पंचक 2024: साल 2024 में पंचक तिथियों की शुरुआत और समाप्ति का समय चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब ग्रह गोचरों के दौरान कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवृत्त होता है, तो उसे 'पंचक' कहा जाता है। दूसरे रूप में, चंद्रमा जब पांच नक्षत्रों से गुजरता है, तो इसे 'पंचक' कहा जाता है, जो इन नक्षत्रों के मेल से उत्पन्न होने वाले विशेष योग को संकेत करता है। इस पंचक का समय धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, और रेवती नक्षत्र के साथ होता है। कई विद्वान धनिष्ठा नक्षत्र को पूरे पंचक के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ लोग इसे आधे पंचक के रूप में मानते हैं। इस समय में किसी भी शुभ कार्य को करना अनुचित है और इस दौरान किए गए कार्यों का प्रभाव पांच गुणा बढ़ जाता है।
पंचक क्या होते हैं और इन्हें अशुभ क्यों समझा जाता है?
पंचक के दौरान विवाह और गृह प्रवेश जैसे कार्यों में विलंब हो सकता है। धनिष्ठा नक्षत्र के समय दक्षिण दिशा की ओर यात्रा, छत निर्माण, ईंधन संग्रहण, या खाट बनाना पायरोमेनिया का कारण बन सकता है। शतभिषा नक्षत्र के दौरान इन क्रियाओं से विवाद उत्पन्न हो सकता है। पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के समय इस प्रकार के कार्य से रोग, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के समय दंड, और रेवती नक्षत्र के समय ऐसे कार्य से धन की हानि हो सकती है।
पंचक नक्षत्रों के प्रकार
- धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्ध,
- शतभिषा नक्षत्र,
- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र,
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र,
- रेवती नक्षत्र।
2024 के सभी पंचक की तिथियां
यदि आप भी सोच रहे हैं कि साल 2024 में जरुरी कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश या कोई यात्रा को पंचक के अशुभ समय पर नहीं करना चाहते हैं, तो अपनी योजनाओं बनाने से पहले साल 2024 में आने वाले सभी पंचक की तिथियों और समय के बारे में जानें।
- जनवरी 2024: 13 जनवरी 2024 से लेकर 18 जनवरी 2024 तक, शनिवार से गुरूवार, रात 11:35 बजे से रात 03:33 बजे तक।
- फ़रवरी 2024: 10 फ़रवरी 2024 से लेकर 14 फ़रवरी 2024 तक, शनिवार से बुधवार, सुबह 10:02 बजे से सुबह 10:43 बजे तक।
- मार्च 2024: 8 मार्च 2024 से लेकर 12 मार्च 2024 तक, शुक्रवार से मंगलवार, रात 09:20 बजे से रात 08:29 बजे तक।
- अप्रैल 2024: 5 अप्रैल 2024 से लेकर 9 अप्रैल 2024 तक, शुक्रवार से मंगलवार, सुबह 07:12 बजे से सुबह 07:32 बजे तक।
- मई 2024: 2 मई 2024 से लेकर 6 मई 2024 तक, गुरूवार से सोमवार, दोपहर 02:32 बजे से शाम 05:43 बजे तक और 29 मई 2024 से लेकर 3 जून 2024 तक, बुधवार से सोमवार, रात 08:06 बजे से रात 01:40 बजे तक।
- जून 2024: 26 जून 2024 से लेकर 30 जून 2024 तक, बुधवार से रविवार, रात 01:49 बजे से सुबह 07:34 बजे तक।
- जुलाई 2024: 23 जुलाई 2024 से लेकर 27 जुलाई 2024 तक, मंगलवार से शनिवार, सुबह 09:20 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक।
- अगस्त 2024: 19 अगस्त 2024 से लेकर 23 अगस्त 2024 तक, सोमवार से शुक्रवार, शाम 07:00 बजे से शाम 07:54 बजे तक।
- सितंबर 2024: 16 सितंबर 2024 से लेकर 20 सितंबर 2024 तक, सोमवार से शुक्रवार, सुबह 05:44 बजे से सुबह 05:15 बजे तक।
- अक्टूबर 2024: 13 अक्टूबर 2024 से लेकर 17 अक्टूबर 2024 तक, रविवार से गुरूवार, रात 03:44 बजे से शाम 04:20 बजे तक।
- नवंबर 2024: 9 नवंबर 2024 से लेकर 14 नवंबर 2024 तक, शनिवार से गुरूवार, रात 11:27 बजे से सुबह 03:11 बजे तक।
- दिसंबर 2024: 7 दिसंबर 2024 से लेकर 11 दिसंबर 2024 तक, शनिवार से बुधवार, सुबह 05:07 बजे से सुबह 11:48 बजे तक।
पंचक के विभिन्न प्रकार क्या होते हैं?
सूर्य के डिग्री के आधार पर 5 प्रकार के पंचक बनते हैं। ये हैं - रोग, अग्नि, राज्य या नृप, चोर और मृत्यु। रोग पंचक में यज्ञ जैसे कार्य नहीं किए जाते, अग्नि पंचक में घर का निर्माण या गृहप्रवेश नहीं होता, नृप पंचक में नौकरी करना वर्जित है, चोर पंचक में यात्रा वर्जित है और मृत्यु पंचक में विवाह वर्जित है।
जानें पंचक को कब होते हैं, इसकी जानकारी प्राप्त करें:
- रोग पंचक उस दिन शुरू होता है जो रविवार को आता है।
- राज्य पंचक उस दिन शुरू होता है जो सोमवार को आता है।
- अग्नि पंचक उस दिन शुरू होता है जो मंगलवार को आता है।
- मृत्यु पंचक उस दिन शुरू होता है जो शनिवार को आता है।
- चोर पंचक उस दिन शुरू होता है जो शुक्रवार को आता है।
इन 5 उपायों को पंचक में आजमाएं
- पंचक के दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- आवश्यकता में रहने वालों को दान दें।
- जरूरतमंद जानवरों को खाना पिलाएं।
- अपने घर या मंदिर में विशिष्ट अनुष्ठान या पूजा करवा सकते हैं।
- इस समय नाखून या बाल काटने से बचें।
पंचक में करें ये काम
जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि पंचक को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। पंचक के दिन कई धार्मिक कर्म-कांड और पूजा-पाठ किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पंचक के दिन स्नान-दान अत्यंत फलदायी माना गया है। नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और दान का पुण्य कमाएं।
- इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। उनकी पूजा से सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- पंचक के दिन पंचामृत और पंचगव्य का भोग लगाकर भगवान की आराधना की जा सकती है।
- शास्त्रों के अनुसार इस दिन जप, तप, हवन और होम किया जाना चाहिए। ये सभी कर्म फलदायी होते हैं।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है। करें ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः।
- पंचक के दिन वैष्णव जनों को एकत्र होकर हरिकथा सुननी और कीर्तन करना चाहिए।
इस प्रकार पंचक 2024 के 6 दिनों पर उपरोक्त धार्मिक कार्यों को करके आप पंचक का विशेष लाभ उठा सकते हैं।
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पंचक क्या है?
पंचक शब्द संस्कृत के 'पंच' और 'अंक' शब्दों से बना है। 'पंच' का अर्थ है पांच और 'अंक' का अर्थ है अंक या दिन। इस प्रकार पंचक का अर्थ है पांचवां दिन।
यह एक विशेष तिथि है जो प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है। पंचक में माह की संख्या में से 5 घटाकर जो तिथि शेष रहती है, वही पंचक तिथि होती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी माह में 31 तिथियां है, तो 31 में से 5 कम करने पर 26 रह जाता है। तो इस माह की 26 वीं तिथि, पंचक तिथि होगी।
पंचक तिथि का महत्व -
पंचक को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। पंचक के दिन कई धार्मिक कर्म-कांड और पूजा-पाठ किए जाते हैं। पंचक के प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं -
- पंचक के दिन स्नान, दान, जप-तप से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है। ग्रहों की दृष्टि से भी यह तिथि उत्तम मानी गई है।
- शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया दान और धार्मिक कार्य 11000 गुना फल देते हैं।
- पंचक के दिन मनुष्य की अनेक पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- पंचक को समृद्धि और संतान प्राप्ति का दिन भी माना जाता है।
इस प्रकार पंचक पाप और दुखों से मुक्ति दिलाने वाला एक बहुत ही खास दिन है। सभी को अपने घर-परिवार की खुशहाली के लिए पंचक के दिन विशेष कार्य करने चाहिए।
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