Type Here to Get Search Results !

Recent Gedgets

Trending News

माँ कामख्या धाम में श्रद्धालुओं ने माता कामाख्या की पूजा अर्चना करते हुए मथा टेका

शारदीय नवरात्र के दौरान, पूर्वांचल के प्रसिद्ध मां कामाख्या धाम मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने दर्शन और पूजा के लिए उमड़ा। श्रद्धालुओं ने श्रृंगार आरती के दौरान ही दर्शन और पूजा की शुरुआत की।

maa-kamakhya-dham-ghamar-ghazipur

मंदिर के महंत आकाश राज तिवारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, और समीपवर्ती क्षेत्रों से आने वाले दूरदराज की आयुवर्ग के श्रद्धालुओं ने माता की दर्शन-पूजा के लिए अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए प्रार्थना की हैं। बता दें कि शरद नवरात्रि के पहले दिन में लगभग 10000 से अधिक श्रद्धालुओं ने माता की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए दर्शन किए।

मंदिर के परिसर में नारियल चुनरी और फूलों की दुकान सजी हैं। श्रृंगार के बहुत सारी दुकानें भी आयी यात्रा के बाद से श्रद्धालुओं के द्वारा सजी हुई हैं और पूजन के बाद मेले का आनंद लिया जा रहा है। शरद नवरात्रि के इस अवसर पर, पूर्वांचल के प्रसिद्ध देवी शक्तिपीठों में से एक, गहमर स्थित मां कामाख्या देवी के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखती है। इस पवित्र नवरात्रि के 9 दिनों में, मां के विभिन्न स्वरूपों की विधिवत पूजा और अर्चना की जा रही है।

मंदिर का इतिहास जानें

एशिया के सबसे बड़े गांव, गहमर, में स्थित शक्ति मां कामाख्या धाम पूर्वांचल के लोगों के आस्था और विश्वास का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस धाम को शक्तिपीठों में अलग महत्व दिया जाता है और इसमें विभिन्न पौराणिक इतिहास का समावेश है। कहा जाता है कि इस स्थान पर जमदग्नि, विश्वामित्र, और अन्य ऋषियों का सत्संग और साधना होती थी।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने इसी स्थान से आगे बढ़कर बक्सर में तड़का नमक की राशि का वध किया था। मंदिर की स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि प्राचीन काल में, फतेहपुर सीकरी में स्थित सिकरवार राजकुल के पितामह, खबर जी महाराज ने काम गिरी पर्वत पर जाकर मां कामाख्या देवी के लिए तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां कामाख्या ने सिकंदर बार वंश की रक्षा करने का वरदान दिया था।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad