Ahoi Ashtami 2024: आहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे माताएं अपने बच्चों के भले और दीर्घ जीवन के लिए मनाती हैं। हिन्दू पौराणिक पंचांग के अनुसार, आहोई अष्टमी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन (Ashtami) को मनाई जाती है, और ग्रीगोरियन कैलेंडर के अनुसार आहोई अष्टमी/Ahoi Ashtami अक्टूबर या नवम्बर में आती है।
Sal 2024 me Ahoi Ashtami Kab Hai: Year 2024 में, आहोई अष्टमी 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस शुभ दिन पर, माताएं सुबह से लेकर सायं तक अपने बच्चों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए उपवास करती हैं। यह उपवास सायं के तारकों को देखकर तोड़ा जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है।
Ahoi Ashtami 2024 की तिथि और समय
2024 में, Ahoi Ashtami 24 October को आएगी, जो एक बृहस्पतिवार को है। हिन्दू माताएं अपने बच्चों के भले के लिए इस शुभ दिन का आयोजन करती हैं। वे सुबह से लेकर सायं तक उपवास करती हैं, जबकि अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को 1:18 AM बजे से शुरू होकर 25 अक्टूबर को 1:58 AM बजे तक चलती है। आहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 5 नवंबर को सायं 5:42 बजे से लेकर 6:59 बजे तक रहेगा। Kul time अवधि - 01:17 मिनट्स।
तारों को संध्या के आकाश में देखकर उपवास तोड़ा जाता है। आहोई अष्टमी हिन्दू माह कार्तिक में कृष्ण पक्ष/Krishna Paksha के आठवें दिन को मनाई जाती है। इस उपवास से बच्चों पर आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होने का विश्वास है, और कई महिलाएँ समूह में आकर आहोई अष्टमी पूजा/Ahoi Ashtami puja का आयोजन करती हैं।
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व और पौराणिक कथा
नाम ‘Ahoi’ एक माँ के प्यारे अपने बच्चे को बुलाने की प्यारभरी आवाज को दर्शाता है। 'आहोई' एक अफेक्शनेट क्राई है जो ध्यान में खोये बच्चे को ध्यान दिलाने के लिए होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार की बात है, जब एक महिला के सात पुत्र थे। एक दिन, जब वह कुएँ के पास खेल रहे थे, उसका सातवां बेटा कुएँ में गिर गया और मर गया। असंतोषजनक और दुखभरी माँ रातभर 'आहोई' रोती रही, देवी आहोई से अपने बच्चे की जीवन को पुनः स्थापित करने की प्रार्थना करती रही। माँ के दुःख और भक्ति से प्रभावित होकर, देवी उसके सामने प्रकट हुई और उसकी इच्छा को पूरा किया। अगले सुबह, बेटा जीवित हो गया। इसके बाद से, इस दिन को 'Ahoi Ashtami' के रूप में मनाने लगा, जिसमें माएं अपने बच्चों के भले के लिए प्रार्थना करती हैं।
एक और लोकप्रिय कथा एक भक्तिपूर्ण माँ की है, जिनके पास सात पुत्र थे। प्रत्येक वर्ष, वह अपने सात पुत्रों के लिए अलग-अलग रूप से Ashtami के दिन व्रत आचरण करती थी। दुखदर्म बात है, उसके सात पुत्र एक के बाद एक मर गए। दिल टूटा हुआ, माँ हर साल अष्टमी के दिन अपना उपवास जारी रखती और देवी आहोई, बच्चों की सुरक्षा की देवी, की पूजा करती रही। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, देवी आहोई ने उसकी इच्छा पूरी की और सात पुत्रों को पुनः जीवित कर दिया। माँ खुशी से भर पूर हो गई, और वह हर वर्ष अधिक भक्ति से उपवास आचरण करती रही।
इस प्रकार, Ahoi Ashtami fast को माताएं अपने बच्चों की खुशियों, समृद्धि, और दीर्घ जीवन के लिए देवी आहोई की आशीर्वाद की तलाश के रूप में देखती हैं। कथाओं में दुखी माताओं की अड़ूं विश्वास इस बात को प्रमोट करते हैं कि आहोई अष्टमी व्रत बच्चों को आपदाओं से रक्षा करता है और असमय मृत्यु को टालता है।
Ahoi Ashtami Puja Vidhi, मंत्र और कथा
अहोई अष्टमी का व्रत पारंपरिक रूप से माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए रखती हैं। इस दिन पालन की जाने वाली अनुष्ठानिक उपवास प्रक्रिया में शामिल हैं:
- जल्दी उठें और शुद्धिकरण स्नान करें। साफ कपड़े पहनें.
- देवी अहोई की पूजा करें. अहोई माता के मंत्रों जैसे "ओम देवकी सुधा अहोई नाशिन्यै नमः" का जाप करें।
- देवी अहोई की तस्वीर या मूर्ति के सामने तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- पूजा की थाली को रोली, अक्षत, फूल, मिठाई आदि से सजाएं। आप प्रसाद के रूप में देवी के सामने एक लकड़ी का स्टूल भी रख सकते हैं।
- व्रत शुरू करने से पहले सुबह व्रत का भोजन जैसे साबूदाना खिचड़ी, आलू-सिंघाड़े की पूड़ी, कुट्टू की रोटी आदि खाएं।
- व्रत के दौरान आप फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा आदि ले सकते हैं। चावल, गेहूं या दाल का सेवन न करें।
- अपने परिवार के साथ अहोई अष्टमी व्रत कथा कहें और सुनें।
- शाम को उगते चंद्रमा को अर्घ्य दें और प्रसाद बांटें।
- छोटी लड़कियों और लड़कों को पूड़ी, हलवा और चना खिलाएं। इस दिन छोटे बच्चों का आशीर्वाद लेना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- रात के समय तारे देखें और व्रत खोलने से पहले देवी अहोई की पूजा करें। प्रसाद ग्रहण करें और अपना व्रत समाप्त करें।
अहोई अष्टमी व्रत के पीछे की पौराणिक कथा को इस दिन व्रत कथा के रूप में भी सुना जाता है। माताओं को आरती और व्रत के साथ यह कथा सुनाना या सुनना आवश्यक है। अहोई अष्टमी कथा माँ की बिना शर्त भक्ति पर जोर देती है और इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे उनके अटूट विश्वास के कारण देवी अहोई ने अपने बच्चों को जीवन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस कथा को सुनने से विश्वास जागृत होता है और माताओं को अपने बच्चों की भलाई के लिए ईमानदारी से प्रार्थना करने की याद आती है।
अहोई अष्टमी के उत्सव और अनुष्ठान
- माताएं सूर्योदय से पहले उठती हैं और शुद्धिकरण स्नान के बाद व्रत की तैयारी करती हैं। परिवार के सभी सदस्य घरों की सफ़ाई और साज-सज्जा और विशेष बढ़िया व्यंजन तैयार करने में भाग लेते हैं।
- देवी अहोई और अम्बा की मूर्तियों और चित्रों को फूलों, मालाओं और रंग-बिरंगे परिधानों से सजाया जाता है। प्रसाद के रूप में सामने लकड़ी के छोटे स्टूल रखे जाते हैं।
- महिलाएं अहोई अष्टमी पूजा करती हैं, मंत्रों का पाठ करती हैं, कथा सुनाती हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना गीत प्रस्तुत करती हैं।
- जो युवा लड़कियाँ किशोरावस्था तक नहीं पहुँची हैं, उन्हें घर पर आमंत्रित किया जाता है और देवी अहोई का रूप मानकर उनका सत्कार किया जाता है। उन्हें उपहार, नए कपड़े दिए जाते हैं और पूड़ी-हलवा-चना का प्रसाद खिलाया जाता है।
- देवी अहोई के प्रतीकात्मक झूले के रूप में पेड़ों पर झूले लटकाए जाते हैं। छोटी लड़कियाँ भक्ति गीत गाते हुए उन पर झूलती हैं।
- अहोई अष्टमी के दिन देवी अंबा के मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना, नारियल और प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
- उत्तर प्रदेश में, त्योहार के लिए खिलौने, मिठाई, फूल और प्रसाद की चीजें बेचने के लिए मंदिरों के पास अस्थायी स्टॉल लगाए जाते हैं।
- माताएं पूरे दिन बिना पानी या भोजन के ईमानदारी से व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा को जल, अर्घ्य और प्रसाद चढ़ाते हैं और तारे देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ते हैं।
- इस दिन, पिता भी बच्चों का विशेष ख्याल रखते हैं और उन्हें उनके पसंदीदा भोजन और उपहार देते हैं।
- बच्चों के लिए नए वाहन, संपत्ति या अन्य संपत्ति खरीदने के लिए यह दिन अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसे अच्छे भविष्य के लिए आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है।
- अम्बाजी और चित्रकूट जैसे देवी अहोई से जुड़े मंदिरों और तीर्थ स्थलों में, दर्शन और पूजा के लिए भक्तों की भीड़ के साथ विशेष उत्सव मनाया जाता है।
- पूरे उत्तर भारत में मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां मां की रसोई के स्टॉल भक्तों को सात्विक अहोई अष्टमी के व्यंजन जैसे साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े की पूड़ी, खीर आदि परोसते हैं।
इस प्रकार, अहोई अष्टमी को बच्चों की खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थनाओं के इर्द-गिर्द बहुत भक्ति, विश्वास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। उत्सव माँ-बच्चे के बंधन का सम्मान करने और देवी अहोई की दिव्य कृपा पाने के लिए परिवारों को एक साथ लाते हैं।
Regional Names and Celebrations of Ahoi Ashtami
Ahoi Ashtami is known by various names across different Indian regions:
- In Gujarat: Pateti
- In Maharashtra: Aai Mori
- In Rajasthan: Ahoi Aatheej
- In Bihar and UP: Ahoi Aasthami or Ahoi Ashtami
The common thread of prayers for children binds the various regional celebrations:
- In Gujarat, mothers invite seven little girls home and offer them food, gifts, and money. They listen to the vrat katha and pray for their children.
- In Maharashtra, mothers offer special food, clothing, and prayers to seven or nine girls symbolizing Kumaris and celebrating Lalita Panchami.
- In UP and Bihar, the fast, worship, and feeding girls puri, chana, and halwa is the prime ritual. Swings are also integral to celebrations.
- In Haryana, bathing children after offering water and prayers to the moon is the main custom.
- In Rajasthan, women observe the fast for their sons and male relatives. Special savories called makhana makhana are made and given as prasad.
- In Punjab, the festival is known as Kanjak Puja with girls representing the Kanjaks. After the fast and puja, girls are served puri, halwa, and laai.
- In Madhya Pradesh, the festival is called Ahoi aawat, and girls are treated as forms of Ashtamatrika deities and offered gifts and food.
Thus, though known by different names, the common significance of children’s welfare and mothers’ prayers unite the diverse Ahoi Ashtami celebrations. The unconditional love between mothers and children forms the essence of this festival.
Why Ahoi Ashtami is an Important Festival for Mothers and Children
Here are some reasons why Ahoi Ashtami holds such significance in Hindu culture as a children's festival:
- The fast is a way for mothers to express their unconditional, selfless love for their children and seek their health, happiness, and long life.
- Stories of the grieving mothers in the Ahoi Ashtami legends strike an emotional connection and highlight a mother's devotion.
- For mothers who have lost children, the festival brings solace and hope of reunion.
- It promotes tender mother-child bonds beyond just biological ties. Any woman can observe it for the well-being of children.
- Children also reciprocate the love and care of mothers on this day with gifts and acts of affection.
- The involvement of children through the ritual of feeding girls and worshipping them as goddesses makes them feel special.
- It teaches children the values of parental care, duty, and sacrifice from a young age.
- The festivities create joyful memories and strengthen relationships between mothers and children.
- It brings families together in celebrating children as the joys and future of the household.
- The emphasis on safety, prosperity, and long life reassures both mothers and children.
- For expectant mothers, it is an opportunity to pray for a healthy pregnancy and baby.
Thus, Ahoi Ashtami confers immense spiritual and emotional benefits for both mothers and children while highlighting their precious bond.
Ahoi Ashtami Fast Rules and Restrictions
Here are some key fast rules to be followed by women observing the Ahoi Ashtami vrat:
- The fast should be observed with sincerity and purity of mind for its fruition.
- Refrain from cereals like wheat and rice as well as lentils and certain vegetables.
- Consume only vegetarian foods like sabudana, singhara atta, potatoes, milk, and fruits.
- Do not eat anything with salt, oil, and spices. Consume plain fruits and milk products.
- Strictly maintain celibacy during the fast. Do not indulge in sexual relations.
- Avoid drinking alcohol or non-vegetarian food during the Vrat. Stay away from other vices too.
- Do not skip the ritual worship of Goddess Ahoi and listen to Ahoi Ashtami katha.
- Ensure feeding girls halwa, puri, and chana after the puja. Also, give them gifts.
- Break your fast only after sighting stars and the moon in the evening twilight.
- Fast with faith and positive thoughts to gain the blessings of Mata Ahoi.
- Pregnant and menstruating women may be exempted from the fast by customs. But they can still perform the puja.
Observing the Ahoi Ashtami fast as per established customs and rituals will amplify its benefits and fulfill the devotees' wishes for their children's well-being and long life.
Popular Ahoi Ashtami Recipes and Prasad Items
Traditional vrat-friendly vegetarian dishes prepared during Ahoi Ashtami include:
- Sabudana Khichdi - Made with sago pearls, potatoes, peanuts, spices, and rock sugar syrup. Light and nutritious.
- Singhare ki Poori - Crispy puris made from water chestnut flour served with potato curry.
- Kuttu ki Poori - Buckwheat flour puris that can be eaten with curry or sweetened rabri.
- Samak ke Chawal - Fasting rice variant made from barnyard millet.
- Rajgira ki Kheer - Sweet pudding made from amaranth and milk, flavored with dry fruits.
- Sabudana ki Kheer - Transparent pudding made from sago, milk, and sugar.
- Makhan mukhi Roti - Butter-layered wheat-free flatbreads made for the fast.
- Laai - Soft, sweet disks made from powdered and fried singhada or samak grains.
- Sabudana Papad - Crunchy deep-fried discs made of soaked sago pearls.
In addition, the prasad given to young girls after worship mainly consists of Puri, Halwa and Chana served on a platter along with other offerings. All these foods are light yet energizing, upholding the spirit of the fast.
Ahoi Ashtami fast cuisine thus represents traditional fasting fare that is delectable yet sattvic. These foods not only adhere to the vrat rules but also make the fast more bearable. Their tasty flavors also add to the festive spirit of the occasion. For the prasad, traditional sweets are prepared in pure desi ghee to honor the goddess. Friends and families exchange these food gifts to spread joy on Ahoi Ashtami.
Why is Ahoi Ashtami Celebrated
Ahoi Ashtami is celebrated by mothers to express devotion towards their children and ensure their wellbeing. The festival derives its name from the legend of a mother whose seven sons drowned while she was preoccupied with chores. Distraught, she prayed to Goddess Ahoi to revive them. When her sons came back alive, the mother's joy knew no bounds and she declared the day auspicious.
Since then, Ahoi Ashtami is observed 8 days before Diwali as a day for mothers to fast, worship Ahoi Mata, and seek her blessings. Mothers forego food and water from sunrise to moonrise praying for their children's longevity, safety, prosperity and overall welfare. The festival underlines a mother's unconditional love and the sacrifices she makes for her children's happiness.
Ahoi Ashtami Katha
Ahoi Ashtami is a Hindu festival celebrated 8 days before Diwali. On this day, mothers keep a day-long fast for the wellbeing and longevity of their children. The story behind Ahoi Ashtami Katha is about a mother who had 7 sons and loved them immensely. One day while she was busy with household chores, her children went to bathe in the river and drowned.
The grief-stricken mother prayed to Goddess Ahoi, who brought the children back to life. Since then, mothers observe a fast on Ahoi Ashtami for their children's safety and prosperity. The festival emphasizes a mother's devotion for her children.
Ahoi Ashtami Celebrations in Famous Temples
The following temples witness major festivities and pilgrim footfall on Ahoi Ashtami:
- Ambaji Temple, Gujarat - The highly revered Shaktipeeth temple is dedicated to Goddess Amba, an incarnation of Ahoi Mata. Devotees throng for darshan and prasad.
- Vrindavan Chandrodaya Mandir, UP - The grand Krishna temple hosts special children's festivities like drawing competitions along with rituals.
- Shakumbhri Devi Temple, Punjab - Goddess Shakumbhri is worshipped on Ashtami for children's welfare.
- Sheetla Mata Mandir, Haryana - The famous smallpox goddess temple sees scores of devotees on Ahoi Ashtami.
- Patneshwar Mahadev Temple, UP - Lord Shiva temple with legendary Ahoi Ashtami significance.
- Maa Pitambara Peeth, MP - Famed temple with Goddess Pitambara decorated as Maa Ahoi on the festival.
- Varanasi Temples - The holy city's Kashi Vishwanath temple and Kaal Bhairav shrine perform special pujas.
- Ujjain Temples - Ancient Mahakal temple and Harsiddhi Mata temple host major Ahoi Ashtami celebrations.
- Kamakhya Temple, Assam - The Shakti Peeth observe festivities for Maa Kamakhya's blessings on children.
The fervor, gaiety, and faith among devotees make Ahoi Ashtami a lively affair at these renowned temples. The divine atmosphere coupled with the rituals amplifies the spiritual impact for all.
Key Takeaways
- Ahoi Ashtami is celebrated on Ashwin Krishna Ashtami for mothers to pray for their children's well-being and prosperity.
- Mothers observing the fast abstain from certain foods and worship Goddess Ahoi while reciting her Katha.
- Young girls are invited home, worshipped as forms of the Goddess, and fed puri, halwa, and chana.
- The festival emphasizes unconditional motherly love and duty towards children.
- Major festivities take place at Ambaji, Vrindavan, Shakumbhri, and other Devi shrines on this day.
- Ahoi Ashtami brings the entire family together to celebrate the mother-child relationship and its divine sanctity.