Bank Locker में पैसे जमा करके, अगर आप सोच रहे हैं कि आपने सुरक्षित हो गए हैं, तो यह एक गलतफहमी है। एक घटना के माध्यम से आपकी भी आंखें खुल सकती हैं। मुरादाबाद जिले में एक महिला ने अपनी बेटी की शादी के लिए बैंक लॉकर में गहने और 18 लाख रुपये जमा किए थे। सालभर बाद, जब उन्होंने पैसे निकालने के लिए आवेदन किया, तो पता चला कि गहने सुरक्षित हैं, लेकिन रुपये की गड्डियां दीमकों ने खा लीं। अब सवाल यह है कि क्या बैंक इसकी भरपाई करेगा?
यह समस्या न केवल मुरादाबाद की महिला लॉकर धारक के सामने ही प्रकट हुई है, बल्कि कई लोग इस समस्या से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे मामलों में बैंक आमतौर पर हाथ उठा देते हैं। मुरादाबाद के मामले में भी बैंक प्रबंधन ने महिला लॉकर धारक को किसी भी नुकसान का मुआवजा नहीं देने का इंकार किया, बैंक ने नियमों का हवाला देते हुए पैसे वापस या मुआवजा नहीं देने का निर्णय लिया है। इस परिस्थिति में बैंक ग्राहक को क्या करना चाहिए, यह सोचने योग्य प्रश्न है।
लॉकर का नियम क्या है?
साल 2022 तक बैंक लॉकर संबंधी नियम में एक सीधी शर्त थी कि अगर किसी ग्राहक की कोई संपत्ति नुकसान होती है, तो उसे पूरी भरपाई बैंक करेगा। इसी कारण अधिकांश मामलों में बैंक अक्सर हाथ पसारकर ग्राहक को किसी भी प्रकार की भरपाई से इनकार कर देता था। बैंकों के इस व्यवहार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजर्व बैंक ने नई गाइडलाइन जारी की।
नई गाइडलाइन क्या है?
रिजर्व बैंक ने नई मार्गदर्शिका में बैंक लॉकर से जुड़े नियमों को स्पष्ट कर दिया है। अब, बैंक और ग्राहक के बीच, नई मार्गदर्शिका के अनुसार समझौता होगा। नई मार्गदर्शिका के अनुसार, यदि लॉकर में रखा सामाना किसी कारण से नुकसान होता है या चोरी हो जाती है, तो बैंक ग्राहक को लॉकर की सालाना फीस का 100 गुना मुआवजा देगा। उदाहरण के लिए, एसबीआई मेट्रो शहरों में मध्यम साइज के बैंक लॉकर के लिए हर महीने 3000 रुपये और जीएसटी लेता है, जिससे सालभर में कुल 36,000 रुपये की फीस होती है। इसका मतलब है कि यदि लॉकर में रखे सामान को नुकसान होता है, तो बैंक 36 लाख रुपये तक का मुआवजा देगा, इससे फर्क नहीं पड़ता कि ग्राहक ने 1 लाख या 1 करोड़ रुपये जमा किए हों।
कब नहीं मिलता मुआवजा
बैंक ऑफ बड़ौदा के सहायक प्रबंधन ज्ञान द्विवेदी का कहना है कि अगर प्राकृतिक आपदा के कारण लॉकर में नुकसान होता है, तो बैंक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होती। साथ ही, यदि ग्राहक की गलती के कारण नुकसान होता है, तो बैंक कोई हर्जाना नहीं देता है। वास्तविकता में, ग्राहक बैंक को लॉकर में क्या रखा है, इस जानकारी को न तो बैंक को देता है और न ही बैंक इसकी जानकारी को ग्राहक से मांगता है। यह पूरी तरह गोपनीय होता है। मुरादाबाद की घटना में, बैंक ने नियमों के अनुसार हर्जाना देने से इनकार किया है, लेकिन नियम के तहत ग्राहक को बैंक से हर्जाना लेने का पूरा अधिकार है।