क्या आप को पता है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं, इस बात के बारे में आज चर्चा करेंगे, हिंदू धर्म में श्राद्ध के दिन पितरों को स्मरण किया जाता है। इस दिन पितरों के लिए खीर का भोग चढ़ाया जाता है, और उनकी फोटो के सामने फूल आदि अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग पितरों की फोटो को अलमारी इत्यादि में सुरक्षित रखते हैं और श्राद्ध के दिन उन्हें बाहर निकालकर पूजा-अर्चना करते हैं, फिर फोटो को फिर से अलमारी में रख देते हैं।
कुछ लोग अपने घर में पितरों की फोटों को गलत स्थान पर लगा देते हैं, जिसे वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि पितरों की फोटो को घर में सही स्थान पर कैसे रखना चाहिए, तो हमारे यह लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
मित्रों, आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि घर में पितरों को किस स्थान पर रखना चाहिए और उनका स्थान कैसे सुनिश्चित करें। इसके अलावा, हम इस विषय से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। तो चलिए, हम आपको इस विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
परिवार में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए?
घर में पितरों की फोटो को हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए। यह दिशा पितरों के लिए सही मानी जाती है, और पितरों का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यम की दिशा मानी जाती है, और इसलिए यह पितरों के लिए सही मानी जाती है।
पितरों का स्थान कैसे तैयार करें?
पितरों के स्थान को बनाने से पहले, नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखें।
- पितरों का स्थान घर में हमेशा उत्तर दिशा में होना चाहिए।
- पितरों के मुख की दिशा को घर में हमेशा दक्षिण की ओर रखना चाहिए।
- एक से अधिक पितरों की फोटो घर में नहीं लगानी चाहिए। एक से अधिक पितरों की फोटो लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- मंदिर में पितरों की फोटो को भूलकर भी न रखें।
- बैठक रूम और शयन रूम में भी पितरों की फोटो नहीं रखनी चाहिए। इसे माना जाता है कि इस जगह पर पितरों की फोटो रखने से घर के सदस्य बार-बार बीमार होते रहते हैं, और इससे परिवार में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- रसोई में भूलकर भी पितरों की फोटो नहीं लगानी चाहिए।
पितरों के विषय में जानकारी
पितरों के बारे में हमने कुछ जानकारी नीचे दी है।
- हमारे कुछ शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि पितरों का निवास स्थान चंद्र के उधर्वभाग में है।
- ऐसा भी माना जाता है कि हमारे पितर मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच 1 से 100 वर्ष तक वही स्थान पर रहते हैं।
- अगर हम हमारे पितरों के श्राद्ध आदि नहीं करते हैं और उनको याद नहीं करते हैं, तो वे हमसे नाराज हो जाते हैं।
- उनकी नाराजगी के कारण हमें पितृदोष भी हो सकता है, जिसके कारण हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
- यदि हम समय-समय पर हमारे पितरों को याद करते हैं, और उनका श्राद्ध आदि करते हैं, तो वे प्रसन्न होते हैं और उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, जिससे मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है।
पितरों की Puja कैसे करें
- पितरों की पूजा करने के लिए, सुबह के समय स्नान आदि करने के बाद, उनका ध्यान करते हुए उन्हें याद करें।
- उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें।
- उसके बाद पितरों का तर्पण करें। पितरों के तर्पण में फूल, तिल, जल आदि अर्पित करें।
- उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, तथा दान आदि करें।
- उसके पश्चात् कौआ, कुत्ता, आदि जैसे पशु-पक्षियों को भोजन कराएं। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। इससे हमारे पितर प्रसन्न होते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताया है कि घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए और पितरों का स्थान कैसे बनाएं। इसके अलावा, इस टॉपिक से जुड़ी और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
आशा है कि आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यदि यह आपके लिए उपयोगी सिद्ध होता है, तो कृपया इसे आगे शेयर करें, ताकि अन्य लोग भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें।
दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल "घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए, पितरों का स्थान कैसे बनाएं" अच्छा लगा होगा। धन्यवाद!
FAQs
पितृस्थान में कौन-सी चीज़ें रखनी चाहिए?
पितृस्थान पर आप अपने पूर्वजों की तस्वीरें, दीपक, फूल, चांदन, अक्षत, पुष्प आदि रख सकते हैं। पिंडदान के लिए एक थाली भी रखें।
पितृस्थान कहाँ बनाना चाहिए घर में?
पितृस्थान घर के पूर्वांगण या फिर आंगन या बगीचे में बनाएँ। पूर्व दिशा श्रेष्ठ मानी गई है पितरों के लिए।
पितृस्थान पर कितने चित्र लगाएँ?
जितने भी अपने पूर्वजों के चित्र उपलब्ध हैं सभी को लगा सकते हैं। अगर कम चित्र हैं तो कम लगाएँ।
पितृस्थान की कितनी बार सफाई करनी चाहिए?
प्रत्येक 15 दिन में एक बार पितृस्थान की सामान्य सफाई अवश्य करें। त्यौहार आने पर विशेष सफाई करवाएँ।
पितृस्थान पर कौन से पौधे लगा सकते हैं?
तुलसी, अशोक, वट वृक्ष और पीपल के पौधे आप पितृस्थान पर अच्छे से उगा सकते हैं।