Railways को उपलब्धता आधारित टैरिफ (ABT) मीटर के प्रावधान में हुई देरी के कारण करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। लोक लेखा समिति (PAC) की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम मध्य रेलवे / West Central Railway ने एबीटी मीटर के प्रावधान में हुई देरी के कारण बिजली खरीद पर 75.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।
बुधवार को समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की, जिसमें उजागर किया गया है कि मार्च 2015 में रेल मंत्रालय ने सभी जोनल रेलवे को खुले बाजार से सीधे बिजली खरीदने और एबीटी मीटर लगाने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य था कि खुले बाजार से बिजली खरीदकर परिवहन लागत को कम किया जाए।
एबीटी मीटर विशेष प्रकार के ऊर्जा मीटर होते हैं जिनका उपयोग टैरिफ प्रणाली के अंतर्गत बिजली की खपत की निगरानी और गणना करने के लिए किया जाता है।
मार्च 2016 में ओपन एक्सेस के तहत एक समझौता होने के बावजूद, बिजली की आपूर्ति जनवरी 2017 से शुरू हुई, जिसका मुख्य कारण एबीटी मीटर के प्रावधान में देरी थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 2022 में संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के अनुसार, ओपन एक्सेस की तरफ शिफ्ट होने में देरी की वजह से बिजली खरीद पर 75.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ।
समिति ने यह कहा कि मंत्रालय के बार-बार निर्देशों के बावजूद, पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन ने आवश्यक एबीटी मीटरों को तुरंत सुरक्षित और स्थापित नहीं किया।
रिपोर्ट के अनुसार, एबीटी मीटर अंत में 10 जनवरी, 2017 और 20 अप्रैल, 2017 के बीच खरीदे और लगाए गए थे। इस प्रकार, एबीटी मीटर की खरीद और अनुमान तैयार करने में एक साल से अधिक की देरी हुई, जिसके कारण 15 मार्च, 2016 से 10 जनवरी 2017 तक की अवधि में 75.10 करोड़ रुपये का भारी अतिरिक्त खर्च हुआ।
समिति ने सुझाव दिया है कि मंत्रालय को रेलवे के परिचालन नेटवर्क से संबंधित सभी सामानों की खरीद प्रक्रिया को व्यवस्थित और फास्ट-ट्रैक करना चाहिए।