निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल है। यदि आपने किसी प्राइवेट फर्म में 10 साल तक काम किया है, तो आप पेंशन के पात्र हो जाते हैं। इस पेंशन को कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद प्रदान किया जाता है। इस मामले में, सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह होता है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु 58 साल की उम्र के बाद होती है, तो क्या उसकी पत्नी को पेंशन का लाभ होता है। चलिए, इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
प्राइवेट कर्मचारी की पेंशन देने की जिम्मेदारी ईपीएफओ की होती है। ईपीएफ एक प्रोविडेंट फंड का रूप धारण करता है, जिसका उद्देश्य कर्मचारी को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। कर्मचारी प्रतिमाह एक निश्चित राशि, जो कर्मचारी की मौजूदा वेतन का 12 प्रतिशत होता है, ईपीएफ फंड में जमा करता है। इसके अलावा, कंपनी भी कर्मचारी के साथ योगदान करती है।
कंपनी प्रतिमाह कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में योगदान करती है, जिसका उपयोग सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्रदान करने के लिए किया जाता है।
पेंशन कब से मिलती है?
सरकार ने 58 साल की आयु में सेवानिवृत्ति का निर्धारण किया है। कर्मचारी द्वारा की गई योगदान राशि का एक हिस्सा पीएफ फंड में और एक हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है। जब कर्मचारी की आयु 58 साल की होती है, तो वह इस फंड से धन निकाल सकता है। पीएफ अकाउंट से कर्मचारी एकबार में पूरा राशि निकाल सकता है, जबकि ईपीएस अकाउंट में जमा किए गए फंड को पेंशन के रूप में दिया जाता है।
पत्नी को पेंशन कब मिलती है?
यदि कर्मचारी की मृत्यु 58 साल के बाद हो जाती है, तो उसकी पत्नी को उसकी पेंशन का हक प्राप्त होता है, जिसके साथ ही नॉमिनी को पूरी राशि मिलती है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर पेंशन राशि का आधा हिस्सा उसकी पत्नी को प्राप्त होता है। यदि रिटायरमेंट से पहले ही कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को पेंशन के रूप में यह राशि पूरी मिलती है। इसमें कर्मचारी की मृत्यु के बीच जो अंतर होता है, उसी की कमी में पेंशन राशि दी जाती है।
विधवा के लिए पेंशन राशि को 1,000 रुपये में निर्धारित किया गया है। इसका अर्थ है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी को 1,000 रुपये की राशि पेंशन के रूप में प्राप्त होती है।