Bank में बचत खाता / Saving Account रखना जरूरी है, क्योंकि यह एक आपातकालीन निधि के रूप में कार्य करता है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर पैसे निकाले जा सकते हैं। हालांकि, इस धन को एफडी, एनएससी, आदि जैसी योजनाओं में जमा करने की स्थिति में इसे निकाला नहीं जा सकता है। इसलिए, बैंक में बचत खाता रखना अत्यंत आवश्यक है। इन बचत खातों में राखे गए धन पर बैंक ब्याज भी प्रदान करते हैं, जिसमें यह दर 2.7% से 4% तक हो सकती है या कुछ बैंकों में इससे अधिक भी हो सकती है। सामान्यत: अधिकांश प्रमुख बैंक 2.7% से 4% के बीच ब्याज प्रदान कर रहे हैं, जबकि IDFC बैंक में यह दर 7% है।
लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता कि उनके बचत खाते में रखे पैसों पर ब्याज कैसे जुड़ रहा है। इस पर बहुत से लोग ध्यान भी नहीं दे पाते कि उनके अकाउंट में कब और कितना ब्याज जुड़ा है। वास्तविकता में, अब बैंक बचत खाते पर ब्याज डेली बेसिस पर कैलकुलेट करते हैं। कुछ बैंक इसे तिमाही आधार पर जोड़ते हैं, जबकि कुछ बैंक छमाही आधार पर ब्याज आपके खाते में शामिल करते हैं, जिसकी आपको जानकारी नेट बैंकिंग के माध्यम से बैलेंस देखने या पासबुक एंट्री देखने पर होती है। इसलिए यह आपके लिए महत्वपूर्ण है कि आप यह जानें कि ब्याज कैसे जुड़ता है।
सेविंग्स पर इंटरेस्ट कैसे जोड़ते हैं
भारत में प्रत्येक बैंक वार्षिक रूप से 4% से 6% के बीच ब्याज प्रदान करता है। यह ब्याज बैंककर्मी दैनिक आधार पर जोड़ते हैं और तिमाही आधार पर आपके खाते में जोड़ते हैं, जिसकी आपको जानकारी पासबुक एंट्री या बैलेंस देखने पर होती है।
मानिए कि महीने की पहली तारीख को आपके सेविंग्स अकाउंट में 50 हजार रुपए जमा हैं। यह बैलेंस पहली से 5 तारीख तक बना रहा। तो, 50,000 (जमा रकम) X 4 (ब्याज दर)/100 से आई रकम (2000) को 365 (साल के दिन) से भाग करके हर दिन का ब्याज निकलता है, जो 5.57 है। अब, पांच दिनों का ब्याज निकालने के लिए इसे 5 से गुणा किया जाए। इसका मतलब है कि आपने अपने खाते में 5 दिनों में 27.35 रुपए का ब्याज कमाया है।
अब सोचिए, आपने बैंक से 4 हजार रुपए निकाल लिए हैं। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में बचे हुए राशि पर 46 हजार रुपए का ब्याज जोड़ा जाएगा। इसके बाद, मानिए कि 10 तारीख को आपने खाते में 14 हजार रुपए जमा किए हैं। इससे बैलेंस 60 हजार रुपए हो जाएगा और इन पैसों पर ब्याज जोड़ा जाएगा।
आयकर ब्याज पर देना होता है
बैंक के सेविंग अकाउंट में रखी गई राशि पर जो ब्याज बनता है, उस पर बैंक अकाउंट होल्डर को कर देना होता है। बैंक 10% टीडीएस ब्याज पर काटता है। बलवंत जैन ने बताया है कि ब्याज पर कर देना अनिवार्य है, लेकिन इस पर आपको आयकर कटौती का लाभ उठाया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 टीटीए के अनुसार, सभी व्यक्ति 10 हजार रुपए तक की कर छूट प्राप्त कर सकते हैं। अगर ब्याज 10 हजार रुपए से कम होगा तो आपको कर नहीं देना होगा।
इसी रूप में, 60 साल से अधिक आयु के खाता धारक को 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर कर नहीं देना पड़ता है। यदि आपकी कुल सालाना आय में उस ब्याज को जोड़ने के बाद भी, आपकी सालाना आय इतनी नहीं है कि उस पर कर लगे, तो आप फिर फॉर्म 15 G जमा करके बैंक द्वारा काटे गए टीडीएस का रिफंड प्राप्त कर सकते हैं।