अगर मुआवजा नहीं दिया जाता, तो हर महीने बैंक को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ खाता धारकों को रुपये देने होंगे। हालांकि, यह मुआवजा केवल 32 खाताधारकों में से केवल 9 को ही दिया जाएगा। पीड़ितों का कहना है कि यह देश का पहला ऐसा मामला है, जहां कोर्ट ने बैंक को लॉकर टूटने का दोषी मानते हुए हर्जाना देने का आदेश दिया है।
17 फरवरी 2018 को कानपुर के नौबस्ता इलाके में यूनियन बैंक की शाखा में लूटेरे ने बैंक में सुरंग बनाकर गैस कटर से 32 लॉकर काटकर 13 किलो सोना और 100 किलो चांदी के जेवर उठा लिए थे। इस मामले में पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इनके पास से साढ़े 4 किलो सोना और 18 किलो चांदी की बरामदगी की थी। अन्य जेवरात का पुलिस अबतक कुछ पता नहीं लगा पाई।
इसमें 9 ऐसे परिवार थे, जिनके 25 से 40 लाख रुपये के जेवरात कानपुर के यशोदा नगर यूनिनयन बैंक में रखे थे। इसमें सुशील शुक्ला के साथ ही अखिलेश कुमार शिवहरे, अनुपम द्विवेदी, कांति बाजपेई, उमाकांत अवस्थी, नीरू सिंह, एकता शुक्ला, पीएन श्रीवास्तव और शैलेश पांडेय शामिल हैं। अब इसी फैसले को आधार बनाकर जिला उपभोक्ता फोरम में अन्य को मुआवजा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।