Fixed Deposit: हर व्यक्ति के लिए बचत करना आवश्यक है। आवश्यकता पड़ने पर बचत का पैसा ही मददगार होता है। कई लोग बचत का उपयोग एफडी में निवेश करने के लिए करते हैं, लेकिन उन्हें बचत से संबंधित नियमों का पता नहीं होता। कई बार लोग एफडी को पहले ही टूटना चाहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एफडी को पहले ही टूटने पर कितना शुल्क लगता है?
लोगों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर वर्षों से विश्वास किया है क्योंकि एक निश्चित समय के बाद उन्हें इसमें गारंटीड रिटर्न मिलता है। हालांकि कई बार आवश्यकता होने पर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट को समय से पहले ही निकाल लेते हैं। बैंक प्रीमेचुर विथड्रॉल का विकल्प प्रदान करते हैं, जिसके द्वारा आप फिक्स्ड डिपॉजिट की निर्धारित अवधि से पहले पैसे निकाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको पेनाल्टी भी देनी होती है। प्रीमेचुरिटी से पहले फिक्स्ड डिपॉजिट को निकालने पर आपको कम ब्याज मिलता है और साथ ही पेनाल्टी भी देनी होती है।
जब आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो आपका निवेश एक निश्चित अवधि के लिए लॉक हो जाता है। आप इस अवधि के अनुसार अपने निवेश और वापसी का चयन करते हैं। इस अवधि के दौरान, आपका पैसा लॉक हो जाता है और मैच्योरिटी के बाद ब्याज के साथ वापस मिलता है। हालांकि, आप इस फिक्स्ड डिपॉजिट को मैच्योरिटी के पहले भी आपात स्थिति में निकाल सकते हैं।
जुर्माना कितना लगता है?
एफडी से पैसा पहले निकालने पर बैंक पेनाल्टी या जुर्माना वसूलते हैं। इन पेनाल्टी रेट्स विभिन्न बैंकों में भिन्न होते हैं और इन्हें आपके ब्याज दर से कटा जाता है। कुछ मामलों में यह पेनाल्टी 1% तक हो सकती है। आमतौर पर, बैंक आपसे इंटरेस्ट रेट का 0.5% से 1% तक का जुर्माना लेते हैं, जो कि आपके ब्याज पैसों से काटा जाता है।
SBI में चार्ज कितना लगता है?
एसबीआई के नियमों के अनुसार, मैच्योरिटी से पहले एफडी को तोड़ने पर आपके ब्याज में 1% तक की कटौती की जाती है। साथ ही, उस पर मिलने वाले ब्याज पर पेनाल्टी भी वसूली जाती है। यदि आप 5 लाख रुपए तक की एफडी करवाते हैं, तो उस एफडी को मैच्योरिटी से पहले तोड़ने पर 0.50% पेनल्टी देनी होती है। उसी तरह, 5 लाख से अधिक और एक करोड़ से कम की एफडी कराने पर 1% पेनल्टी समय से पहले तोड़ने पर लगती है।
FD पर ब्याज का कैलकुलेशन कैसे होता है?
यदि आप समय से पहले एफडी को तुड़वा रहे हैं, तो प्रभावी ब्याज दर वह नहीं होगी जैसी उसे खोलने पर थी। बैंकिंग की भाषा में, इसे बुक्ड रेट कहा जाता है, जो एफडी अकाउंट खोलने के समय निर्धारित होती है। इसके बजाय, पैसा जितने समय तक बैंक में रहता है, उसके हिसाब से कार्ड रेट पर ब्याज मिलेगा।