बनारस में देव दीपावली की तिथियों के संबंध में पहले जो अस्पष्टता थी, वह अब दूर हो गई है। घाटों पर आरती कराने वाली संस्थाएँ एकमत होकर 27 नवंबर को देव दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। आयोजनकों के अनुसार पंचांग के भिन्नता के कारण इस साल 26 और 27 नवंबर को देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा का जिक्र है। लेकिन परंपरा और इतिहास के अनुसार 27 नवंबर की तारीख उपयुक्त है।
बनारस में देव दीपावली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर बनारस के 84 घाटों को दीपों से सजाया जाता है और काशी के मनमोहक दृश्यों को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इसके अलावा, पिछले 6 महीनों से काशी के घाटों की इस दीपोत्सव को देखने के लिए सभी नौवों और होटलों को पहले से ही बुक कर लिया जाता है। इस दौरान, इस बार मनाए जाने वाले देव दीपावली को लेकर असमंजस की स्थिति थी।
हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर का वध किया था, इसके बाद काशी के मंदिरों और घाटों को देवताओं द्वारा उत्सव के रूप में सजाया गया था। तब से लेकर आज तक, बनारस में धूमधाम से देव दीपावली मनाई जाती है, जो पूर्णिमा तिथि के बाद पड़ती है। सालों साल इस पर्व का महत्व और बढ़ रहा है, और लाखों के संख्या में पर्यटक इस ऐतिहासिक घड़ी को देखने के लिए वाराणसी आते हैं।