Retirement Planning: हर कोई चाहता है कि उसे बुढ़ापे में कोई दिक्कत न हो, इसलिए अगर आप भी अपने बुढ़ापे को सुरक्षित बनाना चाहते हैं तो पहले रिटायरमेंट प्लानिंग करने से पहले कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। चलिए, खबर में हम जानते हैं उन तरीकों के बारे में जो बुढ़ापे में किसी व्यक्ति की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं।
नौकरी, चाहे प्राइवेट हो या सरकारी, एक निश्चित समय में रिटायरमेंट तो दोनों ही में होता है। रिटायरमेंट के बाद आपकी बचतें ही आपकी ताकत होती हैं। इसलिए जरूरी है कि नौकरी के दौरान इतना पैसा बचा लिया जाए कि बुढ़ापे में, जब आपका शारीरिक और चालने फिरने का शक्ति नहीं रहेगा, तब आप अपनी सभी आवश्यकताओं को अपनी बचत से पूरी कर सकें। आपके पास इतनी बचत हो कि किसी से कभी आर्थिक सहायता की आवश्यकता नहीं पड़े। इसके लिए रिटायरमेंट प्लानिंग करना बहुत जरूरी है। यदि आप भी नौकरी में हैं, तो जानिए उन 4 महत्वपूर्ण बातों को जो रिटायरमेंट प्लानिंग के समय आपको याद रखनी चाहिए।
आधी जमा पूंजी की मूल्य कितने सालों में हो जाएगी?
आज हम 1 करोड़ रुपए की बात करते हैं, तो हमें यह बहुत बड़ी रकम लगती है, लेकिन कुछ सालों बाद इसकी कीमत बहुत अधिक नहीं होगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, आपको इतना पैसा जमा करना होगा, जो आपके रिटायरमेंट के समय में अच्छी वैल्यू रखता हो और उसी तरह आपको सेविंग्स और निवेश की रणनीति तय करनी होगी। अब सवाल यह है कि यह कैसे पता चलेगा कि आपकी जमा पूंजी की वैल्यू कितनी होगी? इसके लिए रूल ऑफ 70 आपकी सहायता करेगा, जो बताएगा कि कितने समय में आपकी जमा पूंजी की वैल्यू आधी हो जाएगी। इसके लिए आपको मौजूदा महंगाई दर को ध्यान में रखना होगा। जब आप 70 में मौजूदा महंगाई दर का भाग करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि कितने सालों में आपकी कुल जमा पूंजी की वैल्यू आधी हो जाएगी।
उदाहरण के रूप में समझें - मान लीजिए कि मौजूदा समय में महंगाई दर 6 प्रतिशत है। ऐसे में फार्मूला लागू करते हुए 70 को 6 से विभाजित करें। 70/6 = 11.66 अर्थात् करीब साढ़े ग्यारह सालों में आपकी जमा पूंजी की मूल्य आधी हो जाएगी। इसका मतलब है कि यदि आज एक अच्छा जीवन बिताने के लिए एक करोड़ रुपये की आवश्यकता है, तो लगभग साढ़े ग्यारह सालों बाद आपको अच्छे जीवन के लिए दो करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, क्योंकि तब एक करोड़ रुपये की मूल्य 50 लाख रुपये के बराबर होगी।
कंपाउंडिंग की शक्ति को समझें
जब आप तय कर लें कि आपको रिटायरमेंट की उम्र तक कितना पैसा इकट्ठा करना है, तो उसके लिए आपको उस संग्रह के रूप में पैसा बचाना होगा और उसे निवेश करना होगा। आपको ऐसे स्थानों पर निवेश करना चाहिए, जहां आपको कंपाउंडिंग ब्याज का लाभ मिले। कंपाउंडिंग में निवेश को धन में बदलने की क्षमता होती है, जिसमें आपको निवेश राशि के साथ उसके ब्याज पर भी ब्याज मिलता है। जितनी लंबी अवधि के लिए आप निवेश करेंगे, उतना ही अधिक कंपाउंडिंग का लाभ उठाया जा सकता है। इसलिए, नौकरी की शुरुआत के साथ ही कंपाउंडिंग लाभ देने वाली योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा निवेश करें, जैसे की पीपीएफ, एनपीएस, एसआईपी, आदि। इसके अलावा, नौकरीपेशा वीपीएफ के माध्यम से अपना निवेश ईपीएफ में भी बढ़ा सकते हैं, जिससे आप अच्छे-खासे रिटायरमेंट निधि को जोड़ सकते हैं। अगर आप बेटी के पिता हैं तो उसके भविष्य की आवश्यकताओं के लिए 'सुकन्या समृद्धि योजना' जैसी योजना का चयन कर सकते हैं।
पोर्टफोलियो में विविधता जरूर बनाए रखें
कहा जाता है कि सारे अंडे एक ही बाजार में नहीं रखने चाहिए। यही नियम निवेश के मामले में भी लागू होता है। इसलिए कभी भी सेविंग्स का सारा पैसा एक ही स्कीम में निवेश न करें। उस पैसे को विभाजित करके अलग-अलग स्कीम्स में लगाएं। यह एक सुरक्षित और स्मार्ट तरीका है। इस बात को अच्छी तरह से ध्यान रखें।
20 प्रतिशत बचत का नियम याद रखें
आपको अपनी पहली कमाई के साथ ही सेविंग्स की आदत डाल लेनी चाहिए। इसके लिए 20 प्रतिशत का नियम ध्यान रखें। वित्तीय नियम कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपनी इनकम का 20 फीसदी हिस्सा बचाना चाहिए और इसे निवेश करना चाहिए। ऐसे में अगर आपकी सैलरी 40,000 रुपए है तो आपको इसमें से 8,000 रुपए हर हाल में निवेश करने चाहिए। जैसे-जैसे सैलरी बढ़े, आप उसका 20 फीसदी का हिस्सा भी बढ़ेगा। इस नियम को फॉलो करते हुए अगर आप निवेश करते हैं, तो आने वाले 25 से 30 सालों में अच्छा खासा पैसा जोड़ सकते हैं।