Loan Guarantor Rules: जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो उसे दो अन्य व्यक्तियों को गारंटर बनाना होता है। गारंटर का मतलब है कि यदि लोन लेने वाला व्यक्ति लोन का भुगतान नहीं करता है, तो गारंटर इसकी जिम्मेदारी लेता है। लोन गारंटर भी कर्ज चुकाने के लिए उतना ही जिम्मेदार होता है जितना कि लोन लेने वाला। यदि आप भी किसी पड़ोसी या रिश्तेदार के लोन लेने पर उनके गारंटर (लोन गारंटर) बनने जा रहे हैं, तो ऐसे में आरबीआई की गाइडलाइन और नियमों के बारे में जरूर जान लें।
अक्सर लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के लोन लेने पर उनके गारंटर बन जाते हैं। लोन समय पर जमा नहीं होने पर गारंटर को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां तक बैंक के कानूनी नोटिस के साथ ही लोन का भुगतान भी किया जाना सकता है। इसलिए लोन के मामले में किसी का गारंटर बनते समय बहुत जरूरी है कि सोच-समझकर फैसला लिया जाए। लोन गारंटर बनने से पहले आरबीआई की गाइडलाइन और नियमों का पता लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जिससे किसी भी प्रकार की कठिनाई में फंसने से बचा जा सके। सामान्यतः देखा जाता है कि गाँवों में भूमि खरीदने, कृषि कार्यों के लिए किसान ऋण लेते हैं और गारंटीदार बनते हैं। जबकि शहरों में वाहन, घर खरीदने या संपत्ति लीज पर लेने के लिए कई बार गारंटी की आवश्यकता होती है।
गारंटर कौन होता है
गारंटर वह व्यक्ति होता है जो किसी अन्य के ऋण के भुगतान के लिए बैंक को उसकी सहमति देता है। अगर कोई दूसरा व्यक्ति ऋण के भुगतान में असफल होता है, तो बैंक को गारंटर को ऋण के भुगतान करने का विकल्प होता है। गारंटर बनना उधारकर्ता की मदद करने के लिए सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि वह ऋण के भुगतान करने के लिए भी उतना ही जिम्मेदार होता है।
गारंटर पर लोन के लिए आरबीआई के निर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) बैंकों को लोन गारंटर संबंधी नियमों की दिशा निर्देश जारी करता है। आरबीआई बैंकों को उन लोन के लिए अपने निर्देश तैयार करने की अनुमति देता है जिन व्यक्तियों को गारंटर की आवश्यकता होती है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, गारंटर संबंधी नियम लोन आवेदक की रिपेमेंट क्षमता, उसकी आय, रोजगार और हाउसिंग विवरण जैसे कई कारकों पर निर्भर करते हैं।
क्या गारंटर लोन के लिए जिम्मेदार है?
गारंटर वह वित्तीय शब्द है जो एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताता है जो लोन लेने वाले के ऋण का भुगतान करने का वादा करता है, जिसे ऋणदाता नहीं कर सकता। गारंटर लोन के बदले कोलैटरल के रूप में अपनी संपत्ति को गिरवी रखते हैं। आरबीआई नियमों के अनुसार लोन गारंटर लीज पर ली गई संपत्ति या लिए गए लोन के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करता है। इसके बाद वह किरायेदार या लोन लेने वाले के बकाया पैसे के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार होते हैं।
गारंटर के सामने आने वाली चुनौतियाँ
लोनधारक के गारंटर बनने से उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से जब लोन समय पर वापस नहीं किया जाता है। इस प्रकार, लोनधारक की देनदारी गारंटर को भुगतान करना पड़ता है, जिससे उसका सीबिल स्कोर प्रभावित होता है। कई बार कानूनी नोटिस का सामना करना पड़ सकता है अगर कर्ज में देरी या भुगतान नहीं होता। लोन का भुगतान न करने पर गारंटर को अतिरिक्त वित्तीय दबाव भी बढ़ जाता है, और भविष्य में वह अपने लिए लोन प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना कर सकता है। गारंटर के बाद उसे रद्द नहीं किया जा सकता है, केवल बैंक ही उसे मुक्त कर सकता है।