चंदौली जिले के वन क्षेत्र में स्थित राजदरी देवदारी पर्यटन केंद्र ने नए साल की शुरुआत पर पिछले वर्ष के सैलानी संख्या में कमी का सामना किया है। वर्ष 2023 की शुरुआत में, पिछले वर्ष की तुलना में, राजदरी देवदारी पर्यटन केंद्र ने एक जनवरी को 2,25,750 रुपए की राजस्व प्राप्त किया था। हालांकि, इस वर्ष की पहले दिन में मात्र 69,150 रुपए का राजस्व हुआ है।
राजदरी-देवदरी जलप्रपात सैलानियों के लिए इस बार नए वर्ष में रास नहीं आया। नए वर्ष के पहले दिन, महज 1007 सैलानी ही जलप्रपात तक पहुंचे। इससे विभाग को 69,150 रुपए का राजस्व हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है।
पिछले पांच वर्षों में सबसे कम सैलानियों के पहुंचने का रिकॉर्ड इस बार बन गया है। एक जनवरी 2023 को, बाइक, लक्जरी, और टूरिस्ट वाहनों से सैलानियों का एक बड़ा कारवां देखा गया। इस उमड़ते हुए कारवां ने वन विभाग को दो लाख 25 हजार 750 रुपए के रूप में रिकॉर्ड राजस्व प्रदान किया। यह एक दिन में हुई राजस्व प्राप्ति का नया रिकॉर्ड है।
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ईको टूरिज्म के तहत विकसित होने के बावजूद, जलप्रपात पर पर्यटक आकर्षित नहीं हो सके, और पिछले वर्ष भी यही स्थिति बनी रही। पिछले वर्ष, एक जनवरी को पर्यटकों की संख्या 3481 रही।
जलप्रपात पर 427 कार, 420 बाइक, और तीन बसें पहुंची थीं। पर्यटकों के वाहन और पर्यटक प्रवेश शुल्क के रूप में, कुल 2,25,750 रुपये का राजस्व वन विभाग को मिला। इसके बराबर, एक जनवरी 2022 को राजदरी देवदरी जलप्रपात पर वाहन और पर्यटकों से प्राप्त हुए प्रवेश शुल्क के रूप में महज 1,62,520 रुपये का राजस्व था।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, एक जनवरी 2021 को 2,24,550 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसके मुकाबले, एक जनवरी 2020 को 1,32,000 रुपये और एक जनवरी 2019 को 1,25,000 रुपये का राजस्व राजदरी-देवदरी जलप्रपात प्रवेश द्वार से जुटाया गया था। इस बार, एक जनवरी 2024 को 1007 पर्यटक पहुंचे, जिनमें 140 कारें और 240 बाइकें शामिल थीं। पर्यटकों और वाहनों से 69,150 रुपये का राजस्व हुआ, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे कम राजस्व जुटाने का रिकॉर्ड है।
जलप्रपात पर नववर्ष, स्वतंत्रता दिवस, और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर सैलानियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होती है। लोग मानते हैं कि इस वर्ष पूर्वाचल के राजदरी देवदरी जलप्रपात पर, जो कि वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, सोनभद्र, और बलिया जनपद समेत समीपवर्ती बिहार से भी संबंधित है, जनपद की अपेक्षा में सामान्यत: सैलानी कम हैं। इसके बावजूद, विभाग द्वारा सुविधा में सुधार किया जा रहा है।
लोग मानते हैं कि इस वर्ष जलप्रपात पर स्थित डायमेट्रिक नेचर, सेंटर, काटेज, इत्यादि, जिन्हें वन निगम के प्रबंधन में सौंपा गया है, के कारण सैलानियों की संख्या इस वर्ष कम है। नए वर्ष के दिन, राजदरी देवदरी पर 1007 पर्यटक आए, जिन्होंने प्रति व्यक्ति 50 रुपए की दर पर 50,300 रुपए का योगदान किया, 140 चार पहिया वाहनों से 100 रुपए की दर पर 14,000 रुपए की राशि जमा की, और 240 बाइकों से प्रति बाइक 20 रुपए की दर पर 4,800 रुपए का योगदान किया। सैलानियों की कमी के पीछे भारी भरकम प्रवेश शुल्क और मौसम को जिम्मेदार माना जा रहा है।
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