मकर संक्रांति के पर्व के अवसर पर नगर के बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ बढ़ रही है। नगर में विभिन्न स्थानों पर चूंडा, लाई, 'गुड़', तिलवा, तिलकुट, आदि की दुकानों पर भीड़ काफी दिखी जा रही है। एक ओर पर्व के आसपास देखते हुए घरों में आवश्यक आइटमों के लिए, तो दूसरी ओर रिश्तेदारों को भेजने के लिए सामान की खरीदारी करने वालों की भीड़ देखी जा रही है। चूड़ा कूटने के लिए मशीनों में भी भीड़ बढ़ रही है।
मकर संक्रांति का त्योहार अब शेष कुछ दिनों के लिए बचा है। इस उपलक्ष्य में, दही चूड़ा खाने का समर्पण होता है। बहुओं के घरों में, खिचड़ी भेजने का एक प्राचीन परंपरा है। मकर संक्रांति से पहले, मायके में रहने वाली बहुओं और सुसराल में रहने वाली बेटियों को साड़ी, श्रृंगार, सामग्री, चूड़ा, तिलकुट, तिलवा, मिठाई, और ढूंढा भेजा जाता है। इसे बहुओं और बेटियों की मधुर आपसी बंधन की प्रतीति माना जाता है। बाजार में तिलवा, तिलकुट, ढूंढा, और गुड़ की दुकानों पर भी भीड़ देखी जा रही है।
इसके अलावा, श्रृंगार और कपड़े की दुकानों में भी खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है। गावों में आज भी खिचड़ी भेजने की परंपरा है। मकर संक्रांति पर्व पर दूध और दही की मांग बढ़ जाती है, और इनकी पूर्ति के लिए लोग तैयारी में जुट रहे हैं। इस पर्व को देखते हुए डेयरी वालों के यहां दूध और दही की मांग बढ़ गई है।