बैंक में बचत खाता होना जरूरी है क्योंकि यह एक इमरजेंसी फंड के रूप में काम करता है। जब जरूरत हो, तो इससे पैसे निकाले जा सकते हैं। लेकिन यदि ये पैसे एफडी, एनएससी जैसी योजनाओं में निवेश किए गए हैं, तो इन्हें निकालने के लिए एक निश्चित समय का पालन किया जाना चाहिए। इसलिए बचत खाता होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्या आप जानते हैं कि बचत खाते में रखे पैसों पर भी कर देना आवश्यक होता है? आइए खबर में जानें कि बचत खातों पर लागू होने वाले आयकर विभाग के नियम क्या हैं।
बैंक खाता आजकल अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। एक परिवार में माता-पिता के साथ ही बच्चों का भी खाता होता है। सैलरी हो या फिर स्कॉलरशिप, सभी के लिए बैंक खाता नंबर की आवश्यकता होती है।
बैंक खाते दो तरह के होते हैं - एक सेविंग खाता (सेविंग अकाउंट) और एक करंट खाता (करंट अकाउंट)। जो लोग पैसे बचाने के उद्देश्य से खाता खोलते हैं, वे सेविंग खाते का विकल्प चुनते हैं।
सामान्यतः, सेविंग खाते में पैसे जमा करने की कोई सीमा नहीं होती है। कई बैंकों में धारक को न्यूनतम शेष राखने की भी आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, जब सेविंग खाते में निर्धारित सीमा से अधिक पैसा जमा होता है, तो खाताधारक को उस पर कर देना पड़ता है। इसलिए, आपको ध्यान देना चाहिए कि आप उसी मात्रा में पैसे जमा करें जो आयकर (ITR) के दायरे में आती है। अगर आप इससे अधिक पैसे खाते में रखते हैं, तो आपको बैंक द्वारा प्राप्त ब्याज पर कर भी देना हो सकता है।
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, अगर किसी सेविंग खाते से मिलने वाला ब्याज भी आय में गिना जाता है। इस प्रकार, यदि किसी खाताधारक की वार्षिक आय 10 लाख रुपये है और उसके सेविंग खाते पर 10,000 रुपये का ब्याज मिलता है, तो उसकी वार्षिक आय 10,10,000 रुपये हो जाएगी।
इतनी आय को आयकर अधिनियम के अनुसार कर योग्य माना जाता है। इसका अर्थ है कि अब खाताधारक को ब्याज पर कर का भुगतान करना होगा।
आयकर नियमों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने सेविंग खाते में एक व्यावसायिक वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक नकद रखता है, तो उसे इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी चाहिए।
अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो विभाग द्वारा टैक्स चोरी के मामले में कार्रवाई भी की जा सकती है। यह बताना महत्वपूर्ण है कि 10 लाख रुपये एक तरह से आय के रूप में देखे जाएंगे और यह कर योग्य होगा।