गाजीपुर में अपर सत्र न्यायाधीश/त्वरित न्यायालय द्वितीय अलख कुमार की अदालत ने हत्या प्रयास के मामले में एक अभियुक्त को शुक्रवार को आजीवन कारावास और 15 हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया है। अभियोजन के अनुसार, शहर कोतवाली के चक हुसैन खालिसपुर निवासी हरेराम यादव ने पुलिस को तहरीर देकर बताया।
कि 29 अगस्त 2002 को शाम साढ़े सात बजे वह पिता जयमूरत यादव के साथ घर के बैठका में बैठकर बातचीत कर रहा था। रंजीश को लेकर गांव के अमरनाथ यादव, मुन्ना यादव, हंसिया और बीरबल यादव, एवं मेघनाथ यादव चारा काटने वाला हथियार हाथों में लेकर पहुंच गए। वे गाली देते हुए पिता को जान से मारने की नियत से टूट पड़े।
इससे पिता जयमूरत यादव की गर्दन कटकर झूल गई। इस घटना को देखकर हरेराम यादव ने चौकी के नीचे छुपकर जान को किसी तरह बचाया। गाली-गलौज की आवाज सुनकर भाई रामजीत यादव, घर की महिलाएं और ग्रामीण घटना स्थल पर पहुंच गए। तब तक आरोपी फरार हो गए। पिता को उपचार के लिए अस्पताल लेकर आए, जहां से उन्हें डॉक्टरों ने वाराणसी रेफर कर दिया।
जहां उनका उपचार हुआ। पुलिस ने हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करके विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। विचारण के दौरान न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने 4 गवाहों को पेश किया। अभियोजन और बचाव की बहस सुनने के बाद अदालत ने मोहन उर्फ मुन्ना यादव को हत्या प्रयास और गाली-गलौज के मामले में दोषी पाते हुए उपरोक्त सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया।