Holika Dahan Upay: हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर आरंभ होगी, और 25 मार्च 2024 तक दोपहर 12:29 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, होली का दहन पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में करना शुभ माना जाता है।
ऐसे में, होली का दहन 24 मार्च को और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी। होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11:13 से लेकर 12:27 मिनट तक रहेगा। इस अंतराल में होलिका का दहन करना शुभ माना गया है। इसका मतलब है कि इस समय होलिका दहन करना बेहद शुभ होगा।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वैदिक शास्त्रों के अनुसार होलिका की रात्रि के समय पूजा करने से जिस भी जातक की Kundali में व्याप्त दोष होता है, उन्हें कम किया जा सकता है। इसके साथ ही होलिका की पूजा कर व्यक्ति शनि दोष और पितृ दोष को भी दूर कर सकता है। होलिका दहन पर गन्ना, भुनने और अग्नि की परिक्रमा करने से दोष दूर होते हैं। होलिका की परिक्रमा से जातक की ग्रह बाधा भी दूर हो जाती है।
होलिका दहन उपाय | Holika Dahan Upay
होलिका दहन पर कुछ उपाय भी बताए जाते हैं यह उपाय करने से आपके जीवन में सुख और शांति आएगी, यह उपाय क्या है। अब आप विस्तार से इसके बारे में जानेगे...
- होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों द्वारा एक साथ होलिका की परिक्रमा करना बेहद शुभ माना जाता है।
- परिक्रमा करते समय होलिका में चने, मटर, गेहूं और अलसी डालना धन लाभ का अचूक उपाय माना गया है।
- मान्यता के अनुसार होली वाली रात पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
- होलिका दहन के अगले दिन सबसे पहले मंदिर जाकर देवी देवताओं को गुलाल चढ़ाना चाहिए उसके बाद ही होली खेलनी चाहिए ऐसा करना बेहद अच्छा माना जाता है।
- होली के जलने के दौरान उसमें कपूर डालने से हमारे आसपास मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
- होलिका दहन के समय सरसों के कुछ दाने होलिका को अर्पित कर माला लक्ष्मी को याद करने से देवी लक्ष्मी घर पर कृपा बनाए रखती हैं।
होलिका दहन की पूजा विधि | Holika Dahan Ki Puja Vidhi
अब होलिका दहन के आवश्यक नियम और पूजा विधि क्या है। यह भी आपको ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, होली का दहन प्रदोष काल यानी कि सूर्यास्त के बाद शुरू होने वाला समय में किया जाना चाहिए, और इसे पूर्णिमा तिथि के प्रबल होने पर ही किया जाना चाहिए।
घर में सुख, शांति, और समृद्धि के लिए दहन से पहले होलिका पूजा का विशेष महत्व होता है। होली का पूजन करते समय, अपना मुंह पूर्व या उत्तर की ओर करके बैठें। पूजा की थाली में रोली, पुष्प, माला, नारियल, कच्चा, सूत, साबुत हल्दी, मूंग, गुलाल, और पांच तरह के अनाज जैसे गेहूं की बलियां रखें, और उनमें एक लोटा जल होना चाहिए।
होलिका के चारों ओर परिवार के साथ साथ परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ माना जाता है। इसके बाद, विधिवत तरीके से पूजन के बाद होलिका को जल का अर्घ दें और सूर्यास्त के बाद भद्रा रहित काल में होलिका दहन करें। होलिका दहन की राख को बहुत पवित्र माना जाता है, इसलिए होलिका दहन के अगले दिन सुबह के समय इस राख को शरीर पर मलने से समस्त रोग और दुखों का नाश किया जा सकता है। इसलिए इन सभी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
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