देश में काफी पैसा टैक्स के रूप में एकत्र किया जाता है। देश भर में कई बड़ी हस्तियां हैं जो करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में देती हैं। इनके अलावा, देश के कई नागरिक भी टैक्स जमा करते हैं। क्या देश की शान किसान भाइयों को भी टैक्स जमा करना होता है? इस बारे में विस्तार से जानने का इरादा है।
भारत में किसानों को उनकी खेती से प्राप्त होने वाली आय पर कोई कर नहीं देना पड़ता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कृषि से प्राप्त होने वाली आय मुक्त होती है। किसानों को इस प्रकार अपनी आय के लिए कोई रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में किसानों को खेती के अलावा आय प्राप्त होने पर कर देना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसान को कृषि के साथ-साथ अन्य व्यवसाय भी हैं, तो उन्हें कर भुगतान करना होगा।
अगर कोई किसान कृषि से प्राप्त धन को व्यापार के रूप में उपयोग करता है, तो उसे कृषि से प्राप्त धन पर कर देना होगा। किसानों को कर छूट देने का मकसद कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
टैक्स कब देना होता है?
अगर किसान भाई कृषि के अलावा अन्य व्यवसाय भी करता है, तो उसे उस व्यवसाय से प्राप्त होने वाली आय पर कर देना होगा। अगर कोई किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन या डेयरी व्यवसाय भी करता है, तो उसे पशुपालन या डेयरी व्यवसाय से प्राप्त होने वाली आय पर कर देना होगा।
यदि कोई किसान भाई कृषि की आय को व्यवसाय के रूप में चलाता है, तो उसे उस आय पर कर देना होगा। अगर कोई किसान खेती से प्राप्त होने वाले लाभ को बेचकर आय कमाता है, तो उसे उस लाभ पर कर देना होगा।
यदि किसान भाई कृषि से प्राप्त होने वाली आय को अन्य व्यवसायों में निवेश करता है, तो उसे उस निवेश से होने वाली आय पर कर देना होगा। अगर कोई किसान खेती से प्राप्त होने वाली आय को शेयर बाजार में निवेश करता है, तो उसे उस निवेश से होने वाली आय पर कर देना होगा।