिंग का दर्शन पूजन विशेष फल देने वाला कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि जो कुछ भाग्य से प्राप्त करना संभव नहीं है वह पारद धातु कि देव प्रतिमा के दर्शन पूजन से प्राप्त किया जा सकता है।