अगर कोई ईएमआई डिफ़ॉल्ट करता है तो ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थाएं उसकी संपत्ति नीलाम कर सकती हैं। हालांकि इसके लिए कुछ नियम होते हैं और बैंक कुछ प्रक्रिया का पालन करते हैं। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
यदि कोई व्यक्ति ऋण लेता है और उसे ईएमआई का भुगतान करने में समस्या होती है, तो उस बैंक के पास, जिससे ऋण लिया गया है, ऋण राशि को वसूलने के लिए कई अधिकार होते हैं। अगर कोई ईएमआई चुका नहीं पा सकता, तो बैंक या वित्तीय संस्थाएं उसकी संपत्ति को नीलाम कर सकती हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ नियम होते हैं और बैंक कुछ प्रक्रिया का पालन करते हैं। इससे जुड़ा एक क़ानून है SARFAESI Act जो संपत्ति को नीलाम करने के संबंध में है।
SARFAESI एक्ट क्या है?
SARFAESI एक्ट 2002 में लागू किया गया था। जब ऋण लेने वाला अपनी बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाता है, तो उस स्थिति में यह बैंक और वित्तीय संस्थाओं को उस ऋण लेने वाले की संपत्ति को बेचकर अपना धन वसूल करने का अधिकार प्रदान करता है।
इसके लिए उसे कोर्ट की मंजूरी नहीं लेनी पड़ती है। हालांकि, इस एक्ट में यह बताया गया है कि ऐसा करने के लिए बैंक को कैसी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इस एक्ट को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद पैदा होने पर उसकी सुनवाई डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (डीआरटी) में होती है। देश में 39 डीआरटी हैं और पांच डेट रिकवरी एपेलेट ट्राइब्यूनल (डीआरएटी) हैं।
प्रोसेस क्या है?
नीलामी की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब ग्राहक ईएमआई चुकाना बंद कर देता है। अगर ईएमआई 30 दिन से अधिक समय तक नहीं चुकाई जाती है तो इसे 'स्पेशल मेंशन अकाउंट' (एसएमए) 1 कहा जाता है। अगर 60 दिन से अधिक समय तक पेमेंट नहीं होता है तो इसे एसएमए 2 कहा जाता है। 90 दिन से अधिक समय तक पेमेंट नहीं होने पर खाता को गैर-काम करने वाला संपत्ति (एनपीए) माना जाता है।
जब बैंक किसी खाते को एसएमए या एनपीए में डालता है, तो इसकी जानकारी Experian, CRIF और CIBIL जैसी क्रेडिट ब्यूरो कंपनियों को भेज दी जाती है। इससे ग्राहक और ऋण के गारंटर के क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ सकता है।
अगर ग्राहक किसी ऐसे कारण से ईएमआई नहीं चुका पा रहा है, जिस पर उसका नियंत्रण नहीं है, तो बैंक उसे लोन चुकाने के लिए अतिरिक्त समय दे सकता है। लेकिन, कानूनी नोटिस के बाद भी ग्राहक के बैंक का पैसा नहीं चुकाने पर बैंक लोन के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति अपने कब्जे में ले सकता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत SARFAESI एक्ट के सेक्शन 13 (2) के अनुसार की जाती है। उसके बाद सेक्शन 13 (4) के अनुसार कोर्ट के माध्यम से संपत्ति कब्जे में ली जाती है।