जिले के मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए किए गए आवेदनों की जांच शासनिक स्तर पर की गई। इसमें 950 छात्र-छात्राएँ शास्त्रीय लेखा जोखा प्राप्त नहीं कर सके, और उनकी बायोमैट्रिक भी संपन्न नहीं की गई। इससे साफ हो रहा है कि इन छात्र-छात्राओं में से कुछ ने पिछले वर्ष में किसी अन्य संस्थान में प्रवेश ले लिया है या फिर पढ़ाई छोड़ दी है।
छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने पूरे देशभर में जाँच की थी। यह जाँच जिले में भी की गई थी। जिले में 27 मदरसे के साथ ही 173 अल्पसंख्यक संस्थान हैं, जहाँ पिछले वर्ष कक्षा आठ के ऊपर 5,298 छात्र-छात्राएँ छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर चुकी थीं। हालांकि, इन छात्रों को कोई छात्रवृत्ति प्राप्त नहीं हुई थी।
इस पर, चिह्नित शैक्षणिक संस्थानों की जाँच की गई, जिसमें से 140 संस्थान ने बायोमीट्रिक से छात्र-छात्राओं की उपस्थिति की रिपोर्ट की। इस जाँच में 950 बच्चों की उपस्थिति नहीं मिली, क्योंकि उन्हें खोजा नहीं गया था। इस प्रक्रिया में 4,348 विद्यार्थियों की बायोमीट्रिक जाँच की गई।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीके द्विवेदी ने बताया कि छात्रवृत्ति योजना के शैक्षिक सत्र 2022-23 में संस्थाओं के स्तर से अग्रसारित किए गए छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन आवेदनों की केंद्र सरकार द्वारा जाँच कराई गई थी। संस्थाओं और उनके अंतर्गत किए गए आवेदनों में अनियमितता पाई गई है, इसलिए जाँच के क्रम में संस्थाओं और छात्र-छात्राओं की बायोमीट्रिक सत्यापन की गई।
केंद्र से 173 संस्थाओं में से 140 सूची भेजी गई थी। इंस्टीट्यूट के नोडल आफिसर और संस्थाध्यक्ष के साथ, 5,298 छात्र-छात्राओं का बायोमीट्रिक प्रमाणन किया गया। 140 संस्थानों में चल रही बायोमीट्रिक प्रक्रिया में 950 छात्रों की अनुपस्थिति सामने आई। ये छात्र पिछले वर्ष के हैं, इसलिए या तो उन्होंने कहीं और प्रवेश लिया है या फिर पढ़ाई छोड़ दी है। जाँच की रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेजा गया है।